- कभी भी गिर सकती हैं कानपुर की 641 बिल्डिंग्स

केस-1

कराचीखाना स्थित बक्शीश सिंह का जर्जर मकान है। 2009 को पहली बार उन्होंने नगर निगम को जर्जर बिल्डिंग गिराने की अपील की थी। नगर निगम द्वारा बिल्डिंग को जर्जर भी घोषित किया जा चुका है। पूर्व डीएम रोशन जैकब और सुरेंद्र सिंह भी बिल्डिंग को गिराने के आदेश दे चुके हैं। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। उल्टा नगर निगम ने ही इनको भवन खाली करने की नोटिस दे दी।

केस-2

दर्शनपुरवा स्थित श्यामलाल पिछले 2 साल से जर्जर बिल्डिंग गिराने को लेकर नगर निगम में अप्लीकेशन दे रहे हैं। लेकिन उल्टा नगर निगम ने ही इनको नोटिस जारी कर गिराने के आदेश देकर खानापूर्ति कर ली है। जबकि बिल्डिंग गिराने का खर्च भी नगर निगम को देने के लिए तैयार हैं।

आई एक्सक्लूसिव

-641 बिल्डिंग बारिश के दौरान कभी भी गिर सकती हैं, 934 बिल्डिंग सिटी में जर्जर की गई हैं चिन्हित

-जर्जर बिल्डिंग गिराने को लेकर सीरियस नहीं नगर निगम, जर्जर बिल्डिंग्स में कई लोग गवां चुके हैं जान

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KANPUR : शहर में 6 हजार से ज्यादा लोगों के सिर पर मौत लटक रही है। कभी भी मौत इन पर 'हमला' बोल सकती है। जरा सी बारिश होते ही लोगों की धड़कनें बढ़ जाती हैं। सब कुछ जानने के बाद भी जिम्मेदार हाथ पर हाथ रखे बैठे हैं। बस कागजों पर रश्म अदायगी की जा रही है। कई लोगों की जान जाने के बाद भी उनकी आंखें नहीं खुल रही हैं शायद उन्हें किसी बड़े हादसे का इंतजार है। हम बात कर रहे हैं शहर में चिन्हित की गई करीब एक हजार जर्जर बिल्डिंग्स की। इनमें 641 इमारतें की हालत तो ऐसी है कि कभी भी ढह सकती हैं। मंडे को ऐसी ही एक जर्जर बिल्डिंग ढहने से वृद्ध महिला की मौत हो गई थी।

10 साल से काट रहे चक्कर

जर्जर इमारतों के मामले में नगर निगम की लापरवाही का आलम ये है कि पिछले 10 साल से 1 व्यक्ति जर्जर बिल्डिंग गिराने की अप्लीकेशन लेकर घूम रहा है। कानपुर में 2 डीएम भी इस बिल्डिंग को गिराने के आदेश दे चुके हैं, लेकिन कराचीखाना निवासी बख्शीश सिंह आज भी दरों पर एडि़यां घिस रहे हैं। कुछ ऐसा ही हाल उन लोगों का भी है जो नगर निगम से जर्जर बिल्डिंग गिराने की गुजारिश कर रहे हैं। पिछले 5 साल में नगर निगम ने अब तक सिर्फ 10 जर्जर बिल्डिंग को ही गिराया है। जबकि सिटी में 934 बिल्डिंग बारिश में कभी भी गिर सकती हैं।

मौतों से नहीं लेते सबक

हालसी रोड, शारदा नगर, मनीराम बगिया, कुली बाजार सहित ऐसे दर्जनों हादसों में 10 से ज्यादा लोग अपनी जान गवां चुके हैं। जर्जर भवनों को न तो कभी खाली कराया जाता है और इनको गिराया जाता है। नगर निगम सिर्फ जर्जर भवनों को चिन्हित कर नोटिस देकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेता है। मंडे को कुलीबाजार में जर्जर मकान में छत गिरने से हुई महिला की मौत के मामले के बाद भी नगर निगम ने कोई सबक नहीं लिया है।

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5 साल में सिर्फ 10 बिल्डिंग गिराई

नगर निगम की लचर कार्रवाई का आलम ये है कि 5 साल में सिर्फ 10 बिल्डिंग ही गिराई गई हैं। सूत्रों के मुताबिक नगर निगम के जिम्मेदार बिल्डिंग गिराने के लिए ऊपरी कमाई की जुगाड़ में रहते हैं। खुद से बिल्डिंग गिराने में अक्षम लोग ही नगर निगम से बिल्डिंग गिराने की गुहार लगाते हैं।

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मालिक ही गिराए बिल्डिंग

नगर निगम अधिकारियों के मुताबिक नगर निगम का काम सिर्फ जर्जर भवनों को चिन्हित कर नोटिस देना है। निगम बिल्डिंग गिराता भी है तो उसका खर्च मकान मालिक को ही देना होता है। वहीं ज्यादातर कंप्लेन में किरायेदारी का मामला सामने आता है। ऐसे में कोई नोटिस दे दिया जाता है।

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कार्रवाई न होने से डीएम खफा

बक्शीश सिंह जब कंप्लेन लेकर डीएम के पास पहुंचे तो 10 साल पुरानी कंप्लेन को देखकर डीएम का पारा चढ़ गया। उन्होंने नगर निगम अधिकारियों को फोन पर फटकार लगाई और मामले में तत्काल कार्रवाई करने के निर्देश दिए। साथ ही शहर में जितने भी जर्जर और गिरासू भवन हैं, उनको जोनल लेवल पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए।

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आंकड़ों में जजर्र बिल्डिंग

-934 बिल्डिंग सिटी में जर्जर घोषित की जा चुकी हैं।

-641 बिल्डिंग गिराऊ हालत में पिछले साल से हैं।

-467 बिल्डिंग की लिस्ट 2 साल पहले बन चुकी थी।

-180 जर्जर बिल्डिंग पिछले डेढ़ साल में चिन्हित की गई।

-318 जर्जर भवन जोन-1 में किए जा चुके हैं चिन्हित।

-234 गिरासू भवन जोन-4 में चिन्हित किए गए।

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जोन में ये हैं हालात

जोन जर्जर व गिरासू बिल्डिंग

1 318

2 12

3

4 234

5 11

6 27

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ये बहुत ही सीरियस मामला है। नगर निगम को गिराऊ और जर्जर बिल्डिंग चिन्हित कर रिपोर्ट देने को कहा है। नगर निगम की धारा 331-1 और 3 के तहत कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।

-विजय विश्वास पंत, डीएम।

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