कानपुर (ब्यूरो)। ट्रांस गंगा हाईटेक सिटी में सैकड़ों की संख्या में प्लॉट एलॉट हो चुके हैं। मकान और फैक्ट्री बनने लगे हैं, घर भी बसने लगे। लेकिन इस सिटी में प्रपोज्ड दोनों सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स का अब तक अता-पता नहीं है। एलॉटीज की मानें तो एसटीपी के लिए एरिया जरूर सेलेक्ट किया जा चुका है, लेकिन अब कंस्ट्रक्शन शुरू नहीं हुआ है। यूपीसीडा ऑफिसर इस पर चुप्पी साधे हुए हैं। डेवलपमेंट के नाम पर इंडस्ट्रिलिस्ट्स हों या फिर रेजीडेंशियल अलॉटी, अब तक धोखा ही मिला है।
हजारों की संख्या में प्लॉट
ट्रांसगंगा सिटी 1141 एकड़ में बसाई जा रही है। इसमें ग्र्रुप हाउसिंग सहित 2071 रेजीडेंशियल प्लॉट हैं, इनमें से 538 प्लॉट एलॉट भी हो चुके हैं। यहीं नहीं एक दर्जन से अधिक लोग मकान बनवा रहे हैं या फिर रहने लगे हैं। इसी तरह 35 इंडस्ट्रियल प्लॉट हैं, जिनमें से 20 एलॉट हो चुके हैं। इनमें से कई प्लॉट्स में फैक्ट्रीज भी बनाई जा रही है। हालांकि अब तक मिक्स यूज्ड एंड इंस्टीट्यूशनल प्लॉट एलॉट करने में यूपीसीडा को कामयाबी नहीं मिली है।
दो सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट
1144 एकड़ में बसाई जा रही है इस सिटी में हजारों की संख्या में पापुलेशन, फैक्ट्रीज, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स आदि को देखते हुए यूपीसीडा ने दो सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट प्रपोज किए। लेआउट प्लान तैयार करते समय यूपीसीडा इनके लिए सेक्टर और हजारों स्क्वॉयर जमीन भी फाइनल कर चुके हैं।
जीरो लिक्विड डिस्चार्ज
तत्कालीन यूपीएसआईडीसी (अब यूपीसीडा) ऑफिसर्स ने दावा किया था
यह सिटी जीरो लिक्विड डिस्चार्ज होगी। यहां से निकलने वाले सीवेज व अन्य गन्दा पानी सीवेज प्लांट्स में जाएगा। जहां ट्रीटमेंट होने के बाद यही पानी पार्को, सेंट्रल ग्र्रींस, मास्टर प्लान ग्र्रीन आदि में यूज किया जाएगा।
कहां जाएगा पॉल्यूटेड वॉटर
ट्रांसगंगा सिटी की आधार शिला रखे दस वर्ष होने को हैं, अब तक यहां दो में कोई भी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट शुरू नहीं हो सके। वहीं 538 रेजीडेंशियल प्लॉट में से कई में मकान बन रहे हैं या बन चुके हैं। एक मकान में तो लोग फैमिली के साथ रहने भी लगे हैं। इसी तरह कई फैक्ट्रीज भी बन रही हैं। परमानेंट इलेक्ट्रिसिटी कनेक्शन भी मांगने लगे है। जाहिर है जब इन मकानों में लोग फैमिली के साथ रहने लगेंगे और फैक्ट्रीज रन करने लगेंगी तो पाल्यूटेड वाटर निकलेगा।
जीएम ने नहीं दिया जवाब
सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट न बनने से इस गन्दे पानी का ट्रीटमेंट नहीं हो सकेगा। ग्र्राउंड वाटर और आसपास के एटमास्फियर को पाल्यूटेड करने की वजह बनेगा। इस संबंध में जब यूपीसीडा के जीएम सिविल एके अरोरा से कॉल व वाट्स अप पर बात करने का प्रयास किया गया तो उन्होंने जवाब नहीं दिया। बिजनेस प्रमोशन एंड पब्लिसिटी सेल के इंचार्ज खान बसी भी कुछ स्पष्ट जानकारी नहीं दे सके।