कानपुर (ब्यूरो)। साइबर सिक्योरिटी के उभरते आयाम पर आईआईटी में चल रही इंटरनेशनल कांफ्रेंस में विशेषज्ञों ने सुरक्षा के चार क्षेत्रों की पहचान की है जिसमें विशेष सुरक्षा उपायों को लागू करने की जरूरत है। विशेषज्ञों ने भारत की नेट बैंङ्क्षकग प्रणाली को 2030 तक के लिए सुरक्षित माना और पोस्ट क्वांटम क्रिप्टोग्राफी अनुसंधान गतिविधियां तेज करने की जरूर भी बताई है। संचार माध्यमों में विदेशी उपकरणों पर निर्भरता को साइबर सुरक्षा के लिए खतरा माना है। सम्मेलन का उद्धाटन भारत के साइबर सुरक्षा समन्वयक व सम्मेलन के मुख्य अतिथि लेफ्टिनेंट जनरल एम यू नायर ने किया।
2030 तक पूरी तरह सुरक्षित माना
आईआईटी के साइबर सुरक्षा में प्रौद्योगिकी नवाचार केंद्र सी -3आई हब की की ओर से आयोजित सम्मेलन में साइबर सुरक्षा के विश्व स्तरीय विशेषज्ञ संस्थानों एमआइटीआरई, जार्ज मेसन यूनिवर्सिटी और न्यूयार्क यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञ भी शामिल हो रहे हैं। सी-3 आई हब के परियोजना निदेशक प्रो। संदीप शुक्ल ने बताया कि साइबर सुरक्षा की ²ष्टि से अत्यंत संवेदनशील चार क्षेत्रों इलेक्ट्रानिक वारफेयर - संचार माध्यम, सप्लाई चेन सिस्टम, विभिन्न क्षेत्रों में होने वाले हैकर्स के हमले और बैंकिग की पहचान की गई है।
सरकार को दिया जाएगा श्वेतपत्र
विशेषज्ञों ने ये माना है कि नेट बैंङ्क्षकग सिस्टम को क्वांटम कंप्यूङ्क्षटग आने यानी 2030 तक पूरी तरह सुरक्षित माना जा सकता है। यह अभी क्रिप्टोग्राफी से सुरक्षित है। भविष्य में इसे पोस्ट क्वांटम क्रिप्टोग्राफी के बगैर सुरक्षा नहीं दी जा सकेगी। उन्होंने बताया कि सम्मेलन में प्राप्त होने वाले सुझाव व निष्कर्षों को एक श्वेत पत्र में शामिल किया जाएगा। जिसे भारत सरकार को दिया जाएगा