कानपुर (ब्यूरो)। अगर आप भी रोडवेज की एसी व नॉन एसी बसों में अक्सर सफर करते हैं तो जरा अलर्ट रहने की जरूरत है। क्योंकि आपके बगल वाली सीट या फिर आपकी सीट के नीचे सील पैक पैकेट में क्या रखा है। इसकी जानकारी कंडक्टर व ड्राइवर को भी नहीं है। इस बॉक्स का मालिक कौन है। इसकी भी जानकारी बस व कंडक्टर को नहीं होती है। इन बॉक्स में आरडीएक्स, पिस्टल या फिर गैरकानूनी सामग्री भी हो सकती है। तो इस बात का ध्यान जरूर रखें की जर्नी के दौरान आपके आसपास भी ऐसा कोई सील पैक पैकेट रखा है तो इसकी शिकायत रोडवेज के कंट्रोल रूम नंबर में दीजिए।
तीसरी आंख देखती लेकिन ऑफिसर मौन
झकरकटी बस अड्डे में यह अवैध काम सालों से चल रहा है लेकिन इस पर अंकुश लगाने वाला कोई नहीं है। बस अड््डे में लगी सीसीटीसी कैमरे यानी की तीसरी आंख के सामने यह सारा अवैध काम होता है। इसके बावजूद ऑफिसर्स आंखें मूंदे हुए हैं। जबकि ऑफिसर्स की यह अनदेखी एक बड़ी घटना का कारण बन सकती है। अनजान व्यक्ति के दिए गए सील पैक बॉक्स को बस से एक स्थान पर दूसरे स्थान ले जाना, बस में सफर करने वाले पैसेंजर्स की जान के साथ खिलवाड़ है।
सीन-1 : 300 रुपये लिये और रखवा लिया सील पैक बैग
झकरकटी बस अड्डे में झांसी डिपो की यूपी 77 एएन 0512 खड़ी थी। एक व्यक्ति स्कूटी में दो सील पैक बैग लेकर आया। कंडक्टर से माल को झांसी पहुंचाने के लिए 300 रुपए में डील हुई। उस अनजान व्यक्ति ने कंडक्टर को पैसे देकर बस और उसके नंबर प्लेट की फोटो अपने मोबाइल से खींची और कंडेक्टर का फोन नंबर लिया और लगेज को बस में रख वापस चला गया। इस दौरान कंडक्टर ने यह तक जानने की कोशिश की उस बॉक्स में क्या हैं।
सीन-2: बस में लोड कर ली ट्यूबलर बैट्री
उरई डिपो की यूपी 78 जेटी 8730 झकरकटी बस अड्डे में खड़ी थी। तभी एक युवक स्कूटी से कंडेक्टर के पास आया और इनवर्टर चार्जर और ट्यूबलर बैट्री ले जाने की बात कहीं, कंडक्टर ने पहले उसको सौ रुपए बताए और बाद में ट्यूबलर बैट्री देखने के बाद 300 रुपए बोले, 300 रुपए में बात डन हो गई। जिसके बाद युवक ने कंडक्टर को पैसे दिए और बस के नंबर प्लेट की फोटो खींच कर चला गया।
सीन-3 : बोरी में क्या है, देखा तक नहीं
बस अड्डे के एंट्री गेट के अंदर की लीडर रोड की यूपी 70 एफटी 0510 एसी जनरथ बस खड़ी थी। तभी बस के पास एक तार आकर खड़ी हुई। उसमें से उतरे एक व्यक्ति ने कंडक्टर से बात की और फिर कार से सील पैक लोहे की रॉड जैसी तीन बड़े-बड़े लगेज को ड्राइवर केबिन में रख दिया। कंडक्टर ने प्लास्टिक की बोरी से कवर्ड उस लगेज में क्या है। खुलवाकर भी नहीं देखा न ही उससे पूछने की जहमत की।
कोरोना के बाद से पार्सल सेवा भी बंद
झकरकटी बस अड्डे में कोरोना काल के पहले तक लगेज पार्सल सेवा चल रही थी। कोरोना के बाद से यह सेवा बंद हो गई। पार्सल सेवा चलने के दौरान कंपनी के कर्मचारी बिना बुकिंग के बस में जाने वाली सामग्री पर नजर रखते थे और उसकी शिकायत तत्काल एआरएम से करते थे। तीन सालों से यह सुविधा बंद हो चुकी है। लिहाजा अब बिना किसी रोक टोक के बिना जांच के बसों में कामर्शियल लगेज भी यूपी के विभिन्न सिटी में भेजे जाते हैं।
कई बार बसों में पकड़ा जा चुका है गांजा
झकरकटी बस अड्डे में आने वाली बसों में कई बार गांजे की बड़ी खेप पकड़ी जा चुकी है। इसके बावजूद रोडवेज के आफिसर्स पैसेंजर्स की सुरक्षा को लेकर गंभीरता नहीं दिखाते है। इससे साफ है वह शायद किसी बड़ी दुर्घटना होने का इंतजार कर रहे है। उसके बाद ही ऑफिसर्स की गहरी नींद टूटेगी।