कानपुर (ब्यूरो)। साबरमती एक्सप्रेस डिरेलमेंट हादसे को एक सप्ताह पूरा हो गया। आईबी, एसएजी, एटीएस, एसआईटी और अब एनआईए भी जांच कर रही है। फॉरेंसिक और साइबर टीम के साथ कानपुर कमिश्नरेट टीम भी अपनी जांच कर चुकी है। घटनास्थल पर सीन रिक्रिएशन भी हो चुका है। इसके बाद भी हादसे की सही वजह सामने नहीं आ रही है। फ्राइडे को एसआईटी ने लोको पॉयलट एपी बुंदेला, असिस्टेंट लोको पॉयलट चेतराम मीना, गार्ड सुबोध तिवारी और पीडब्ल्यू आई मुकेश कुमार के बयान दर्ज किए। गार्ड सुबोध तिवारी ने कहा कि ट्रेन गोविंदपुरी पारकर आउटर पर पहुंच चुकी थी। अचानक एक तेज आवाज के साथ झटका लगा और कई कोच पटरी से उतर गए। जब बाहर झांका तो धूल ही धूल दिखाई दे रही थी। रात होने की वजह से कुछ समझ नहीं आ रहा था। हैैंड सेट से ड्राइवर से कॉन्टैक्ट करने की कोशिश की लेकिन संपर्क नहीं हो पाया।
30 मीटर दूरी पर दिखा ऑब्सटेकल
वहीं ड्राइवर एपी बुंदेला ने एसआईटी को बताया कि 30 मीटर दूर से कुछ ऑब्सटेकल दिखा था। ट्रेन 90 की स्पीड में थी। इमरजेंसी ब्रेक लगाकर ट्रेन रोकने की कोशिश की तो पहिया और पटरी के बीच रगड़ होने की वजह से पटरी उखड़ गई। इतनी स्पीड में ट्रेन को अचानक रोकना इंपॉसिबल था। पहिया और पटरी के बीच क्लोज कॉन्टैक्ट होने की वजह से पटरी उखड़ गई और ट्रेन डिरेल हो गई। अंधेरे की वजह से कुछ ज्यादा प्रॉबलम हुई लेकिन तब तक ट्रेन बेपटरी हो गई थी। वहींं पीडब्ल्यूआई मुकेश कुमार ने ट्रेन के व्हील और रेल के बीच के इंप्रेशन को लेकर बयान दिए।
एनआईए ने रिपोर्ट की टेक ओवर
गुरुवार से इस पूरे मामले की जांच में जुटी एनआईए ने फ्राइडे को लगभग 100 लोगों के बयान की कॉपी ली। घटनास्थल का गहन निरीक्षण किया.फॉरेंसिक टीम की फाइंडिंग मिलने पर उन लोगों से बात की जो घटनास्थल के क्लोज कॉन्टैक्ट में रहे। लखनऊ की टीम से भी बात की गई। एनआईए सूत्रों की माने तो घटनास्थल के पास अभी तक कोई भी ऐसी चीज नहीं दिखी है जिससे आतंकी घटना सिद्ध हो रही हो। 9 सीसीटीवी फुटेज में पहली ट्रेन निकलने के बाद से हादसे के बीच कोई आता और जाता नहीं दिखाई दिया है, आने वाले बुधवार तक एनआईए अपनी रिपोर्ट मुख्यालय को भेजेगी। हादसे की मोडस ऑफ अप्रेंडी भी देखी जा रही है।