कानपुर (ब्यूरो)। सिटी में ग्र्राउंड वाटर लेवल दिन पर दिन गिरता जा रहा है। इसकी एक बड़ी वजह है शहर से गायब होते तालाब। दरअसल इन तालाबों पर अवैध रूप से कब्जा कर कॉलोनीज डेवलप कर दी गई है। तालाबों पर कब्जे होते रहे और जिम्मेदार अफसर आंखें बंद कर बैठे रहे। चौकाने वाली बात ये है कि इन कॉलोनीज को डेवलप करने में भूमाफियाओं के साथ केडीए, आवास विकास जैसे गवर्नमेंट डिपार्टमेंट भी शामिल हैं। यह हम नहीं कह रहे हैं, इसका खुलासा केडीए की ही एक रिपोर्ट से हुआ है, जो कि तालाबों की जमीन पर कब्जे को लेकर दायर की गई कंटेम्प्ट पिटीशन के जवाब के रूप में तैयार की गई है।
इसीलिए गिर रहा ग्र्राउंड वाटर लेवल
तीन से चार दशक पहले तक कानपुर में सैकड़ों की संख्या की संख्या में तालाब थे, जो कि ग्र्राउंड वाटर को रीचार्ज करने का बड़ा जरिया बनते थे। लेकिन तेजी से बढ़ते अरबनाइजेशन के चलते लोगों ने तालाबों को भी नहीं छोड़ा। उन पर भी कब्जे कर उन बिल्डिंग्स तान दीं। गवर्नमेंट डिपार्टमेंट्स ने भी ध्यान नहीं दिया, उन्होंने भी हाउसिंग स्कीम डेवलप कर दी। इसी वजह से सिटी के सैकड़ों तालाब गायब हो गए। अब केवल कागजों में ही नजर आते हैं। यही कारण है कि सिटी में एवरेज हर साल 45 सेंटीमीटर से अधिक ग्र्राउंड वाटर लेवल गिर रहा है। नौबस्ता, श्याम नगर, रतनलाल नगर, सनिगवां, कल्याणपुर आवास विकास सहित कई एरिया में तो लगातार इससे अधिक ग्र्राउंड वाटर लेवल गिर रहा है।
हाईकोर्ट में लगाई पिटीशन
दरअसल केडीए एरिया में स्थित तालाब व चारागाहों की जमीनों को लेकर दिनेश चन्द्र सचान ने हाईकोर्ट में एक कंटेम्प्ट पिटीशन फाइल की थी। इसमें 16 गांवों में तालाब और 15 में चारागाहों की 316.33 हेक्टेयर जमीन होने की बात कही थी। इससे केडीए ऑफिसर्स हरकत में आ गए। उन्होंने रिकॉर्ड खंगाला तो कंटेम्प्ट पिटीशन में दी गई डिटेल में से 501 की बजाए 388 गाटों में 199.025 हेक्टेयर जमीन पर तालाब व चारागाह दर्ज पाए गए।
19 हेक्टेअर जमीन पर हाउसिंग स्कीम
केडीए की जांच में 52 गाटों की 19.218 हेक्टेयर तालाबों की जमीन हाउसिंग स्कीम आदि से कवर पाई गई। इनमें दहेली सुजानपुर, बर्रा, दबौली, रूमा, पनकी गंगागंज, पनकी भौ सिंह, चंदारी, नौरैयाखेड़ा, गंगापुर आदि हाउसिंग स्कीम आदि शामिल हैं। इसमें से 10.589 हेक्टेयर जमीन पर डेंस पापुलेशन मिली। केवल केवल 44 गाटों में 14.072 हेक्टेयर तालाबों की जमीन रिक्त पाई गई है।