कानपुर (ब्यूरो)। बढ़ती टेक्नोलॉजी के दौर में चोर, लुटेरों से कहीं बड़ी चुनौती साइबर क्रिमिनल्स बन चुके हैं। इनके हथकंडों के आगे कमिश्नरेट पुलिस की हर तैयारी नाकाफी पड़ रही है। साइबर ठग तरह तरह से लोगों की गाढ़ी कमाई घर बैठे लूट रहे हैं। हर साल करोड़ों की ठगी होने के बावजूद कमिश्नरेट पुलिस इनसे निपटने के जरूरी इंतजाम नहीं कर पाई है। रिपोर्ट दर्ज करने और कभी कभी रकम फ्रीज कराने के आगे पुलिस नहीं बढ़ पाती है। क्योंकि न तो पुलिस के पास पर्याप्त साइबर एक्सपट्र्स हैं न ही टेक्निल सपोर्ट। यही वजह है कि इस साल अब तक 140 साइबर वारदातों में 2.85 करोड़ की ठगी हुई जिसमें पुलिस सिर्फ 35 लाख ही रिकवर कर पाई।
7 महीने और 140 वारदातें
कमिश्नरेट पुलिस के आंकड़ों की बात करें तो बीते सात महीनों में हुई 140 साइबर फ्रॉड की वारदातों में केवल 29 को क्राइम ब्रांच सॉल्व कर पाई है। 32 मामलों में क्राइम ब्रांच ने ठगों के खातों में रकम फ्रीज करा दी है। वहीं अगर साल 2023 की बात की जाए तो क्राइम ब्रांच के पास 365 और थानों में 143 मामले दर्ज हुए थे यानी कुल 508 मामले दर्ज किए गए थे। इनमें 70 मामलों का ही निस्तारण किया गया था। बचे हुए मामलों में टीमों ने खातों में रकम फ्रीज करा रखी है। बीते साल भी 9.67 करोड़ रुपये की रकम ठगों के खातों में सीज कराई थी।
ये है पुलिस की मजबूरी
साइबर सेल के अधिकारियों की माने उन्हें सबसे ज्यादा परेशानी का सामना फेक आईडी पर जारी मोबाइल सिम और बैैंक खाता धारकों की वजह से करना पड़ता है। दरअसल साइबर शातिर वारदात को अंजाम देने के तुरंत बाद सिम फोन से निकालकर फेंक देता है। उसके बाद उसी मोबाइल में दूसरा सिम डालकर इस्तेमाल करता है। पुुलिस तलाशती हुई इन शातिरों के पास फोन के आईईएमआई की मदद से पहुंचती भी है तो रकम बरामद नहीं होती है और मामला जहां का तहां रुक जाता है। जिन खातों में रकम ट्रांसफर होती है, उन खातों के मालिकों का पता नहीं चलता। जिसकी वजह से कोई गिरफ्तारी नहीं हो पाती है।
यहां लगी ठगों की पाठशाला
दरअसल ईस्ट जोन का एक चर्चित थाना क्षेत्र साइबर क्रिमिनल्स की पाठशाला बना हुआ है। यहां सीखने वाले शिष्यों के साथ ऐसे उस्ताद भी हैैं, जो पल भर में करोड़ों रुपये इधर से उधर करने की क्षमता रखते हैैं। इन शातिरों का नेटवर्क खाकी के बीच भी बना हुआ है। कई मामले सामने आ चुके हैैं, जिसमें दूसरे प्रदेश से आई पुलिस को खाली हाथ लौटना पड़ा। लगभग दो साल पहले साइबर सेल में तैनात सिपाही अमित के खिलाफ केस दर्ज किया गया था, इसके बाद से वह फरार चल रहा है। कुछ दिन पहले ही क्राइम ब्रांच में तैनात 22 लोगों के खिलाफ कार्रवाई की गई थी। हालांकि पुलिस अधिकारियों का कहना था कि इन्हें अलग-अलग जोन में भेजा गया है।
इन पैैंतरों से लोगों को फंसा रहे जाल में
- चिट फंड कंपनी में इंवेस्टमेंट करने के नाम पर फ्रॉड।
- बीमा कंपनी के फर्जी अधिकारी बनकर ठगी करना।
- लोन एप फ्रॉड : बिना डॉक्यूमेंट के 24 घंटे में लोन का झांसा देकर
- सोशल मीडिया पर चेहरा पहचानो, ईनाम जीतो जैसे ऑफर देकर
- घर बैठे पार्ट टाइम जाब कर लाखों रुपए कमाने के नाम पर भी ठगी
- लोगों को सस्ते दामों में कीमती सामाने बेचने का झांसा देकर ठगी
- क्रेडिट कार्ड नंबर, आधार नंबर, ई-कॉमर्स ट्रांजेक्शन पासवर्ड चोरी कर