कानपुर (ब्यूरो)। एडी माध्यमिक की फेक ईमेल से डीआईओएस कानपुर नगर को फेक टीचर पैनल भेज कर फर्जी टीचर्स की भर्ती कराने के मामले का थर्सडे को खुलासा हो गया। पूरे मामले में पुलिस ने पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिसमें एक आरोपी माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड से रिटायर्ड चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी लाल सिंह हैै। गिरफ्तार किए गए तीन आरोपी प्रयागराज और दो मिर्जापुर के रहने वाले हैैं। डीसीपी सेंट्रल श्रवण कुमार गौतम ने बताया कि इंवेस्टिगेशन के दौरान सामने आया कि फर्जी ईमेल आईडी को लाल सिंह के कहने पर विवेक द्विवेदी और शिवम कुमार विश्वकर्मा ने तैयार की थी। लाल सिंह ने ही डीआईओएस की आफिशियल ईमेल पर फेक टीचर पैनल को मेल करने के लिए कहा गया था। इस काम के लिए विवेक और शिवम को दो लाख रुपए मिले थे।
मिर्जापुर से जुड़ गए तार
पुलिस ने बताया कि इलेक्ट्रानिक इविडेंस से इंवेस्टिेगशन के दौरान पूरे मामले में मिर्जापुर के काशी प्रसाद जायसवाल जूनियर हाईस्कूल लाल डिग्गी के मैनेजर दिनेश पांडेय और केवीपीजी डिग्री कालेज मिर्जापुर के लैब टेक्नीशियन अभिनव त्रिपाठी की संलिप्तता पाई गई। पुलिस ने इनको भी अरेस्ट कर लिया है। पांचों आरोपियों के पास से पांच मोबाइल और 11500 रुपए कैश मिले हैैं।
एसआईटी ने किया खुलासा
मामले की इंवेस्टिगेशन को सीबीआई की तर्ज पर किया जा रहा है। आरोपियों के स्टेटमेंट की वीडियो रिकॉर्डिंग और इविडेंस को रिकॉर्ड किया जा रहा है। मामले में पुलिस किसी भी तरह की चूक नहीं करना चाहती है। मामले की इंवेस्टिगेशन के लिए एसआईटी बनाई गई थी, जिसमें कर्नलगंज और ग्वालटोली थाने की टीम की भूमिका रही है। इसके अलावा सर्विलांस सेल ने भी मामले के खुलासे में इंपार्टेंट रोल प्ले किया है।
50 लाख से ज्यादा लेनदेन की चैट
सूत्रों ने बताया कि आरोपियों ने प्रति कैंडीडेट नौकरी लगवाने के नाम पर मोटी रकम ली है जो कि लाखों में है। इंवेस्टिगेशन में 50 लाख से ज्यादा की व्हाट्सएप चैट मिली है। पुलिस की ओर से डीआईओएस आफिस में की गई इंवेस्टिगेशन में कई डिपार्टमेंट के लोगों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे थे। अब देखना यह है कि मामला यहीं खत्म हो जाएगा या जांच की जद में डिपार्टमेंटल लोग भी आएंगे। मामले का सरगना लाल सिंह है। पुलिस का कहना है कि अभी पांच से ज्यादा अरेस्टिंग हो सकती हैैं। इसके अलावा एफआईआर में शामिल तीन आरोपी अरेस्टिंग के खिलाफ स्टे ले आए हैैं।
यह है पूरा मामला
26 अक्टूबर को डीआईओएस कानपुर नगर की ईमेल पर एडी माध्यमिक की फेक ईमेल से एक मेल आती है। मेल में माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड से सिलेक्टेड नौ फेक टीचर्स का पैनल होता है। डीआईओएस आफिस के अफसर और कर्मचारी फेक ईमेल को एडी माध्यमिक की ईमेल मानकर प्रोसेस शुरू कर देते हैैं, जिसके बाद मदन मोहन अग्रवाल इंटर कालेज किदवई नगर में विनीता ने दिसंबर महीने मेें टीजीटी पद पर नौकरी ज्वाइन की और मार्च महीने तक 2.59 लाख सैलरी भी उठा ली है। वहीं मार्च महीने में रिक्षा पांडेय ने आर्य कन्या इंटर कॉलेज गोविंद नगर में पीजीटी पोस्ट पर ज्वाइन किया। मामले का खुलासा आर्य कन्या इंटर कालेज के मैनेजर और डीआईओएस अरुण कुमार की ओर से वेरीफिकेशन के लिए बोर्ड को भेजे गए लेटर के बाद हुआ है। मामले में एफआईआर के पहले से ही विनीता ने कॉलेज आना बंद कर दिया और रिक्षा ने इस्तीफा दे दिया है। पूरे मामले में लापरवाही बरतने के आरोप में डीआईओएस आफिस के प्रधान सहायक राजन टंडन और वरिष्ठ सहायक सुनील को सस्पेंड किया जा चुका है।
इन सुलगते हुए सवालों के जवाब हैैं बाकी
डिपार्टमेंट के लोगों को क्लीनचीट या उनकी भी भूमिका संदिग्ध।
फेक ईमेल को क्यों नहीं पहचान पाए डीआईओएस आफिस के कर्मचारी। फर्जी नियुुक्ति के लिए कानपुर के स्कूलों को ही क्यों चुना गया।
नियुक्ति और ज्वाइनिंग से पहले वेरीफिकेशन क्यों नहीं कराया गया।