कानपुर (ब्यूरो)। शहर की सडक़ों पर निकलें तो जरा अलर्ट रहें। खास तौर पर आसपास से गुजर रहे वाहनों से। क्योंकि पांच हजार से ज्यादा अनफिट कॉमर्शियल वाहन सडक़ों पर यमदूत बनकर दौड़ रहे हैं। सालों से इन वाहनों ने अपनी फिटनेस नहीं कराई है। खास बात ये है कि इनमें से तीन हजार के लगभग वाहन तो अपनी उम्र पूरी कर चुके हैं। अब न इनकी फिटनेस होगी और न ही री-रजिस्ट्रेशन। ये वाहन कभी भी बड़े हादसे का कारण बन सकते हैं। सडक़ दिखते ही ऐसे वाहनों को जब्त करने के आदेश दिए गए हैं।

64 हजार से अधिक कामर्शियल व्हीकल

आरटीओ में 64721 कॉमर्शियल व्हीकल रजिस्टर्ड हैं। इनमें ट्रक, लोडर, टेंपो, ऑटो आदि वाहन हैं। पिछले दिनों उन्नाव में डग्गामार अनफिट बस के पलटने से 18 पैसेंजर की मौत हो गई थी। इस हादसे के बाद परिवहन मंत्री ने खस्ताहाल बसों, स्कूली वाहन समेत विभिन्न वाहनों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया था। उन्होंने स्वयं कई सिटीज में बिना परमिट और फिटनेस के चल रही बसों का चालान कराया था।

4826 अनफिट वाहन सिटी में
सीएम व परिवहन मंत्री के सख्त होने के बाद आरटीओ में रजिस्टर्ड अनफिट कामर्शियल वाहनों की लिस्ट निकाली गई तो इसमें 4826 वाहन अनफिट मिले। इनमें 2968 वाहनों की मियाद पूरी हो चुकी है। इन वाहनों में ई-रिक्शा शामिल नहीं हैं। इनकी लंबे समय से फिटनेस नहीं कराई गई है। ऐसे में आरटीओ ऑफिस की ओर से सभी को नोटिस जारी किया गया है।

फिटनेस में सामने आती कमी
आरटीओ ऑफिस के आरआई अजीत सिंह ने बताया कि फिटनेस चेकिंग के दौरान कॉमर्शियल वाहनों के इंजन, पहिये, व्हील बेस से लेकर पूरी बॉडी की जांच की जाती है। सडक़ पर चलते चलते वाहनों में कुछ न कुछ दिक्कतें आ सकती हैं। कई बार मैकेनिक उसको ठीक कर देते हैं, लेकिन कुछ न कुछ तकनीकी दिक्कतें हो सकती हैं। उसकी खामी प्रॉपर फिटनेस में ही पकड़ी जा सकती है।

कामर्शियल व्हीकल यह नियम होते लागू

आरटीओ आफिसर्स के मुताबिक स्लीपर और पैसेंजर्स बसों में व्हील बेस के मुताबिक सीटों की जांच होती है। बैलेंसिंग, इमरजेंसी विंडो, इंजन में आवाज आदि को जांचा जाता है। सीएनजी वाले ऑटो-टेम्पो की हर छह-छह महीने में पाइप की जांच होनी जरूरी है, जबकि तीन साल में सिलिंडर की सर्विसिंग होनी चाहिए। सभी कामर्शियल वाहनों में ब्रेक, पहिये की स्थिति, ब्रेक की क्षमता, लाइट, रेट्रो रिफ्लेक्टो टेप लगा होना अनिवार्य है।


स्कूली वैन में नहीं लगा सकते एलपीजी-सीएनजी किट
आरटीओ आफिसर्स के मुताबिक स्कूली वैन में एलपीजी और सीएनजी किट नहीं लगती है। उनके लिए पेट्रोल या डीजल से चलने वाले वाहन के संचालन का प्रावधान है। यही मानक एंबुलेंस के लिए भी रहता है। फिटनेस जांच में यही देखा जाता है।