कानपुर (ब्यूरो)। 8 सितंबर को कालिंदी एक्सप्रेस हादसे मामले में जांच एजेंसियों को अभी तक कोई ठोस सबूत नहीं मिला है। मामले में अभी जांच चल रही है। इसी क्रम में ट्यूजडे को पुलिस ने ट्रेन के लोको पायलट और असिस्टेंट लोको पायलट के बयान दर्ज किए। दोनों ने कहा, सीटी फाटक पार करने के बाद अचानक सिलेंडर दिखाई दिया। अगर इमरजेंसी ब्रेक लगा दिए जाते तो ट्रेन डिरेल होने और बड़ा हादसा होने का खतरा था। लिहाजा धीरे धीरे ट्रेन रोकने के लिए ब्रेक लगाने शुरू किए थे, लेकिन ट्रेन रुक नहीं पाई और सिलेंडर को स्किड करती हुई आगे चली गई। वहीं, दो बार सफीना देने के बाद भी न आने की वजह पूछने पर बताया कि उनका शेड्यूल ट्रेन पर था और रेलवे की रिपोर्ट आने का वेट किया जा रहा था।
सीडीआर का एनालिसिस
डीसीपी वेस्ट राजेश कुमार ने बताया कि कई नंबर डंप डाटा से मिले हैैं। जिनका सॉफ्टवेयर से एनालिसिस नहीं कराया जा सकता है। लिहाजा उन नंबरों का एनालिसिस मैनुअली किया जा रहा है। अभी भी संदिग्ध लोगों से पूछताछ की जा रही है। जो नंबर सामने आ जाते हैैं, उन्हें बुलाकर पूछताछ की जा रही है। ज्यादातर नंबर फेक आईडी पर लिए गए हैैं। उन्होंने बताया कि सिलेंडर पर कुछ काम शुरू किया गया है, जल्द ही कुछ पॉजिटिव रिजल्ट सामने आएगा। अब तक 30 नंबर ही सामने आए हैैं।
रेलवे करेगा ब्लैक स्पॉट चिन्हित
एडिशनल सीपी लॉ एंड ऑर्डर हरीश चन्दर ने बताया कि रेलवे की टीम को ब्लैक स्पॉट्स चिन्हित करने के लिए कहा गया है। जो ब्लैक स्पॉट्स चिन्हित करके दिए जाएंगे, उस पर कानपुर कमिश्नरेट पुलिस, जीआरपी और आरपीएफ की टीमें लगातार पेट्रोलिंग करेंगी। प्रेमपुर के स्पॉट की जानकारी करने पर बताया कि ये स्पॉट स्टेशन से 200 मीटर की दूरी पर था लिहाजा इसे ब्लैक स्पॉट नहीं बनाया गया था। कानपुर कमिश्नरेट के क्षेत्र में जो भी ब्लैक स्पॉट हैैं वहां लगातार पेट्रोलिंग होगी।
एटीएस ने किया प्रेमपुर स्पॉट का निरीक्षण
एटीएस ने प्रेमपुर स्टेशन पर रेलवे ट्रैक पर मिले सिलेंडर वाले रेलवे ट्रैक का निरीक्षण किया। हालांकि अभी तक एटीएस इसे आस पास के लोगों की शरारत ही मान रही है। एटीएस सूत्रों की माने तो कोई भी आतंकी संगठन इतनी बड़ी रिस्क नहीं लेता है। सीधे सीधे फुल प्रूफ प्लानिंग के साथ वारदात को अंजाम देता है, लिहाजा इसे आतंकी घटना नहीं कहा जा सकता है। आज लखनऊ की फॉरेंसिक टीम प्रेमपुर आकर घटनास्थल पर सीन रिक्रिएट कर सकती है। फिलहाल घटनास्थल से छेड़छाड़ न की जाए, इसलिए लूप लाइन का कम इस्तेमाल किया जा रहा है। अब तक जीआरपी और आरपीएफ ने स्थानीय 56 लोगों से पूछताछ की है।
प्रधानों को सौंपी जाएगी जिम्मेदारी
लगातार रेलवे ट्रैक पर हो रही शरारत को देखते हुए थाना पुलिस को रेलवे ट्रैक के आस पास के गांवों की लिस्ट बनाने के लिए कहा गया है। पुलिस सूत्रों की माने कि ये तो नहीं हो सकता कि रेलवे ट्रैक पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं। प्लान है कि प्रधानों को जिम्मेदारी सौंपी जाएगी कि वे पेट्रोलिंग में हेल्प करें साथ ही गांव में रहने वाले मनबढ़ युवकों की निगरानी करें। पहले तो इस तरह की हरकत करने वालों पर प्रधान खुद ही गांव के स्तर पर समाधान कर लेंगे न समझने पर थाना पुलिस को मामले की जानकारी देंगे।
कालिंदी हादसे के मामले में बयान दर्ज किए जा चुके हैैं। जबकि प्रेमपुर हादसे के मामले में जीआरपी और आरपीएफ के साथ मिलकर काम किया जा रहा है। अगर जीआरपी और आरपीएफ कहीं मदद मांगेगी तो उन्हें पूरा सहयोग किया जाएगा।
हरीश चन्दर, एडिशनल सीपी लॉ एंड ऑर्डर कानपुर कमिश्नरेट