कानपुर (ब्यूरो)। सर आपको लोन तो नहीं चाहिए, हम अपनी पॉलिसी में हर तरह के क्लेम कवर करते हैं, हमारे यहां से पॉलिसी कराइए, हम तुरंत क्लेम देते हैं कुछ इस तरह की दिन में तीन से चार फोन कॉल्स शायद आपके पास भी आती होंगी। लेकिन क्या आपको पता है कि इंश्योरेंस कराना जिताना है, क्लेम पाना उतना ही मुश्किल है। खासकर डेथ क्लेम के केस में। यह बात हम यूं नहीं कह रहे हैं बल्कि कंज्यूमर फोरम कोर्ट के आंकड़ें बया कर रहे हैं। ऐसे मामले एक दो नहीं बल्कि दर्जनों हैं, जिनमें पिता या बेटे की एक्सीडेंट में मौत के बाद परिजन क्लेम के लिए भटक रहे हैं। बाद में न्याय के लिए कंज्यूमर फोरम कोर्ट का दरवाजा खटखटा रहे हैं। ऐसे में दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की आपसे अपील है कि किसी भी पॉलिसी को कराते टाइम बहुत ही अलर्ट रहें। इंश्योरेंस कराने से पहले नियम व शर्तों को अच्छी तरह से समझने के बाद भी पॉलिसी लें।
क्लेम के लिए भटक रहा बेटा
सचेेंडी के वीरपाल (45) की सडक़ हादसे में मौत हो गई थी। पुलिस ने घटनास्थल से डेडबॉडी का पंचनामा भरकर सील की और एटॉप्सी सेंटर भेजी। एटॉप्सी के बाद फैमिली मेंबर्स ने शव का अंतिम संस्कार किया। इसके बाद फैमिली मेंबर्स ने डेथ सार्टिफिकेट बनवा लिया। वीरपाल ने लोन पर ट्रक लिया था जिसकी ईएमआई चल रही थी। वीरपाल के बेटे सुमित ने बताया कि मार्च में उसे बीमा कंपनी ने एक प्रोफार्मा दिया। इस प्रोफार्मा में कई कॉलम हैं। इसमें ये भी लिखा है कि डेथ से पहले किस अस्पताल में गए, ऐसे ही सात बिंदुओं पर जानकारी मांगी। सुमित इन कॉलम को भरने के लिए बीमा कंपनी, एटॉप्सी सेंटर और सरकारी अस्पताल के चक्कर लगा रहे हैैं, लेकिन प्रोफार्मा पूरा नहीं हो पा रहा है। ऐसे में उन्होंने अब कंज्यूमर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
रिस्कवर के नाम पर धोखा
ऐस ही बगाही भट्ठा निवासी स्कूल संचालिका पुष्पा देवी ने जब बीमा कराया गया था तब उन्हें इस रिस्कवर के बारे में जानकारी नहीं दी गई थी। अप्रैल 2024 में उनके एजेंट रमाकांत अग्रवाल सारी फार्मेलिटी पूरी करा ले गए और बैैंक अकाउंट में रकम आने की बात कही, अकाउंट में डेढ़ लाख रुपये से ज्यादा आने थे लेकिन खाते में 37 हजार रुपये ही आए। कॉल करने पर एजेंट ने फोन पिक नहीं किया। जब एलआईसी के ऑफिस में जानकारी की तो रिस्कवर की जानकारी हुई। केस दर्ज कराने की बात कहने पर रमाकांत सामने आए। तीन महीने से बची रकम वापस खाते में आने का झांसा देते रहे। रकम न आने पर पुष्पा देवी ने कंज्यूमर कोर्ट में शिकायत की।
ये पीडि़त भी पहुंचे कंज्यूमर कोर्ट
- चकेरी के सनिगवां निवासी मनोज के पिता उपेंद्र की मृत्यु भी सडक़ हादसे में दिसंबर 2023 में हुई थी। बीमा कंपनी की बाद में बताई गई टर्म एंड कंडीशन की वजह से रकम अभी तक नहीं मिल पाई है।
- नौबस्ता के हंसपुरम निवासी राजीव का निधन सितंबर 2023 में हो गया था। इसके बाद से उनका बेटा शिवम भी बीमा कंपनी के टर्म एंड कंडीशन के चक्कर में कभी डॉक्टर तो कभी पुलिस के ऑफिस के चक्कर लगाता रहा है।
- जाजमऊ निवासी शाहिद के पिता वहीद का इंतकाल जनवरी 2023 में सडक़ हादसे में हो गया था। शाहिद ने बताया कि एक कागज पूरा होता तो दूसरा थमा दिया जाता था।
ऐसे करें कंज्यूमर कोर्ट में शिकायत
कनज्यूमर कोर्ट में शिकायत करने से पहले संबंधित विभाग को एक नोटिस जारी करनी चाहिए। नोटिस का जवाब न मिले तो ऑन लाइन शिकायत ष्ह्वह्यह्लशद्वद्गह्म्द्धद्गद्यश्चद्यद्बठ्ठद्ग.द्दश1.द्बठ्ठ पर कनज्यूमर लॉगिन बनाना होगा और साइन अप करना होगा। आपको अपने साथ हुई ठगी की सारी जानकारी अपडेट करनी होगी। तीसरे स्टेप में एक अमाउंट ऑनलाइन डिपोजिट करना होगा। यदि शिकायत 20 लाख रुपये से कम है तो कनज्यूमर डिस्ट्रिक्ट कोर्ट विचार करेगा।