कानपुर (ब्यूरो)। करप्शन के कारण शहर में जल संकट की वजह बनी जेएनएनयूआरएम की फीडरमेन लाइन की जगह अब इसके पैरलल माइल्ड स्टील की वाटर लाइन बिछाने की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। इसके लिए टेंडर हासिल करने वाली कम्पनीज सर्वे और एलाइनमेंट कर रही हैं। साथ ही कम्पनीबाग से फूलबाग और कम्पनीबाग से रावतपुर, विजय नगर, शास्त्री चौक, बारादेवी साउथ गेट तक रोड कटिंग परमीशन और यूटिलिटी सर्विस शिफ्टिंग के लिए संबंधित डिपार्टमेंट से डिटेल भी मांगी जा रही है।
869 करोड़ रुपए खर्च हुए
दरअसल वर्ष 2007 में जवाहरलाल नेहरू अरबन रिन्यूवल मिशन (जेएनएनयूआरएम) के अंतर्गत 869 करोड़ रुपए से गंगा बैराज के पास 200-200 एमएलडी के 2 वाटर ट्रीटमेंट प्लांट, जेएडपीएस आदि बनाए गए थे। साथ ही इनके जरिए नार्थ और साउथ सिटी में ड्रिकिंग वाटर क्राइसिस की समस्या हल करने को जोनल पम्पिंग स्टेशन व क्लियर वाटर रिजरवायर भी बनाए गए थे। जिससे लाखों घरों में पानी पहुंचाया जाना था।
इन जेएडीएस और सीडब्ल्यूआर तक ड्रिकिंग वाटर पहुंचाने के लिए गंगा बैराज से कम्पनी बाग और फिर एक ओर मकरार्बट्र्सगंज, चुन्नीगंज, बड़ा चौराहा होते हुए फूलबाग तक फीडरमेन बिछाई गई थी, इसी तरह दूसरी ओर कम्पनी बाग चौराहा से रावतपुर, काकादेव, विजय नगर, दादा नगर, सीटीआई होते हुए बारादेवी साउथ गेट तक फीडरमेन डाली गई है। लेकिन भ्रष्टाचार के लीकेज के कारण ये लाइन यूज में आने से पहले ही बेकार हो गई है।
करप्शन के फौव्वारे
ये फीडरमेन वाटर लाइन जीआरपी (ग्लास रिएनफोर्समेंट पाइप) की थी। टेस्टिंग के दौरान पाइप लाइन लीकेज होने से फौव्वारे छूटने लगे थे। जो अब तक जारी है। अब तक लगभग 900 स्थानों पर ये पाइप लाइन लीकेज हो चुकी है। इसी वजह से 200-200 एमएलडी के वाटर ट्रीटमेंट प्लांट्स से अब तक केवल 50-50 एमएलडी ही पानी सप्लाई किया जा पा रहा है। जरा सा प्रेशर बढ़ाते ही वाटर लाइन लीकेज होने से फौव्वारे छूटते हैं। जगह जगह लाइन डैमेज हो जाती है।
टेंडर हुए
लीकेज हो रही फीडरमेन पाइप लाइन को लेकर जांच हुई और दो दर्जन इंजीनियर आदि के खिलाफ एफआईआर भी हुई। इसके बाद शासन ने दूसरी वाटर लाइन डालने के लिए कुछ समय पहले जलनिगम को हरी झंडी दे दी। जलनिगम ऑफिसर्स के मुताबिक फीडरमेन वाटर लाइन बिछाने के लिए टेंडर हो चुके है। कम्पनीबाग से फूलबाग तक वाटर लाइन बिछाने का टेंडर दिल्ली की कम्पनी मेसर्स जैनको बिल्डकॉन और कम्पनीबाग से बारादेवी साउथ गेट तक गंगा इंफ्रा बिल्ड को मिली है। अबकि वाटर लाइन के पाइप खरीदने में जलनिगम ऑफिसर्स खासी सावधानी बरती जा रही है। मजबूती का खास ध्यान रखते हुए माइल्ड स्टील की वाटर लाइन डालने का फैसला हुआ है। जलनिगम ऑफिसर्स का दावा है कि माइल्ड स्टील के पाइप में लीकेज की समस्या नहीं होगी।
--वाटर लाइन में लीकेज की समस्या न हो इसलिए पाइप की स्ट्रेंथ का खास ध्यान रखा गया है। अबकि माइल्ड स्टील पाइप डाले जाएंगे। जैसे ही रोड कटिंग आदि परमीशन मिल जाएगी। वैसे ही पुरानी पाइप लाइन के पैरलल रोड कटिंग कर वाटर लाइन डालने का काम शुरू कर दिया जाएगा।
-- राजेन्द्र सिंह, जीएम, जलनिगम