- आईआईटी के दो डिपार्टमेंट रेडियो आइसोटोप डेवलप करने में जुटे
- एसजीपीजीआई के न्यूक्लियर मेडिसिन के हेड साथ में काम कर रहे
KANPUR: आईआईटी कानपुर व एसजीपीजीआई लखनऊ के एक्सपर्ट न्यूुक्लियर मेडिसिन की दिशा में तेजी से काम कर रहे हैं। सिंथेसाइजर आइसोटोप डेवलप करने की दिशा में प्रोटोटाइप माडल डेवलप करने में एक्सपर्ट्स सफल हो चुके हैं। अगर इस आइसोटोप को डेवलप करने में सफलता मिल गई तो फ्यूचर में न्यूक्लियर मेडसिन ट्रीटमेंट सस्ता हो जाएगा। अभी तक जो आइसोटोप डेवलप किए जा रहे हैं वह अमेरिकन टेक्नोलॉजी पर बेस्ड हैं।
जर्मनी व अमेरिका का दबदबा
एसजीपीजीआई लखनऊ न्यूक्लियर मेडिसिन डिपार्टमेंट के हेड डॉ। संजय गंभीर ने बताया कि न्यूक्लियर मेडिसिन की फील्ड में देश में रिसर्च वर्क शुरू हुआ है। अभी तक न्यूक्लियर मेडिसिन की फील्ड में अमेरिका व जर्मनी में अच्छा काम हुआ है। हमारे डिपार्टमेंट में अमेरिकन इक्यूपमेंट का यूज किया जा रहा है। कुछ मशीनें जर्मनी की भी हैं। रेडियो आइसोटोप का यूज करके अर्ली एज का कैंसर डिटेक्ट किया जा सकता है।
पहला माडल डेवलप किया
इंडिया में इधर कुछ सालों में अचानक कैंसर के रोगियों में जबरदस्त वृद्धि हुई। इसका मेन रीजन हमारी लाइफ स्टाइल व फूड हैबिट है। जब कैंसर एडवांस स्टेज में पहुंच जाता है तब एमआरआई व सीटी स्कैन से डिटेक्ट किया जाता है। रेडियो आइसोटोप टेक्निक से शरीर के किस अंग में कैंसर होने की स्थिति बन रही है उसकी जानकारी मिल जाती है। न्यूक्लियर मेडिसिन की टेक्निक का ट्रीटमेंट काफी महंगा है। आईआईटी कानपुर के मैकेनिकल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के प्रोफेसर विशाख भट्टाचार्य व केमिकल इंजीनियरिंग के प्रो। शिवकुमार सिंथेसाइज रेडियो आइसोटोप पर काम कर रहे हैं। इसका पहला माडल डेवलप किया जा रहा है।