कानपुर ( ब्यूरो)। ब्रिटिश पीरियड में कानपुर को रोड और रेल के जरिए उन्नाव, लखनऊ से जोडऩे को बनाया गया शुक्ला गंज गंगा ब्रिज सोमवार देर रात अचानक ढह गया। बीच से टूटकर एक हिस्सा गंगा में समा गया। हालांकि इसमें जानमाल का कोई नुकसान नहीं हुआ। क्योंकि 15 जुलाई 1875 में चालू हुए इस ब्रिज के कई पिलर्स (कोठियों ) में दरारों की वजह से तीन वर्ष पहले ही इस आवागमन के लिए पूरी तरह से बंद कर दिया गया था। कोई इस पर एंट्री न कर सके, इसके लिए दोनों ओर दीवार खड़ी कर दी गई थी।
9 साल में बना था
इतिहासकार अनूप शुक्ला के मुताबिक ईस्ट इंडिया कंपनी को अपना बिजनेस बढ़ाने के लिए गंगा पर ब्रिज बनाने के जरूरत पड़ी। उन्होंने अवध रूहेलखंड रेलवे कंपनी के साथ मिलकर प्लानिंग की थी। यह ब्रिज बिना मशीनरी के गोताखोरों की मदद से बनाया गया था। गोताखोरों ने पिलर्स (कोठियां) तैयार करने के लिए पत्थर गंगा में गलाए थे। मैनुअली बनाए जाने के कारण 800 मीटर लंबा और 12 मीटर चौड़े इस ब्रिज को बनाने में 9 वर्ष लग गए थे। ब्रिज दो हिस्सों में बनाया गया था। ऊपर के हिस्से से ट्रेन गुजरती थीं जबकि नीचे के हिस्से अन्य वाहन और पैदल आने-जाने वाले लोग गुजरते थे।
तीन साल पहले बन्द
वर्ष 2021 में पुल की कोठियों में गहरी दरार हो जाने पर पीडब्ल्यूडी के इंजीनियर्स ने इसे खतरनाक बताते हुए हुए तत्कालीन डीएम आलोक तिवारी को अपनी रिपोर्ट दी थी। जिसमें ब्रिज की 100 वर्ष की मियाद पूरी होने व दरारें आने की बात भी शामिल थी। साथ ही ये भी कहा था कि पुराना गंगापुल अब आवागमन के योग्य नहीं बचा है। इस पर डीएम ने पांच अप्रैल 2021 को इस ब्रिज को बन्द करा दिया गया था। इसके बाद खतरनाक हो चुके इस ब्रिज से लोगों को पैदल आने-जाने से रोकने के लिए दोनों साइड दीवार भी खड़ी कर दी गई थी।
देर रात टूटकर गंगा में गिरा
एरिया के लोगों के मुताबिक मंडे की देररात इस ब्रिज की 10 वीं और 11 वीं कोठी के बीच का 70 मीटर हिस्सा ढह गया। गंगा में जा गिरा। तेज आवाज सुनकर अफरातफरी मच गई। हालांकि राहत की बात ये रही कि कानपुर और शुक्लागंज दोनों साइड से बन्द होने की वजह से किसी को कोई नुकसान नहीं हुआ।