कानपुर (ब्यूरो)। काङ्क्षलदी एक्सप्रेस मामले में लखनऊ से आई एफएसएल की टीम ने घटना से जुड़ा नक्शा तैयार किया है। इस नक्शे के मुताबिक, ट्रेन से टकराने के बाद गैस सिलेंडर करीब 50 मीटर आगे जाकर गिरा। इस दौरान सिलेंडर 13 रेलवे स्लीपरों से टकराया। घटना किमी 37/17 के 17 स्लीपर पहले शुरू हुई। पहली टक्कर के बाद सिलेंडर 50 मीटर दूर 77वें स्लीपर के पास दाहिनी ओर पड़ा मिला। रेलवे में एक स्लीपर से दूसरे स्लीपर के बीच की दूरी 65 सेमी होती है। पहले स्लीपर से टक्कर के बाद सिलेंडर चौथे, सातवें, 12वें, 13वें, 14वें, 27वें, 39वें, 48वें और 50वें स्लीपर से टकराया।
सभी स्लीपर पर मिले निशान
इन सभी स्लीपर में टकराने के साफ निशान दिखाई पड़ रहे हैं। यह सभी निशान स्लीपर के बायीं तरफ हैं। मगर इसके बाद सिलेंडर दाहिनी ओर 59वें, 60वें और 70वें स्लीपर से टकराने के बाद सात स्लीपर आगे दाहिनी ओर ट्रैक से बाहर जाकर गिरा। टीम का मानना है कि सिलेंडर ट्रेन के साथ घिसटता नहीं गया, नहीं तो 77 स्लीपर में से अधिकांश में टकराने के निशान होते।
एफआईआर में दी गलत जानकारी
रेलपथ बिल्हौर के जूनियर इंजीनियर ने घटना के संबंध में जो मुकदमा शिवराजपुर में दर्ज कराया है, उसमें गलत तथ्य अंकित करा दिया है। रेलवे ने इसे गलती मानते हुए पुलिस को स्पष्टीकरण भेजा है। एफआईआर में दर्ज है कि लोको पायलट ने बताया है कि किमी 37/08 पर सिलेंडर ट्रेन से टकराया। मगर, सत्यता है कि ट्रेन और सिलेंडर की टक्कर किमी 37/17 और किमी 37/18 के बीच हुई।