कानपुर (ब्यूरो)। आम के आम और गुठलियों के भी दाम। अक्सर कही जाने वाली इन लाइनों को यूपीटीटीआई की डॉ। नीलू कंबो ने सही ठहरा दिया। इन्होंने आम की गुठलियों की मदद से एक ऐसा नैनोइमल्शन तैयार किया है जो कि एंटीमाइक्रोबियल और एंटी फंगल प्रापर्टी के साथ टेक्सटाइल (कपड़े) पर यूज किया जा सकता है। इनकी इस रिसर्च को पेटेंट भी मिल गया है। इनके इनोवेशन को ए नॉवेल ग्रीन एग्रीकल्चरल वेस्ट बेस्ड नैनोइमल्शन फॉर टेक्सटाइल एप्लीकेशन नाम से पेटेंट मिला है। पेटेंट मेें डॉ। नीलू कंबो, डॉ। सौरभ दुबे और शुभम जोशी का नाम है।

ऐसे करेगा काम
डॉ। कंबो की ओर से तैयार किए गए नैनोइमल्शन को आप टेक्सटाइल पर यूज कर सकते हैैं। इसको आप अपने कपड़ों पर स्प्रे करके यूज कर सकते हैैं। एक बार स्प्रे के बाद करीब आठ घंटे तक इसका असर रहता है। ऐसे में मेडिकल के क्षेत्र में काम करने वालों के लिए यह काफी उपयोगी होगा। इसके अलावा कपड़ों को धोते समय इसको पानी में डालकर यूज करने से कपड़ों से माइक्रोब्स और फंगस दूर हो जाएगी। इसके अलावा यूपीटीटीआई अब इस नैनोइमल्शन को कपड़े पर कोटिंग करके एक एंटीमाइक्रोबियल और एंटी फंगल टेक्सटाइल तैयार करने में जुटी है। संस्थान की लैब में रिसर्च चल रही है कि एक बार कोटिंग के बाद कितने समय तक एंटीमाइक्रोबियल और एंटी फंगल प्रापर्टी टिकाऊ रहेगी।

ऐसे तैयार हुआ नैनोइमल्शन
डॉ। कंबो ने बताया कि इस नैनोइमल्शन में आम की गुठलियों को मेन यूज किया गया है। इसके साथ में देवदार की लकड़ी से तेल निकालते समय निकलने वाले वेस्ट वाटर (हाइड्रोसोल), सर्फेक्टेंट और ग्लाइकोल को मिलाया गया है। इन चीजों ग्राम प्लस व माइनस के स्टेन के माइक्रोब्स और आठ तरह की फंगस पर टेस्ट किया गया। रिजल्ट में सामने आया कि इस नैनोइमल्शन में एंटीमाइक्रोबियल और एंटीफंगल एक्टिविटी है।

केमिकल फ्री, नहीं करेगा नुकसान
एंटीमाइक्रोबियल और एंटीफंगल स्प्रे मार्केट में अवेलेबल हैैं, लेकिन उनमें कहीं न कहीं केमिकल का यूज किया जाता है जो कि टेक्सटाइल की क्वालिटी पर असर डालता है। यूपीटीटीआई में तैयार नैनोइमल्शन पूरी तरह से हर्बल है। इसमें किसी भी तरह के केमिकल का यूज नहीं किया गया है।

कैसे मिलेगी आम की गुठली
आमतौर पर आम को खाने के बाद लोग गुठलियों को फेंक देते हैैं। लेकिन आम के प्रोडक्ट बनाने वाली फूड इंडस्ट्री में यह बल्क मेें निकलती है। ऐसे मेें इस नैनोइमल्शन को बनाने के लिए इंडस्ट्री से आम की गुठलियों को खरीदा जा सकता है। इंडस्ट्री, इसको वेस्ट के तौर पर यूज करती हैैं। अगर इस नैनोइमल्शन को तैयार करने वाली कंपनी गुठलियों को परचेस करेगी जो इंडस्ट्री को वेस्ट से पैसा मिलेगा। इससे वेस्ट भी आसानी से बिना दिक्कत के ठिकाने लग जाएगी और पाल्यूशन भी नहीं होगा। बताते चलें कि वल्र्ड में आम का 55 परसेंट प्रोडक्शन इंडिया में ही होता है।