कानपुर (ब्यूरो)। सिटी में सांस के पेशेंट्स को अब मुरारीलाल चेस्ट हॉस्पिटल के चक्कर नहीं लगाने होंगे। जल्द ही कांशीराम हॉस्पिटल में ही ब्रोंकोस्कोपी की सुविधा मिलेगी। इससे हजारों पेशेंट्स को राहत मिलेगी। वहीं, मुरारीलाल चेस्ट हॉस्पिटल का लोड भी कम होगा। दरअसल, सिटी में जगह-जगह हो रही खुदाई के कारण प्रदूषण में इजाफा हुआ है, जिस वजह से सिटी में सांस रोगियों की संख्या भी बीते तीन सालों में बढ़ी है। इसके अलावा अधिक स्मोकिंग करने की वजह से भी युवाओं को सांस संबंधित समस्याएं बढ़ी है। सांस लेने में तकलीफ होने पर बड़ी संख्या में पेशेंट ट्रीटमेंट को कांशीराम हॉस्पिटल पहुंचते हैं। जिनकों जांच के लिए मुरारी लाल चेस्ट हॉस्पिटल भेजा जाता है। चक्कर लगाने से बचने के लिए पेशेंट प्राइवेट सेंटर में जाकर भी जांच कराते है। लिहाजा, उनको जेब ढीली करनी पड़ती है। अब सांस रोगियों को चक्कर लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। क्योंकि करीब दो महीने बाद कांशीराम में ही ब्रोंकोस्कोपी जांच की सुविधा मिलेगी।
11 किमी का लगाना पड़ता था चक्कर
रामादेवी स्थित कांशीराम संयुक्त चिकित्सालय एवं ट्रामा सेंटर में चकेरी, सनिगवां, संजीवनगर, नौबस्ता, यशोदा नगर, श्याम नगर, घाटमपुर, साढ़, हमीरपुर, फतेहपुर समेत आदि क्षेत्र से बड़ी संख्या में पेशेंट ट्रीटमेंट के लिए पहुंचते हैं। इस वजह से यहां की ओपीडी तीन से चार सौ पेशेंट की होती है, जिनमें से 40 से 50 पेशेंट सांस संबंधित रहते हैं। क्योंकि कांशीराम हॉस्पिटल में सांस रोगियों के इलाज में सहायक पर्याप्त स्वास्थ्य संसाधन और मुख्य जांच की सुविधा वर्तमान में नहीं है। इसलिए यहां पर आने वाले पेशेंट को परामर्श तो दिया जाता है, लेकिन जांच व इलाज के लिए उनको करीब 11 किलोमीटर दूर स्थित रावतपुर में मुरारी लाल चेस्ट हॉस्पिटल में भेजा जाता है। चेस्ट हॉस्पिटल आने पर पेशेंट को जांच व इलाज की सुविधा मिलती हैं, लेकिन आने-जाने में काफी दिक्कत भी होती है और रुपये भी खर्च होते हैं।
ब्रोंकोस्कोपी मशीन के फायदे
कांशीराम हॉस्पिटल में तैनात चेस्ट फिजीशियन डॉ। ओपी राय ने बताया कि हॉस्पिटल में ठीक-ठाक संख्या में सांस रोगी आते हैं, जिसे देखते हुए ब्रोंकोस्कोपी मशीन की मांग की गई है। ब्रोंकोस्कोपी के जरिये पेशेंट के श्वसन मार्ग और फेफड़ों की जांच आसानी से की जाती है। लगातार संक्रमण या खांसी के पेशेंट या फिर एक्सरे में असाधारण सा दिखाई देने पर ही एक्सपर्ट ब्रोंकोस्कोपी जांच कराने की सलाह देते हैं। इसका इस्तेमाल बलगम, गले और फेफड़ों से ऊत्तकों का नमूना लेने के लिए किया जाता है। निमोनिया, टीबी और फेफड़ों के कैंसर के अलावा अन्य पेशेंट के ट्रीटमेंट के दौरान भी ब्रोंकोस्कोपी जांच कराई जाती है। जिसमें एक पतली ट्यूब जिसे ब्रोंकोस्कोप कहा जाता है, उसे मुंह या नाक के रास्ते डाला जाता है। यह उपचार में भी कारगर होती है। इस तकनीक से ये भी पता चलता है कि फेफड़े का कौन सा हिस्सा प्रभावित है।
प्रतिदिन 40 से अधिक पेशेंट को जांच के लिए हैलट व मुरारी लाल चेस्ट हॉस्पिटल भेजा जाता है। पेशेंट की समस्या को देखते हुए शासन को लेटर भेजकर ब्रोंकोस्कोपी मशीन उपलब्ध कराने का आग्रह किया था। ब्रोंकोस्कोपी मशीन को लेकर शासन से मंजूरी मिलने के बाद सांस रोगियों को काफी राहत मिलेगी।
डॉ। स्वदेश गुप्ता, सीएमएस, कांशीराम संयुक्त चिकित्सालय एवं ट्रामा सेंटर