कानपुर (ब्यूरो)। कानपुर-लखनऊ रूट के रेल पैसेंजर्स को बेहतर सुविधाएं और रफ्तार देने के लिए लगभग पांच साल पहले ब्रिटिश पीरियड में बिछाए गए रेलवे ट्रैक को फोर लेन करने का प्रोजेक्ट बनाया था। लाखों रुपए खर्च कर लखनऊ डिवीजन की इंजीनियरिंग टीम ने सर्वे भी कर लिया था लेकिन उसके बाद चार साल में प्रोजेक्ट एक कदम भी आगे नहीं बढ़ पाया है। या कहें कि ठंडे बस्ते में ही चला गया है। बताया जा रहा है कि पहले डबल लेन को ही सुपर हाईस्पीड ट्रैक में बदला जा रहा है। जिससे ट्रेनों की स्पीड दिल्ली-हावड़ा रूट की तरह 160 किमी प्रति घंटे हो सके। वर्तमान में कानपुर लखनऊ ट्रैक पर एवरेज स्पीड 70 से 80 किमी है। कई जगह ट्रैक जर्जर होने से कॉशन देकर ट्रेनों को 5 व 10 की स्पीड में पास किया जाता है।

आउटर में रोक दी जाती ट्रेनें

लखनऊ से कानपुर आने वाली व कानपुर से लखनऊ जाने वाली ट्रेनों को वर्तमान में प्लेटफार्म खाली न होने पर आउटर पर ही खड़ा कर दिया जाता है। प्लेटफार्म खाली होने के बाद ही लखनऊ से कानपुर आने वाली ट्रेनों को ग्रीन सिग्नल दिया जाता है। इसके अलावा लखनऊ से कानपुर की तरफ आने वाली ट्रेन को प्लेटफार्म तक पहुंचने तक कानपुर से लखनऊ की तरफ जाने वाली ट्रेनों को प्लेटफार्म ही खड़ा रखा जाता है। ट्रैक खाली होने पर ही ट्रेनों का संचालन किया जाता है।

पांच साल पहले बना प्रोजेक्ट
कानपुर-लखनऊ रूट पर डेली 40 से अधिक पैसेंजर ट्रेनों का आवागमन है। वहींं डेली 80 हजार से अधिक पैसेंजर का आवागमन है। पैसेंजर्स की समस्या को देखते हुए रेलवे ने कानपुर-लखनऊ रूट को फोर लेन करने की प्लानिंग बनाई थी। 2019 के रेल बजट में इस प्लान के सर्वे को लेकर दो लाख का बजट भी पास किया गया था। जिसके बाद से यह प्रोजेक्ट की फाइल सिर्फ एक टेबल से दूसरे टेबल टहल रही हैं। धरातल में अभी तक एक भी काम नहीं किया गया है।