कानपुर (ब्यूरो)। खाने पीने के शौकीन कानपुराइट्स फिटनेस फ्रीक भी हैं। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि कानपुराइट्स डेली 1.50 लाख नारियल पानी पी रहे हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि महज तीन सालों में ही नारियल पानी की डिमांड आठ गुना बढ़ गई है। जानकारों की मानें तो कोरोना काल के बाद लोग अपने हेल्थ को लेकर ज्यादा अवेयर हुए हैं। लोग फिट होने के बावजूद इम्यूनिटी पॉवर को मेनटेन करने के लिए कोकोनट वाटर का यूज कर रहे हैं। वहीं डॉक्टर्स भी डेंगू, मलेरिया समेत वायरल बीमारी में कोकोनट के पानी को बेहद लाभकारी बताते हैं। बताते चलें कि हर साल 2 सितंबर को कोकोनट डे मनाया जाता है। ऐसे में आज हम बात करेंगे शहर में नारियल पानी कहां से आता है। इसकी डिमांड ज्यादा क्यों है और क्यों जरूरी होता है। पढि़ए दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की स्पेशल रिपोर्ट


सिर्फ तमिलनाडु से डेली आते चार ट्रक
भौती स्थिति चकरपुर मंडी के व्यापारियों के मुताबिक कानपुर में डेली बंगलुरू, गुजरात, केरल और तमिलनाडू से बड़ी संख्या में कोकोनट सप्लाई होता है। वर्तमान में सिर्फ कानपुर में डेली 8 ट्रक कोकोनट की सप्लाई है। जिसमें सिर्फ तमिलनाडू से डेली चार ट्रक कोकोनट कानपुर की चकरपुर मंडी में आता है। यहां से फुटकर कोरोबारी कोकोनट अपनी सप्लाई के अनुसार खरीद कर ले जाते हैं।

तीन साल में आठ गुना बढ़ी डिमांड
चकरपुर मंडी के व्यापारी सौरभ पांडेय ने बताया कि बीते तीन साल पहले की बात करे तो कानपुर में डेली लगभग एक ट्रक कोकोनट की सप्लाई होती थी। वर्तमान में कानपुर के अंदर माध्यम व्यापारी तीन ट्रक कोकोनट सीधा तमिलनाडू, केरल समेत अन्य प्रदेशों से मांगते हैं। वहीं पांच ट्रक डेली चकरपुर मंडी में आता है। जहां से फुटकर कारोबारी कोकोनट को खरीद कर ले जाते है और कानपुराइट्स को फुटकर बिक्री करते हैं।

डेढ़ लाख कोकोनेट डेली पी जाते कानपुराइट्स
व्यापारियों के मुताबिक केरल, तमिलनाडू समेत विभिन्न प्रदेश से आने वाले मध्यम साइज के एक ट्रक में 15 हजार कोकोनट के पीस होते हैं। वहीं बड़े एक ट्रक में 20 हजार कोकोनट के पीस होते हैं। क्योंकि कानपुर में वर्तमान में डेली पांच बड़े ट्रक और 3 माध्यम ट्रक कोकोनट की सप्लाई है। इन आंकड़ों को जोड़ा जाए जाए तो डेली एक लाख 45 हजार कोकोनट की खपत सिर्फ कानपुर में है। ऐसा नहीं है कि इन कोकोनट के पानी का यूज किसी और खाद्य सामग्री में किया जाता है। इनका यूज सिर्फ कोकोनट का पानी पीने और गरी मलाई खाने में किया जाता है।

तीन प्रकार के होते कोकोनट
- छोटा हरा कोकोनट &पानी कम मोटी गरी ज्यादा&य
- बड़ा हरा कोकोनट, &पानी अधिक होने के साथ गरी मलाई&य
- पीला कोकोनट, &पानी की मात्रा अधिक, गरी मलाई भी नहीं निकलती&य

कोकोनट की कीमत का 25 परसेंट लग जाता भाड़ा
व्यापारी सौरभ पांडे ने बताया कि कोकोनट के एक ट्रक के कीमत का लगभग 25 परसेंट पैसा तो सिर्फ तमिलनाडू, केरल व अन्य प्रदेश से आने से भाड़े में लग जाता है। उन्होंने बताया कि एक ट्रक में लगभग साढ़े छह लाख रुपए का कोकोनट होता है। वहीं एक ट्रक का भाड़ा-भाड़ा दो लाख रुपए का होता है।

कोकोनट के फुटकर रेट रूट
- छोटा कोकोनट- 40- 50 रुपए
- बड़ा कोकोनट - 65-70 रुपए
- पीला कोकोनट- 70-75 रुपए