कानपुर (ब्यूरो) । शहर गंगा नदी के किनारे बसा है। इसी वजह से गंगा किनारे गांव और बस्तियां बस गईं। कानपुराइट्स के लिए गंगा जीवनदायिनी है। घरों तक वाटर सप्लाई का सबसे बड़ा सोर्स भी है। गंगा के तट पर 10 प्रमुख घाट हैं। जहां हर तीज त्योहार के साथ आम दिनों में भी लोग नहाने आते हैं। गर्मी के दिनों राहत पाने के लिए नहाने वालों की संख्या खासी बढ़ जाती है। कोई इस पार तो कोई उस पार जाकर नहाता है।
और इसी के साथ बढ़ जाते हैं लापरवाही के कारण होने वाले हादसे। हजारों लोग इन हादसों में अपनी जान गवां चुके हैं। और ये सिलसिला अब भी जारी है। क्योंकि घाटों पर सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं है। न जल पुलिस न, लाइफ सेविंग बोट और न कोई वार्निग बोर्ड। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम ने शहर के प्रमुख घाटों का रियलिटी चेक किया तो हालात बेहद चौकाने वाले मिले।
स्थान : गंगा बैराज
ये शहर का सबसे बड़ा पिकनिक स्पॉट बन चुका है। यहां रोजाना घूमने के लिए हजारों लोग आते हैं। बैराज होने के कारण यहां एक तरफ पानी का लेवल बहुत हाई होता है। पुलिस चौकी के बगल से जा रहे रास्ते से गांव के अंदर और फिर गंगा नदी से लगभग 50 मीटर दूर बाइक पार्क करके गंगा नदी के पास पहुंचे तो एक बड़ी बोट और एक छोटी बोट दिखाई दी। छोटी बोट से सात से 12 साल के बालक गंगा में छलांग लगाकर स्वीमिंग करते दिखाई दिए। यहां एक दर्जन से ज्यादा बच्चे नहाते दिखे। कुछ ही दूरी पर लोग जाल डालकर मछलियां पकड़ रहे थे। न तो घाट पर कोई चेतावनी बोर्ड दिखाई दिया और न ही जल पुलिस के लोग।
स्थान : रानी घाट
यहां घाट पर सन्नाटा छाया था। न कोई नहाने वाला और न ही कोई बात करने वाला। कुछ देर इंतजार करने पर एक व्यक्ति मिला, जिसने बताया कि यहां सुबह शाम लोग नहाने आते हैैं। दरअसल यहां गहराई ज्यादा है इस लिए लोग यहां नहाना कम पसंद करते हैैं। लोग यहां शिकार के लिए जाल डाल देते हैैं। लोगों ने बात करने पर बताया कि यहां जब कोई घटना होती है, तभी पुलिस और जल पुलिस के लोग आते हैैं। गंगा किनारे मंदिर है, यहां लोग पूजा करने आते हैैं। उस पार जाकर नहाने के लिए नाव का इस्तेमाल करते हैैं।
स्थान : भैैरो घाट
यूं तो ये घाट अंतिम संस्कार के लिए है लेकिन दोपहर में कुछ लोग नदी में नहाते दिखाई दिए। घाट पर सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं दिखे। जबकि अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए रोजाना यहां बड़ी संख्या में लोग आते हैं। घाट पर सीढिय़ां तो बनी हैैं लेकिन सीढिय़ों पर बैठकर अगर कोई गंगा जल से हाथ पैर धोए या नहाए तो उसकी जान खतरे में ही है क्योंकि यहां घाट किनारे न तो जंजीर बंधी है और न रस्सी। कुछ दिन पहले ही अपनी भाभी के अंतिम संस्कार में आया युवक गंगा में हाथ पैर धोने के लिए झुकने पर गिरकर डूब गया था।
स्थान : परमट घाट
आनंदेश्वर मंदिर के किनारे परमट घाट पर दर्शन करने वालों की भीड़ दिखाई दी, लेकिन इस पार नहाने वाला कोई नहीं था। गंगा को पार कर दूसरे छोर पर नहाने वाले बड़ी संख्या में दिखाई दिए। लोग नाव से उस पार जाते और नहाने के बाद वापस आते। यहां सुरक्षा के कोई उपाय नहीं दिखाई दिए। जल पुलिस के जवान मोती से बात करने पर पता चला कि वे किसी के अंतिम संस्कार में शामिल होने गए हैैं। ये पूछने पर कि ड्यूटी पर कौन है तो बताया, ड्यूटी पर हम ही हैैं। शाम को बात करेंगे।
स्थान : मैैगजीन घाट
मैैंगजीन घाट में सीसामऊ का आयुष अपने कुछ साथियों के साथ नहाने आया था। वहीं ग्वालटोली निवासी एहसान भी दस साथियों के साथ नहाते दिखाई दिए। गंगा में अठखेलियां करते, कभी तैरते तो कभी कलाबाजी खाते तो कभी अपने साथी के कंधे पर खड़े होकर छलांग लगाते दिखे। लापरवाही इस कदर मानो जिंदगी को लेकर कोई फिक्र ही नहीं है। यहां बस्ती के बीच से ही जाकर लोग गंगा नहाते हैैं। अब अगर यहां कोई अनहोनी हो जाए तो बचाने वाला कोई नहीं हैैं। घाट के बाहर की बस्ती में दो तैराक रहते हैैं, जो वक्त जरूरत बुला लिए जाते हैैं।