कानपुर (ब्यूरो)। अगर आप ट्रेन में जर्नी के दौरान बीमार होते हैं तो परेशान होने की जरूरत नहीं है। क्योंकि सेंट्रल स्टेशन पर ट्रेन पहुंचने पर न सिर्फ आपको ट्रेन की बर्थ में ही ट्रीटमेंट मिलेगा बल्कि जरूरत पडऩे पर स्टेशन पर एडमिट कर इलाज किया जाएगा। वो भी सिर्फ 350 रुपये में। इसमें आपको ट्रीटमेंट के साथ दवा भी मिलेगी। इतना ही नहीं, अगर आप चाहेंगे तो आपको एंबुलेंस से प्राइवेट या गवर्नमेंट हॉस्पिटल भिजवाया जाएगा। बताते चलें कि सेंट्रल स्टेशन के प्लेटफार्म एक पर मिनी हॉस्पिटल शुरू किया गया है, जहां फस्र्ट एड ट्रीटमेंट की बेस्ट फैसिलिटी है। पैसेजर्स की सुविधा के लिए यहां पर 24 घंटे डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टॉफ अवेलेवल रहेंगे।
कॉल या मैसेज पर अलर्ट होगी टीम
प्रयागराज डिवीजन के पीआरओ अमित सिंह ने बताया कि प्राइवेट मिनी हॉस्पिटल में चौबीस घंटे एक स्पेशलिस्ट डॉक्टर, चार पैरामेडिकल स्टॉफ व दो वार्ड ब्वाय तैनात रहेंगे। जोकि डिप्टी एसएस ऑफिस से मेडिकल सुविधा उपलब्ध कराने के मैसेज के आते ही एक्टिव हो जाएंगे और पेशेंट की सुविधा के अनुसार उसको कोच या फिर प्लेटफार्म पर जाकर ट्रीटमेंट मुहैया कराएंगे।
ट्रीटमेंट के लिए देने होंगे 350 रुपए
ट्रेन में जर्नी के दौरान हेल्थ प्राब्लम होने पर मेडिकल सुविधा लेने के लिए अब पैसेंजर्स को पहले की अपेक्षा अधिक फीस पे करनी होगी। स्टेशन की मेडिकल सुविधा प्राइवेट हाथों में जाने के बाद अब पैसेंजर को डॉक्टर की सेवा लेने के लिए 350 रुपए निर्धारित फीस पे करना होगा। इसमें डॉक्टर की फीस के साथ मेडिसिन भी मेडिकल स्टॉफ उपलब्ध कराएगा। वहीं गंभीर हालत में पेशेंट के अटेंडेंट के निर्णय अनुसार उसको प्राइवेट व गवर्नमेंट हॉस्पिटल में अपनी एंबुलेंस से एडमिट भी कराएगी।
हर माह दो से तीन डिलीवरी प्लेटफॉर्म पर
कानपुर सेंट्रल स्टेशन पर उपचार के अभाव व एंबुलेंस की उपलब्धता समय पर न होने की वजह से हर माह लगभग दो से तीन गर्भवती महिलाओं की डिलेवरी प्लेटफार्म पर ही हो जाती है। नया सिस्टम चालू होने से इस प्रकार की घटनाओं पर पूरी तरह से अंकुश लगा जाएगा। क्योंकि मिनी हॉस्पिटल में चौबीस घंटे दो आया की तैनाती होगी। जोकि डिलेवरी के केस अटेंडेंट करेंगी।
रेलवे हॉस्पिटल से आते थे डॉक्टर व एंबुलेंस
रेलवे आफिसर्स के मुताबिक स्टेशन में मिनी हॉस्पिटल बनने से पहले पैसेंजर्स के कंट्रोल रूम में आनी वाली कॉल के बाद रेलवे हॉस्पिटल से डॉक्टर व एंबुलेंस मंगाई जाती थी। जिसकी वजह से कई बार पैसेंजर्स को एक-एक घंटे डॉक्टर व एंबुलेंस का वेट करना पड़ता था। वहीं कई पेशेंट को उपचार के अभाव में प्लेटफार्म पर ही दम तोड़ देते थे। नई व्यवस्था चालू होने के बाद इस तरह से समस्या पर पूरी तरह से अंकुश लग जाएगा।
पैसा नहीं है, तो भी मिलेगा इलाज
प्रयागराज डिवीजन के पीआरओ अमित सिंह ने बताया कि जो पेशेंट निर्धारित फीस पे करने में असमर्थ होते हैं और उनके पास रेल टिकट उपलब्ध है तो उसका ट्रीटमेंट भी किया जाएगा। वहीं नियमानुसार पेशेंट को फस्र्ट एड ट्रीटमेंट देने के बाद एंबुलेंस से गवर्नमेंट हॉस्पिटल में भर्ती कराया जाएगा।
- 100 रुपए पहले डॉक्टर चेकअप की फीस लगती थी
- 350 रुपए अब डॉक्टर व मेडिसिन की फीस पे करना होगा
- 2 से 3 गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी हर माह प्लेटफार्म पर
- 1 से 2 घंटे तक पेशेंट को एंबुलेंस व डॉक्टर का वेट करना पड़ता था