कानपुर (ब्यूरो)। सचेंडी में सब्जी विक्रेता के आत्महत्या कांड में आरोपी दरोगा और सिपाही को बचाने के लिए मामले में सबूतों को अनदेखी कर फाइनल रिपोर्ट लगाने वाले इंवेस्टिगेशन ऑफिसर इंस्पेक्टर((आईओ) पर सस्पेंशन के बाद अब बर्खास्तगी की तलवार लटकने लगी है। एफआर कैंसिल होने के बाद सीनियर ऑफिसर्स के आदेश पर आईओ सचेेंडी के सेकेंड इंस्पेक्टर की विभागीय जांच शुरू कर दी गई है। सचेंडी थाने में तैनाती के दौरान जिन मामलों में सेकेंड इंस्पेक्टर ने जांच की है, उन सभी मामलों में री-इनवेस्टिगेशन के आदेश दिए गए हैैं। जबकि आत्महत्या प्रकरण में अब एडिशनल सीपी हेडक्वार्टर की मॉनिटरिंग में जाचं होगी। एडीसीपी वेस्ट मामले की जांच कर रिपोर्ट सौंपेंगे। वहीं आत्महत्या प्रकरण में मुख्य आरोपी चौकी इंजार्च सब्जी मंडी और उनके हमराह अजय यादव की बर्खास्तगी की तैयारी कर ली गई है।
दबाव बनाकर लिया शपथपत्र
फाइनल रिपोर्ट कैंसिल करने के बाद जब ये मामला मीडिया के सामने आया तो पुलिस अधिकारियों ने खुद को बचाने के लिए ताबड़तोड़ कार्रवाई शुरू कर दी। अब तक की जांच में सामने आया है कि मृतक के भाई (जिसने केस दर्ज कराया था) पर राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक दबाव बनाया गया। इस दबाव को बनाने में थाना पुलिस का मेन रोल रहा। जिसके बाद परिवार को समझौते के लिए तैयार कर लिया गया। पुलिस अधिकारियों को भनक भी नहीं लगी और विवेचनाधिकारी ने मृतक के भाई का 164 का बयान भी करवा दिया। ये बयान पुलिस के पक्ष में था और आनन फानन में इसमें फाइनल रिपोर्ट दाखिल कर दी, जांच के दौरान जब फाइल एडिशनल सीपी हेडक्वार्टर विपिन कुमार मिश्र के पास पहुंची तो आईओ के कारनामे की जानकारी हुई।
ये था सचेंडी सुसाइड प्रकरण
सचेंडी में चौकी इंचार्ज सतेंद्र कुमार और कांस्टेबल अजय यादव पर वसूली और उत्पीडऩ का आरोप लगाते हुए सब्जी विक्रेता सुनील राजपूत ने सुसाइड कर लिया था। मामले में सचेंडी थाने में दोनों पुलिसकर्मियों के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने और रंगदारी की एफआईआर दर्ज हुई थी। इस केस की जांच सचेंडी थाने के अतिरिक्त इंस्पेक्टर अनूप कुमार सिंह को दी गई थी। अनूप ने आरोपी दरोगा और सिपाही को बचाने के लिए खेल किया। मृतक सुनील राजपूत के अंतिम बयान यानी सुसाइड से पहले के बयान को दरकिनार कर दिया। इतना ही नहीं पीडि़त पर दबाव बनाकर आरोपी दरोगा और कांस्टेबल से समझौता कराकर शपथ-पत्र दिलाया कि इस केस में उन्हें कोई कार्रवाई नहीं करनी है। इसी शपथ-पत्र के आधार पर आईओ ने आरोपी दारोगा और कांस्टेबल को क्लीन चिट देते हुए केस में एफआर लगा दी।
मृत्यु पूर्व बयान से बड़ा कुछ भी नहीं
एडवोकेट शिवाकांत दीक्षित ने बताया कि इस मामले में पीडि़त युवक ने जान देने से पहले दो वीडियो फेसबुक पर अपलोड किए थे। जिसमें जान देने की वजह भी बताई थी। वीडियो में साफ था कि सचेंडी थाने की चकरपुर मंडी चौकी इंचार्ज सतेन्द्र कुमार और सिपाही अजय यादव के जबरन वसूली और उत्पीडऩ से आजिज होकर सुसाइड कर रहा है। इसके बाद फांसी लगाकर जान दे दी थी। दोनों पर फ्री की सब्जी लेने और मारपीट का आरोप लगाया था। सुप्रीम कोर्ट से लेकर सारे कोर्ट इस बयान को ही अंतिम बयान मानते हैैं।
किसके इशारे पर जांच में खेल
घटना के दौरान मौके पर पहुंचे पुलिस अधिकारी ने जब जांच शुरू की तो एक सीनियर ऑफिसर ने उन्हें इस मामले में इंटरफेयर न करने और दूसरे कामों की जिम्मेदारी सौंप दी। इसके बाद से जांच की दिशा और दशा लगातार बदलती चली गई और मामले में गुपचुप तरीके से पुलिस ने फाइनल रिपोर्ट लगा दी। सूत्रों की मानें तो थाने में मौजूद कुछ और पुलिस कर्मियों पर भी कार्रवाई की तलवार लटक रही है, जल्द ही कुछ और पुलिस कर्मियों को कार्रवाई की जद में लिया जा सकता है।
इन बिंदुओं पर आईओ ने किया खेल
- सोशल मीडिया पर जारी वीडियो की जांच नहीं कराई गई।
- वादी के अलावा किसी दूसरे व्यक्ति का बयान दर्ज नहीं किया गया।
- शव बरामद करने के दौरान पंचायतनामा में भी फेरबदल किया गया।
- किसी भी सब्जी विक्रेता (जो साथ में सब्जी बेचते थे) बयान दर्ज नहीं किया गया।