कानपुर (ब्यूरो)। शहर के चौराहों पर चल रहे अवैध स्टैंड लाखों की कमाई के अड्डे बन चुके हैं। बिना टोकन मनी दिए कोई गाड़ी सवारी नहीं बैठा सकती। इसलिए स्टैंड पर कब्जे की जंग भी चलती रहती है। जिस पर थाना पुलिस का हाथ रहता है उसी के हाथों में स्टैंड की कमान रहती है। कब्जे की जंग में आए दिन खुलेआम झगड़ा मारपीट भी होती है। दो दिन पहले इसी जंग में नौबस्ता चौराहे पर अवैध स्टैंड संचालकर हरिकरन की दिल दहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई। चौकाने वाली बात ये है कि खून बहने के बाद भी वसूली खेल जारी है। फिर वो नौबस्ता चौराहा हो या फिर रामादेवी और बर्रा। हर चौराहे पर स्टैंड संचालक के गुर्गे हाथों में डंडा लिए खुलेआम टेम्पो, ऑटो आदि वाहनों से वसूूली करते दिखे।
पुलिस का नहीं है कोई खौफ
नौबस्ता चौराहे पर स्टैंड पर कब्जे की जंग में जान गंवाने वाले हरिकरन ङ्क्षसह घाटमपुर और हमीरपुर की ओर जाने वाली डग्गमार गाडिय़ों का स्टैंड संचालित करते थे। जबकि ऑटो और विक्रम का अवैध स्टैंड राजू पासवान नाम का शख्स अपने एक साथी के साथ चला रहा है। फ्राइडे सुबह हरिकरन की हत्या कर दी गई। इसके बाद भी संचालक के गुर्गों की वसूली जारी रही। किसी को पुलिस अधिकारियों का कोई खौफ नहीं दिखा। हालांकि वैन चालकों से तो वसूली नहीं की गई्र पर ऑटो-टेम्पो व दूसरे रूट के पिकअप चालकों से वसूली जारी थी।
चौकी के सामने ही सब कुछ
उस्मानपुर से बर्रा को जाने वाले ऑटो चौकी के सामने ही सडक़ घेरकर खड़े थे। कंधे पर अंगौछा रखा व्यक्ति आटो चालकों से रुपये ले रहा था। वहीं, दूसरी तरफ बर्रा से नौबस्ता आने वाली सडक़ पर किनारे ऑटो चालकों से भी सफेद शर्ट पहले व्यक्ति खुलेआम रुपये वसूल रहा था। जबकि चौराहे पर ट्रैफिक पुलिसकर्मी भी तैनात थे, लेकिन कोई सख्ती नहीं दिखी। नौबस्ता थाना प्रभारी जगदीश पांडेय ने बताया कि उन्होंने पुलिसकर्मियों को लगाया है। कोई शिकायत वसूली की मिलती है तो आरोपी पर केस दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी। अब सवाल ये है कि शिकायत करने कौन जाएगा?
नौबस्ता चौराहा से हर महीने छह लाख की वसूली
वैन चालक लल्लन ने बताया कि स्टैंड पर 100 से ज्यादा वैन नौबस्ता से हमीरपुर तक चलती हैं, जिनसे 100 रुपये प्रतिमाह और 50 रुपये रोज संचालक वसूलते थे। इस हिसाब से करीब ढाई लाख रुपये महीने वसूली होती है। वहीं, ऑटो चालक कृपाल ने बताया कि नौबस्ता चौराहे पर अलग-अलग रूट पर करीब 250 से ज्यादा आटो और 100 के करीब विक्रम हैं। ऑटो से 20 और 15 रुपये राजू पासवान, लल्लन अवस्थी और शंभू व उनके गुर्गे वसूली करते हैं। जबकि विक्रम से 30 रुपये प्रतिदिन वसूले जाते हैं। इस हिसाब से महीने में आटो से करीब 2.62 लाख रुपये और विक्रम से करीब 90 हजार रुपये वसूली होती है। यानी नौबस्ता चौराहे से छह लाख से ज्यादा की वसूली होती है।
खींच लो फोटो, कुछ नहीं होगा
बर्रा बाईपास चौराहे पर दोपहर लाल रंग की टीशर्ट पहने एक युवक जलापूर्ति वाला मोटा पाइप डंडे की तरह पकड़े हुए दिखा। वह यादव मार्केट चौकी के ठीक पीछे खड़े ई-रिक्शा चालकों से रुपये वसूल रहा था। उसकी फोटो खींची गई तो उसने पहले पूछा कि क्या रहे हो। फिर कुछ देर शांत रहने के बाद उसने कहा कि मेरे परिचित भी कई पत्रकार हैं। उसने अपना नाम सुनील बताया। जब उससे बर्रा बाईपास के अवैध स्टैंड संचालक का नाम पूछा तो सुनील त्रिवेदी नाम बताया। बर्रा बाईपास से नौबस्ता जाने वाले वाहनों के चालकों से पंकज, गोङ्क्षवद नगर जाने वाले वाहनों से बउवन और कर्रही आने-जाने वाले वाहनों से उसके खुद के वसूली करने की बात बताई। चौराहे से हर महीने करीब डेढ़ लाख रुपये की वसूली होती है।
टोकन नहीं तो सवारी नहीं
अवैध स्टैंड संचालक की हत्या के बाद स्टैंड से होने वाली वसूली के आरोपों की जांच खुद एसीपी ट्रैफिक सृष्टि ङ्क्षसह कर रही हैं। उन्होंने चालकों के बयान दर्ज किए। कुछ चालक तो बातों को घुमाते हुए चुप्पी साधने लगे, लेकिन कुछ ने अवैध स्टैंड ही हत्या की वजह बताते हुए वसूली के तंत्र का पर्दाफाश किया। एसीपी ने जब रुपये न देने की बात कही तो चालकों ने कहा कि रुपये न दें तो संचालक वैन खड़ी नहीं होते देते हैं। एसीपी ने करीब 10 चालकों के बयान लिए और चौराहे का जायजा लेकर लौट गईं।