कानपुर (ब्यूरो)। इनवेस्टर्स समिट 2023 में बड़े बड़े दावों के साथ शामिल की गई 2100 करोड़ की न्यू कानपुर सिटी हाउसिंग स्कीम दूर दूर तक धरातल पर उतरती नहीं दिखाई दे रही है। इसकी राह में अभी कई रोड़े बने हुए हैं। डेढ़ वर्ष बाद भी केडीए न तो प्राइवेट जमीनों की रजिस्ट्री करा सका और न ही मालिकों से सहमति ले सका है। अब तक सिर्फ एक चौथाई जमीन मालिकों ने सहमति दी है और एक तिहाई प्राइवेट जमीन ही खरीद सका है। ये जमीनें भी बिखरी और मेन रोड से दूर हैं। जिसके चलते केडीए ऑफिसर सेक्टरवाइज न्यू कानपुर सिटी डेवलप करने की संभावनाएं भी तलाशने लगे हैं।
1300 से अधिक रेजीडेंशियल प्लॉट
जनवरी 2023 में केडीए की ओर से आयोजित इनवेस्टर्स समिट में कल्याणपुर-सिंहपुर व मैनावती मार्ग के एक साइड स्थित 2100 करोड़ की कानपुर सिटी का प्लान पेश किया था। केडीए ऑफिसर्स ने इस स्कीम में 112 से लेकर 400 स्क्वॉयर मीटर एरिया तक के 1300 से अधिक रेजीडेंशियल प्लॉट निकलने का दावा किया था। इनके अलावा ग्र्रुप हाउसिंग, कॉमर्शियल, रेजीडेंशियल कम कॉमर्शियल, सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, स्कूल-कॉलेज, इंस्टीट्यूट्स, वेयर हाउस, होटल आदि के प्लॉट होने का दावा किया था।
शासन से मिल चुके 150 करोड़
केडीए ऑफिसर्स के मुताबिक न्यू कानपुर सिटी में पांच गांवों की 153.31 हेक्टेयर जमीन पर बसाई जीएगी। इसमें 88.69 हेक्टेयर जमीन प्राइवेट है और शेष केडीए की है। प्राइवेट जमीन के ओनर्स की संख्या 755 है। हालांकि इम्प्लाइज के मुताबिक जमीन ओनर्स की संख्या बढक़र 1150 के लगभग हो चुकी है। जमीन अर्जित करने में लगभग 750 करोड़ रुपए खर्च आता देख केडीए ने शासन से फाइनेंशियल हेल्प मांगी। शासन से न्यू कानपुर सिटी के लिए 150 करोड़ रुपए मिल चुके हैं।
नहीं शुरू हो सके डेवलपमेंट वक्र्स
केडीए के ओएसडी डा। रविप्रताप सिंह ने बताया कि अब तक 755 में से 184 जमीन मालिकों की सहमति मिल चुकी है। करीब 28 हेक्टेयर जमीन की केडीए के पक्ष में रजिस्ट्री कराई जा चुकी है। हालांकि केडीए केडीए और अब तक खरीदी गई जमीन बिखरी हुई और रोड से भी दूर है। इसी वजह से अब तक न्यू कानपुर सिटी में रोड या अन्य कोई भी डेवलपमेंट वर्क शुरू नहीं हो सका है। स्कीम में देरी होते देख केडीए ऑफिसर नई संभावनाएं भी तलाशने लगे हैं। जिसमें एक साथ की बजाय सेक्टरवाइज डेवलप करना भी शामिल हैं।
-न्यू कानपुर सिटी को जल्दी से डेवलप करने का पूरा प्रयास किया जा रहा है। जमीन मालिकों से लगातार सहमति लेकर केडीए के पक्ष में रजिस्ट्री कराई जा रही है। अन्य संभावनाओं पर भी विचार किया जा रहा है।