कानपुर (ब्यूरो)। देश भर में शरारती तत्वों के निशाने पर रेलवे ट्रैक है। दरअसल 24 घंटे ट्रैक के हर प्वाइंट की न तो निगरानी हो सकती है और न ही रेलवे ट्रैक के किनारे दीवार खड़ी की जा सकती है। देश में होने वाली तमाम इस तरह की घटनाओं में एक बात कॉमन मिली है कि जहां इस तरह की घटनाएं हो रही हैैं, उनके आस पास बस्ती नहीं बल्कि सन्नाटा है। कानपुर में चार बार और जौनपुर, रामपुर, फर्रुखाबाद व अजमेर में रेलवे ट्रैक पर बाधा पैदा कर ट्रेन डिरेल कराने की साजिश की गई।

दिल्ली तक दौड़े, मिला क्यापता नहीं?

कालिंदी हादसे में 100 से ज्यादा लोग पकड़े गए, पूछताछ की गई। लोकल हिस्ट्रीशीटर्स को भी इनवेस्टिगेट किया गया। ईस्ट जोन के होटलों में रुकने वालों की तस्वीरें और जानकारी भी मिली। कई वीडियो फुटेज और डीवीआर से भी कुछ पॉजिटिव संकेत मिले। पुलिस ने फुटेज की ट्रैपिंग की। मुजफ्फरनगर, मेरठ और दिल्ली तक की दौड़ भी लगाई लेेकिन कुछ खास एजेंसियों के हाथ नहीं लगा।

चंडीगढ़ लैब से रिपोर्ट का इंतजार

साबरमती हादसे के बाद रेलवे ट्रैक पर मिला &ऑब्सटेकल पार्ट&य जांच के लिए लखनऊ फॉरेंसिक लैब भेजा गया। पुलिस ने बताया कि जल्दी रिपोर्ट आने वाली है। बाद में पता चला कि लखनऊ की फॉरेंसिक लैब की जिस मशीन से जांच होनी थी वह खराब है, इस वजह से &ऑब्सटेकल पार्ट&य चंडीगढ़ लैब भेजा जाएगा। अब चंडीगढ़ की लैब से लोगों ने आश लगा रखी है। हालांकि चंडीगढ़ की लैब में भी लंबी वेटिंग है, जिसकी वजह से रिपोर्ट आने में समय तो लगेगा ही।