कानपुर (ब्यूरो)। गंगा को अविरल निर्मल बनाना पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ की प्राथमिकताओं में है। इसके लिए नमामि गंगे और अन्य योजनाओं के माध्यम से पानी की तरह पैसा बहाया जा रहा है। लेकिन, अरबों रुपए खर्च किए जाने के बावजूद गंगा और पांडु नदी में नालों से अब भी लाखों लीटर गन्दा पानी गिर रहा है। जिम्मेदार ऑफिसर अपनी नाकामी छिपाने को तरह तरह की बहानेबाजी किया करते है। इसके लिए गंगा पॉल्यूशन कन्ट्रोल यूनिट एरियल सर्वे कराएगा। हाई रिजल्यूशन कैमरों से लैस अनमैंड एरियल व्हीकल का यूज किया जाएगा। साथ ही इन प्वाइंट्स की थर्मल इमेजिंग व मैपिंग भी की जाएगी। इससे स्पष्ट जानकारी हो जाएगी कि गंगा व पांडु नदी में गन्दा पानी किन-किन प्वाइंट्स से से गिर रहा है।
15 अरब रुपए हो चुके हैं खर्च
दरअसल गंगा को पॉल्यूशन फ्री बनाने की कवायद वर्ष 1986 में गंगा एक्शन प्लान के साथ शुरू हो गई थी। तब से लेकर अब तक गंगा को स्वच्छ बनाने में करीब 15 अरब (डेढ़ हजार करोड़) रुपए खर्च हो चुके हैं। पहले गंगा एक्शन प्लान के अन्र्तगत जाजमऊ में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और इन तक गन्दा पानी पहुंचाने के लिए सीवर लाइन बिछाई गई। फिर जवाहरलाल अरबन रिन्यूवल मिशन(जेएनएनयूआरएम) के अन्र्तगत लगभग 780 करोड़ रूपए सिटी में डीप सीवर लाइन बनाई गई।
कई एसटीपी बनाए गए
जूही राखी मंडी, ढकनापुरवा में इंटरमीडिएट पंपिंग स्टेशन बनाए गए। इसके अलावा बिनगवां में 210 एमएलडी, सजारी में 42 एमएलडी आदि कैपेसिटी के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाए गए हैं। बावजूद इसके कई नालों से सीधे गन्दा पानी गंगा में गिरता रहा। इसे रोकने के लिए 63 करोड़ रुपए से बड़े नाले टैप किए गए। बिठूर में भी गंगा में गन्दा पानी गिरने से रोकने के लिए एसटीपी व लाइन बिछाई गई है। हाल ही में 323 करोड़ से पनका सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनकर तैयार हुआ है।
गिरता रहता है गन्दा पानी
अरबों रुपए खर्च कर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाए गए, लेकिन हकीकत ये हैं अधिकतर एसटीपी में पूरी कैपेसिटी से पानी नहीं पहुंच रहा है। कागजों में टैप नाले और लीकेज की वजह से गन्दा पानी गंगा में गिरता रहता है। परमट, परमियापुरवा, बाबा घाट, एयरफोर्स, वाजिदपुर में नाले का गंगा में गिरा करता है। कानपुर की तस्वीर को पुरी दुनिया में खराब करने वाले ब्रिटिश पीरियड के सीसामऊ नाले को भी टैप कर सेल्फी प्वाइंट बनाया गया था। पीएम मोदी ने खुद यहां पर सेल्फी खींची थी। लेकिन अक्सर सीसामऊ नाले से पानी गंगा में गिरता रहता है।
पांडु नदी में भी कई नालों से
दूसरी ओर बनियापुरवा एसटीपी तक सीवेज पहुंचाने के लिए बिछाई गई लाइनें ध्वस्त हो गई हैं। यहां 24 करोड़ रुपए की लागत से दोबारा लाइनें बिछाई जा रही हैं। बनियापुरवा एसटीपी शोपीस बना हुआ है। इसी तरह पांडु नदी में भी हलुआखाड़ा सहित कई नालों का पानी गिरा करता है। हालांकि नगर निगम बायोरेमिडेशन का दावा करता है। कई बार यूपी पॉल्यूशन कन्ट्रोल बोर्ड की ओर बायोरेमिडेशन में लापरवाही पर नगर निगम पर हैवी पेनाल्टी तक लगाई जा चुकी है।
गंगा और पांडु नदी में गिरने वाले ड्रेन की प्रॉपर जानकारी के लिए अनमैंड एरियल व्हीकल सर्वे कराया जाएगा। इसमें लगे हाई रेजोल्यूशन कैमरों से इमेज भी कैप्चर की जाएगी। इससे पूरी जानकारी सामने आएगी। आगे प्लानिंग कराने में आसानी होगी।
मोहित चक, प्रोजेक्ट मैनेजर, गंगा पॉल्यूशन कन्ट्रोल यूनिट
सीवेज ट्रीटमेंट और कैपेसिटी
वाजिदपुर-- 130 एमएलडी
वाजिदपुर-- 5 एमएलडी
वाजिदपुर--36 एमएलडी
वाजिदपुर नया-- 42 एमएलडी
बिनगवां-- 210 एमएलडी
बनियापुरवा-- 15 एमएलडी
सजारी-- 42 एमएलडी
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