कानपुर (ब्यूरो)। बॉडी अगर आप भी बॉडी के ज्वाइंट पेन यानी जोड़ों के दर्द की समस्या से जूझ रहे हैं तो इसे नार्मल समझ कर बिल्कुल भी इग्नोर न करें। क्योंकि यह खतरनाक साबित हो सकता है। डॉक्टर्स के मुताबिक, ज्वॉइंट पेन का समय से इलाज न कराने पर पांच से आठ साल में यह गंभीर समस्या बनकर सामने आता है। इससे फेफड़े, किडनी, हार्ट समेत बॉडी के अन्य आर्गन डैमेज हो सकते हैं। एक स्टेज के बाद पेशेंट चलने फिरने में भी असमर्थ हो जाता है। पहले दो केसेस से समझिये, क्या होती है प्रॉब्लम।

केस-1 - कंधे में दर्द से हुई शुरुआत
शास्त्री नगर निवासी 40 वर्षीय रविंद गुप्ता ने बताया कि करीब चार साल पहले शुरुआत में कंधे, जोड़ों, अंगुली व फिर पूरे शरीर में दर्द की समस्या शुरू हुई थी। फिर धीरे-धीरे कंधा जाम और वजन भी कम होने लगा। साथ ही पूरे शरीर में सूजन आ गई। आधा दर्जन से अधिक डॉक्टरों से परामर्श लिया, लेकिन बीमारी में आराम नहीं मिला। एक डॉक्टर ने तो टाइफाइड समझकर इलाज किया। यहां तक आयुर्वेदिक दवाएं भी ली। तभी वह मार्च 2024 को हैलट की स्पेशल ओपीडी में पहुंची और यहां पर डॉक्टर ने बीमारी डायग्नोस कर इलाज शुरू किया। अब तक पहले से काफी ठीक है और लोगों को इस समस्या के प्रति अवेयर भी कर रहे हैं।

केस-2- पैरों में दर्द के साथ सीने में जलन
घाटमपुर निवासी 46 वर्षीय अनीता सिंह ने बताया कि करीब 10 साल पहले हाथ व पैरों में दर्द होने के साथ ही सीने में जलन की समस्या हुई, जो रात को अधिक होती थी। फिर खाना-खाने में दिक्कत, कुछ भी खाने में उल्टी, बॉडी में सूजन, सर्दियों में हाथ नीले पडऩे और यहां तक अंगुली खराब भी गलने लगी। साथ ही कान, नाक व मुंह में दिक्कत के साथ सूजन हो गई। समस्या से निदान पाने के लिए कानपुर में कई प्राइवेट हॉस्पिटल, इटावा, लखनऊ समेत एक दर्जन डॉक्टर्स से परामर्श लिया, लेकिन आराम नहीं मिला। जुलाई 2023 में हैलट में दिखाने पर धीरे-धीरे आराम मिलना और वह अब स्वस्थ जीवनयापन कर रहीं हैं।

ऑटो इम्यून डिसीज
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन डिपार्टमेंट की स्पेशल ओपीडी में डॉ। आरके वर्मा के पास डेली एक दर्जन से अधिक पेशेंट इस समस्या के साथ ट्रीटमेंट के लिए पहुंच रहे हैं। जिनका इम्यून सिस्टम ने ही उनकी बॉडी के लिए समस्याएं बढ़ा दी। पेशेंट को शुरुआत में जोड़ों में दर्द होने के बाद धीरे-धीरे बॉडी में अन्य समस्या भी शुरू हो गई। इसमे हैरानी की बात तो ये है जोड़ों में दर्द होने पर कई पेशेंट ने सही डॉक्टर्स का चुनाव तक नहीं किया।

गिलास उठाने तक को मोहताज
डॉ। आरके वर्मा ने बताया कि जिन डॉक्टरों को पेशेंट ने अपनी समस्या बताई तो वह भी बीमारी को ठीक तरह से डायग्नोस नहीं कर सके और गठिया की दवा चलाते रहें। नतीजन पेशेंट की समस्या कम होने के बजाए और अधिक बढ़ी। यहां तक पेशेंट ठीक से चलना-फिरना तो दूर अपने हाथ से खाना खाने और पानी का गिलास उठाने तक को मोहताज हो गए। स्किन का रंग बदलने लगा और हाथों की अंगुली खराब होने लगी। स्पेशल ओपीडी में रूमेटाइड अर्थराइटिस व सिस्टमिक स्क्लेरोसिस की बीमारी से ग्रस्त कई पेशेंट को लाभ मिल रहा है, जो इम्यून डिजीज से ग्रस्त है।

शरीर की स्वस्थ कोशिकाओं को पहुंचाने लगती क्षति
डॉ.आरके वर्मा ने बताया कि शरीर में इम्यून सिस्टम की वजह से समस्या बढऩे की स्थिति को ऑटोइम्यून डिजीज कहा जाता है। ऑटोइम्यून रोग, प्रतिरक्षा प्रणाली की समस्या है, जिसमें यह शरीर की स्वस्थ कोशिकाओं को ही अपना दुश्मन मानकर क्षति पहुंचाने लग जाती है। जबकि यहीं प्रतिरक्षा प्रणाली, जिसे इम्यून सिस्टम कहा जाता है। वह बॉडी को बीमारियों से बचाने में मदद करती है। जब यह स्वस्थ कोशिकाओं व अंग को दुश्मन मान लेती है तो जोड़ों के साथ फेफड़े, स्किन, मांसपेशी, किडनी व हार्ट की समस्या होने लगती है। यह समस्या अनुवांशिक व पर्यावरण की वजह से भी होती है।

इन बातों का रखें ध्यान

-ऑटोइम्यून बीमारी, शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली का एक विकार है, जिसमें यह अपने ही स्वस्थ ऊतकों पर हमला कर देती है।
-ऑटोइम्यून बीमारियों को स्वप्रतिरक्षी रोग भी कहा जाता है।
-इनमें से कुछ आम बीमारियां हैं - ल्यूपस, रुमेटीइड गठिया, क्रोहन रोग, और अल्सरेटिव कोलाइटिस।
-इन बीमारियों के लक्षण, शरीर के जिस हिस्से में समस्या हो, उस पर निर्भर करते हैं।
-इन बीमारियों का इलाज, उस बीमारी के प्रकार पर निर्भर करता है।
-इन बीमारियों के लक्षणों को कम करने के लिए, रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करना, पौष्टिक भोजन करना, और नियमित रूप से व्यायाम करना मददगार होता है।