कानपुर (ब्यूरो)। रोड एक्सीडेंट में चोट लगने, स्पोट््र्स एंजरी या अन्य कारणों से कई बार शोल्डर(कंधा) के ज्वॉइंट जाम हो जाते हैं, जिसकी वजह से लोगों को हाथ हिलाने-डुलाने और ऊपर उठाने में काफी पेन होता है। अपने हाथ से खाना और पानी भी नहीं ले पाते हैं। चोट लगने पर किस वजह से कंधे जाम हो जाते हैं, इसका मुख्य कारण जीएसवीएसएस पीजीआई ने तलाशना शुरू कर दिया है। इस संबंध में पीजीआई के पेन मेडिसिन डिपार्टमेंट में 50 पेशेंट पर रिसर्च किया गया। इनमें से 30 पेशेंट सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस से ग्रसित मिले हैं।

रिसर्च का दायरा बढ़ाया गया
जीएसवीएसएस पीजीआई के पेन मेडिसिन डिपार्टमेंट में करीब छह महीने में ऐसे करीब 50 पेशेंट पर रिसर्च किया गया है, जिनको कंधे जाम, दर्द और गर्दन में समस्या थी। इसकी वजह से वह अपने हाथ से कुछ खा या पी भी नहीं पा रहे थे। जाम कंधे यानी फ्रोजन शोल्डर की वजह जानने के लिए जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में पहली बार 50 पेशेंट पर रिसर्च किया गया और 300 अन्य पेशेंट पर भी रिसर्च की जा रही है जो करीब तीन साल तक चलेगी।

तीन से छह साल तक रहती प्रॉब्लम
पेन मेडिसिन डिपार्टमेंट के नोडल ऑफिसर डॉ। चंद्रशेखर सिंह ने बताया कि फ्रोजन शोल्डर की समस्या तीन से छह साल तक बनी रहती है। नसों के दबने और फिर उनमें सूजन के कारण यह समस्या होती है। सूजन कम होने पर बीमारी अपने आप ठीक हो जाती है। जिन पेशेंट को अधिक समस्या होती है उनका रेडियो फ्रीक्वेंसी से ट्रीटमेंट किया जाता है। रिसर्च में नया कारण सामने आने के बाद अब पेशेंट को सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस की जांच कराने की भी सलाह दी जाएगी। साथ ही ऐसे पेशेंट को काफी देर तक गर्दन आगे झुकाने के लिए मना किया जाएगा। बीमारी की जांच के लिए पेशेंट की एमआरआई की जा रही है। कंधे में कोई दिक्कत नहीं होने पर गर्दन का एमआरआई कराया जा रहा है।

गर्दन की ब्लॉक नस भी खोलेगी नई तकनीक
प्रो। चंद्रशेखर सिंह ने बताया कि जिन पेशेंट्स को अधिक समस्या होगी, उनके गर्दन की ब्लॉक नसों को सलाई डालकर खोलने की नई तकनीक भी प्रयोग में लाई जाएगी। रिसर्च पूरा होने के बाद फ्रोजन शोल्डर के ट्रीटमेंट का एक नया प्रोटोकॉल तैयार किया जाएगा। उन्होनें बताया कि अन्य पेशेंट पर भी रिसर्च किया जाना है। अगर उनमें कोई और कारण सामने नहीं आता है तो सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस के प्रोटोकॉल का पालन किया जाएगा।

रिसर्च में कई अहम जानकारियां सामने आई हैं। अन्य पेशेंट पर भी रिसर्च किया जाना है। पूरा होने के बाद फ्रोजन शोल्डर के ट्रीटमेंट का नया प्रोटोकॉल तैयार किया जाएगा।
प्रो। चेंद्रशेखर सिंह, नोडल ऑफिसर, पेन मेडिसिन डिपार्टमेंट