कानपुर (ब्यूरो)। लखीमपुर खीरी में दहशत फैलाने वाला खूंखार बाघ अब चिडिय़ाघर में दहाड़ेगा। वह यहां पिजड़े में सारी उम्र कैद रहेगा। यहां आने वाले दर्शकों का मनोरंजन करेगा। फारेस्ट डिपार्टमेंट की टीम लखीमपुर से उसे लेकर यहां पहुंच गई है। बाघ को अभी एकांत में रखा गया है। कुछ दिनों बाद उसे बाड़े में भेजा जाएगा। बाघ ने खेत में काम कर रहे किसान पर हमला कर उसे मार डाला था।

दहशत फैली हुई थी

लखीमपुर खीरी महेशपुर रेंज के मन्नापुर गांव में बाघ काफी समय से आतंक का दूसरा नाम बना हुआ था। कुछ दिनों पहले उसने खेत में काम कर रहे कंधई लाल को मार दिया था। बाघ किसान का पूरा पैर खा गया था। इसके बाद से गांववालों में दहशत थी। बाघ के डर से कोई खेतों में नहीं जा रहा था। बाघ के पकडऩे के लिए वन विभाग कई प्रयास कर रहा था। उसके लिए ङ्क्षपजड़े भी लगाए गए थे। चार दिन पहले ङ्क्षपजड़े मे बकरा देख बाघ उसे खाने आया और कैद हो गया। बाघ को पकडऩे के बाद उसको यहां चिडिय़ाघर भेज दिया गया है। क्षेत्रीय वन अधिकारी अभय प्रताप ङ्क्षसह, वन दारोगा रोहित श्रीवास्तव उसे लेकर चिडिय़ाघर पहुंचे

चिडिय़ाघर में अब 11 बाघ

लखीमपुर से आदमखोर बाघ के आने के बाद चिडिय़ाघर में उनकी संख्या 11 हो गई है। पिछले वर्ष बाघिन तृषा की मौत इस वर्ष हाल ही में बाघ प्रशांत की मौत के बाद यहां बाघों की संख्या घटकर नौ रह गई थी।