कानपुर (ब्यूरो)। Cyber Crime News: फेस्टिवल सीजन आ गया है। एक तरफ कारोबारियों ने अपनी शॉप्स में प्रोडक्ट स्टॉक करने शुरू कर दिए हैैं। दूसरी तरफ ई-कॉमर्स कंपनियां भी ग्राहकों को लुभावने ऑफर दे रही हैैं। फेस्टिवल सीजन को देखते हुए साइबर फ्रॉड करने वाले भी एक्टिव हो गए हैं। साइबर शातिरों ने ओरिजनल कंपनियों की मिलती-जुलती साइट्स बनाकर ठगी का नया पैतरा निकाला है। ऐसे शातिरों पर शिकंजा कसने के लिए साइबर सेल की टीम ने भी कमर कस ली है। फेस्टिवल से पहले अवेयरनेस प्रोग्राम चलाया जा रहा है।

ऑनलाइन शॉपिंग के दौरान साइबर ठगी से कैसे बचें।

1.फिशिंग लिंक से भी सावधान.
ऑनलाइन शॉपिंग करते समय अक्सर ग्राहकों को उनके ऑर्डर की स्थिति के बारे में अपडेट करने के लिए ट्रैकिंग लिंक भेज दिए जाते हैं। कई बार हैकर्स ऐसी लिंक का फायदा उठाकर नकली लिंक (फिशिंग लिंक) भेजते हैं। इन पर क्लिक करते ही बैंक अकाउंट खाली हो जाता है।

2. डाटा चोरी भी अहम प्रॉब्लम.
साइबर चोर ऑनलाइन शॉपिंग करने वाले ग्राहकों का डेटा संकलित करते हैं। शातिर, ऑर्डर करने के चंद घंटों के अंदर फिशिंग लिंक भेज देते हैं। लिंक देखने में तो असली कंपनी के लिंक जैसा ही लगता है। जिससे ग्राहकों को धोखा हो जाता है।

3.लिंक जरूर करें चेक.
साइबर ठग ग्राहकों की ऑनलाइन गतिविधियों पर नजर रखते हैं। फेक लिंक भेजकर उन्हें फंसाते हैं। ग्राहक इन लिंक पर क्लिक कर अपनी निजी जानकारी अपडेट करते हैं। जिससे ठगी का शिकार हो जाते हैं। किसी भी लिंक पर क्लिक करने से पहले उसे चेक करें। यूआरएल और डोमेन नेम को ध्यान से देखें। यह पक्का करें कि वह असली कंपनी से मेल खा रहा है या नहीं।

4.ऑर्डर के समय को भी देखें.
यह भी ध्यान रखें कि ऑर्डर करने के कितने घंटे बाद आपके पास लिंक पहुंचा है। अगर यह सामान्य समय से पहले आया है तो सावधानी बरतें।

5.मैसेज की सत्यता भी चेक करें.
कंपनी से आने वाले मैसेज को ध्यानपूर्वक पढ़ें। यदि किसी संदेश में वेयरहाउस का पता अपडेट करने या अन्य किसी जानकारी अपडेट करने की रिक्वेस्ट की गई है तो मैसेज की सत्यता जरूर चेक करें।

6.फेक वेबसाइट्स का भी खतरा
साइबर ठगों द्वारा कई बार ब्रांडेड कंपनियों की नकली वेबसाइट बनाई जाती हैं। जिन पर ग्राहक अपनी निजी जानकारी अपडेट कर देते हैं। इन वेबसाइट्स के माध्यम से भी ठगी की जाती है।

डीसीपी क्राइम ने किया अलर्ट
ड सीपी क्राइम आशीष श्रीवास्तव ने बताया कि यह विशेष ध्यान रखें कि पूरा यूआरएल टाइप करें। साथ ही यह भी जरूर देखें कि कौन-सा यूआरएल जेनुइन है। गूगल अपनी प्रॉयरिटी पर जो यूआरएल दिखा रहा है तो उस पर आंख बंद कर भरोसा न करें। वे कहते हैैं कि इस बात का विशेष ध्यान रखें कि किसी भी हालत में अननोन नंबर पिक न करें। अगर कोई कॉल आती है तो उसे डिसकनेक्ट कर दें। साइबर शातिर नए-नए पैैंतरों से लोगों को ठगने की फिराक में लगे हैैं। कुछ गैैंग क्राइम ब्रांच के रडार पर भी हैैं।
आशीष श्रीवास्तव, डीसीपी क्राइम