आई एक्सक्लूसिव
- असलहा ऑफिस में सब 'गोलमाल' है
- असलहा विभाग हमेशा से रहा है सवालों के घेर में, फिर सामने आया काला सच
- कलेक्ट्रेट का एक बड़ा अधिकारी है फर्जी असलहा लाइसेंस जारी करने का मास्टरमाइंड, कर्मचारी के साथ मिलकर किया फर्जीवाड़ा
-अधिकारी ने ही कैंप ऑफिस में देर रात धोखे में रख कर कराए थे फाइल पर डीएम के सिग्नेचर, सालों से चल रहे हैं इस तरह के कारनामे
kanpur@inext.co.in
KANPUR : असलहा विभाग और उसके कर्मचारियों के काम करने का तरीका हमेशा से सवालों के घेरे में रहा है। असलहा बाबू की पोस्ट पर ट्रांसफर के लिए मोटी रकम से लेकर हाई लेवल तक सोर्स-सिफारिश और जुगाड़ चलता है। कलेक्ट्रेट से फर्जी लाइसेंस जारी होने के बाद यह काला सच एक बार फिर सामने आ गया है। लेकिन इसके बाद भी आरोपियों को कार्रवाई के बजाए मामले को दबाने और लीपापोती के प्रयास शुरू हो गए हैं।
सूत्रों के मुताबिक कलेक्ट्रेट का एक बड़ा अधिकारी और कर्मचारी ही इस पूरे खेल के मास्टरमाइंड हैं। और सालों से यह खेल चल रहा है। इसी अधिकारी ने ही डीएम को अंधेरे में रखकर देर रात कैंप ऑफिस में फाइल पर सिग्नेचर कराए थे। इनके इशारे पर ही विभाग में 5 साल से अवैध रूप से काम कर रहे जीतेंद्र ने बुक में एंट्री कर दी और लाइसेंस जारी कर दिया। फिलहाल जीतेंद्र लापता है।
डीएम के आदेश भी अनसुने
सूत्रों के मुताबिक अधिकारी के खास इस कर्मचारी के पास ही फर्जी तरीके से जारी किए गए लाइसेंस की फाइलें हैं। इनमें से एक फाइल मिल भी चुकी है और डीएम के सामने पेश हो चुकी है। हाल ही में डीएम ने सभी कर्मियों की अटैचमेंट को समाप्त कर दिया था। इसकी जगह पर बिल्हौर में तैनात कर्मी मनोज को नियुक्ति दी गई थी। कर्मचारी ने सिटी मजिस्ट्रेट के पास ज्वॉइनिंग भी दे दी थी, लेकिन अधिकारी के निर्देश पर इसे रिलीव तक नहीं किया गया।
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5 साल से अवैध्ा कर्मचारी
अधिकारियों की ये बड़ी लापरवाही ही है कि पिछले 5 साल से असलहा विभाग में अवैध तरीके से एक युवक काम कर रहा था। यह फाइलों में एंट्री तक करता था, जबकि ये पूरी तरह से गैरकानूनी है। यही नहीं विभाग के कर्मचारी ही मिलकर इसको सैलरी देते थे। ऐसे युवक पूरे कलेक्ट्रेट में विभिन्न विभागों में काम कर रहे हैं।
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मैं रहूंगा या ये कर्मचारी
विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक सिटी मजिस्ट्रेट को भी असलहा के कई मामलों में अंधेरे में रखा गया। जांच के दौरान उन्होंने साफ कहा है कि अब या तो 'मास्टरमाइंड' कर्मचारी रहेगा या वह खुद रहेंगे। हालांकि सिटी मजिस्ट्रेट ने बड़े अधिकारी की पूरी जानकारी डीएम को इशारों-इशारों में दे दी है।
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जांच किसी और काे दी जाए
जांच पर भी सवाल खड़े होने लगे हैं। कलेक्ट्रेट में कर्मचारियों का कहना है कि आखिरी सिटी मजिस्ट्रेट ऑफिस से ही बुकलेट जारी की गई, तो इसमें उनको जांच न देकर किसी और को जांच दी जानी चाहिए।
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एक असलहा हुआ कैंसिल
सूत्रों के मुताबिक गूबा गार्डन निवासी अजय सोनकर का लाइसेंस भ्रष्टाचार कर जारी किया गया। इस लाइसेंस पर धोखे से डीएम के सिग्नेचर कराए गए। इसकी लाइसेंस फाइल पहले गायब थी, लेकिन देर रात कलेक्ट्रेट पहुंचे सहायक असलहा बाबू संजय श्रीवास्तव ने ये फाइल खोज कर दे दी। चर्चा है कि डीएम ने इस लाइसेंस को कैंसिल कर दिया है।
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इन सवालों के जवाब कौन देगा
-फर्जी शस्त्र लाइसेंस की फाइलें कहां हैं, सिर्फ एक फाइल कैसे मिली?
-आरोपी कर्मचारियों पर कार्रवाई या एफआईआर क्यों नहीं की गई?
-बिल्हौर में तैनात कर्मी 1 महीने बाद भी रिलीव क्यों नहीं हुआ?
-अगर बाबू विनीत छुट्टी पर था, तो रजिस्टर में एंट्री किसने की?
-विभाग में जीतेंद्र 5 साल से अवैध तरीके से कैसे काम कर रहा था?
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इनका ट्रांसफर असलहा विभाग में हुआ है। लेकिन हमारे पास कोई रिप्लेसमेंट नहीं है, इसलिए कर्मी को रिलीव नहीं किया गया है।
-हिमांशु गुप्ता, एसडीएम बिल्हौर।
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