कानपुर (ब्यूरो)। सीएसजेएम यूनिवर्सिटी में पीएचडी की क्वॉलिटी को अधिक बेहतर करने के लिए अहम बदलाव किए गए। इन बदलावों में रिसर्च सुपरवाइजर के लिए भी नई गाइडलाइन जारी की गई है। बीते दिनों हुई एकेडमिक काउंसिल की मीटिंग में रिसर्च सुपरवाइजर और पीएचडी स्कॉलर्स से जुड़े कुछ प्रस्ताव रखे गए थे जो कि पास हो गए हैैं। पास हुए प्रस्ताव के अनुसार सीएसजेएमयू में रिसर्च सुपरवाइजर को एलॉट किए जाने वाले रिसर्च स्कॉलर के दो पेपर स्कोपस या वेब ऑफ साइंस में पीएचडी के दौरान पब्लिश होना कंपलसरी हैैं। इसके अलावा पब्लिकेशन पेपर पर सीएसजेएमयू का नाम भी लिखा होना चाहिए।
गाइड के लिए भी बदले नियम
वीसी प्रो। विनय कुमार पाठक की अध्यक्षता में हुई मीटिंग में पीएचडी को लेकर कई अहम बदलाव किए गए हैैं। रिसर्च सुपरवाइजर की लिस्ट में शामिल होने के लिए भी डिसीजन लिया गया है। रिसर्च सुपरवाइजर की लिस्ट में शामिल होने के लिए असिस्टेंट प्रोफेसर के तीन और एसोसिएट प्रोफेसर या प्रोफेसर के पांच पेपर स्कोपस या वेब आफ साइंस में पब्लिश होना कंपलसरी हैै। इसके अलावा को-सुुपरवाइजर के रूप में सीएसजेएमयू के किसी अन्य फैकल्टी मेंबर के रिसर्च वर्क में योजित करना कंपलसरी है। संभावना है कि जिन फैकल्टी के पेपर स्कोपस या वेब ऑफ साइंस में पब्लिश नहीं हैैं उनको भी पब्लिश कराने का समय दिया जाएगा। साथ ही पीएचडी कराने के लिए गाइड भी मिलेंगे।
पेटेंट एप्लीकेशन में सीएसजेएमयू कंपलसरी
यदि कोई रिसर्च स्कॉलर किसी तकनीक, डिजाइन आदि को पेटेंट कराता हैैं तो पेटेंट दाखिल करते समय सीएसजेएमयू का नाम लिखा जाना कंपलसरी कर दिया गया है। ऐसा होने से यूनिवर्सिटी के खाते में पेटेंट की संख्या बढऩा तय है।
स्टूडेंट्स का यह होगा बेनीफिट
स्कोपस और वेब आफ साइंस में रिसर्च पेपर पब्लिश होना का सीधा फायदा स्टूडेंट्स को भी मिलेगा। सबसे पहली बात यह कि उनकी रिसर्च वल्र्ड वाइड हो जाएगी। रिसर्च क्वालिटी पूर्ण होगी। इंटरनेशनल स्कालर का इंगेजमेंट बढ़ेगा, उनसे कनेक्शन बढ़ेंगे। स्टूडेंट्स को बेहतर करने का मोटिवेशन मिलेगा। इसके अलावा सबसे बड़ा बेनीफिट यह है कि उनको रिसर्च या जॉब के लिए कहीं अन्य जगह अपने पेपर को रखने पर प्राथमिकता मिलेगी।
यूनिवर्सिटी को रैैंकिंग में मिलेगा बेनीफिट
सीएसजेएम यूनिवर्सिटी को नैक की ओर से सर्वोच्च ए प्लस प्लस ग्रेड दिया जा चुका है। स्कोपस या वेब ऑफ साइंस में पेपर पब्लिश होने के बाद एनआईआरएफ समेत कई रैंकिंग में यूनिवर्सिटी की स्कोरिंग बढ़ेगी। इसके अलावा यूनिवर्सिटी एक क्वॉलिटी पीएचडी कराने वाली यूनिवर्सिटीज की लिस्ट में अपनी जगह बना सकेगी।
क्या है स्कोपस और वेब ऑफ साइंस
स्कोपस एक पब्लिकेशन (जर्नल और मैगजीन) का ग्रुप है, जिसमें जाने माने पब्लिकेशन शामिल हैं। इसके ग्रुप में शामिल पब्लिेकशन में रिसर्च पेपर के पब्लिकेशन को यह माना जाता है कि यह रिसर्च के सभी स्टैैंडर्ड पर खरा, विश्वसनीय और क्वालिटी वाला है। इसके अलावा वेब ऑफ साइंस भी स्कोपस की तरह का ही एक ग्रुप है, जिसकी लिस्टिंग में कई पब्लिकेशन आते हैैं।
नए नियमों से यह होगा बेनीफिट
-स्टूडेंट्स की रिसर्च वल्र्ड वाइड हो जाएगी।
-रिसर्च की क्वालिटी पूर्ण और बेहतर होगी
-इंटरनेशनल स्कालर का भी इंगेजमेंट बढ़ेगा
-स्टूडेंट्स को बेहतर करने का मोटिवेशन मिलेगा
-रिसर्च या जॉब के लिए भी प्राथमिकता मिलेगी।
- यूनिवर्सिटी को रैैंकिंग में मिलेगा खास बेनीफि
-क्वालिटी पीएचडी कराने वाले यूनिवर्सिटीज में नाम