कानपुर (ब्यूरो)। एनटीसी और बीआईसी की 366 एकड़ जमीन पर क्लोजर रिपोर्ट आने के बाद ही कोई फैसला होगा। हालांकि अभी क्लोजर रिपोर्ट न आने से इस जमीन के प्रयोग के कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री के लाल इमली के पुनरुद्धार की घोषणा के बाद बीआइसी की जमीन पर जल्द नीति तय होने की उम्मीद है। इस बीच इम्प्लाइज को मुआवजा देने की तैयारी भी चल रही है।
प्रोडक्शन है बन्द
लाल इमली में 2013 से प्रोडक्शन बंद है। नीति आयोग 2017 में बीआईसी की बंदी की सिफारिश कर चुका है.जानकारों का कहना है कि पीएमओ से एनटीसी और बीआईसी की जमीन को जोड़कर क्लोजर रिपोर्ट बनाने के आदेश के कारण पेंच फंसा है। अगर दोनों की क्लोजर रिपोर्ट अलग-अलग तैयार करने का आदेश होता तो अभी तक बीआईसी की जमीनों पर फैसला हो सकता है।
क्लोजर रिपोर्ट के बाद स्टेट गवर्नमेंट को नीति तैयार करनी होगी। एक अक्टूबर को बनाई गई रिपोर्ट के अनुसार 300 इम्प्लाइज मुआवजा का भुगतान होना है। इन इम्प्लाइज का करीब 87 करोड़ रुपया अभी बकाया है। बीआईसी की क्लोजर रिपोर्ट बनकर पूरी तरह से तैयार है, लेकिन एनटीसी की क्लोजर रिपोर्ट आधी अधूरी है। ऐसे में अब दोनों को अलग-अलग करने की तैयारी चल रही है। अगर ऐसा हुआ तो आने वाले तीन से चार महीने में बीआइसी की बंदी प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।
बीआइसी और एनटीसी की जमीन
बीआईसी की लाल इमली, धारीवाल, कानपुर टेक्सटाइल, एल्गिन मिल की लगभग 66 एकड़ जमीन है। वीआईपी रोड, सिविल लाइंस, खलासी लाइन, ग्वालटोली, मैकरावर्टगंज में बीआईसी की मिले और बंगले हैं। एनटीसी की करीब 300 एकड़ जमीन है। इसमें स्वदेशी काटन मिल जूही-हमीरपुर रोड, अर्थटन मिल जरीब चौकी, म्योर मिल परेड, न्यू विक्टोरिया मिल ग्वालटोली शामिल है।