कानपुर (ब्यूरो)। पांडु नगर ईएसआईसी हॉस्पिटल कैंपस में मेडिकल कॉलेज और फिर सुपरस्पेशियलिटी हॉस्पिटल बनाने की प्लानिंग की गई। केन्द्रीय मंत्री ने प्रोजेक्ट की नींव भी रखीं। काम भी शुरू हुआ और मल्टीस्टोरी भी तान दी गईं। लेकिन 18 वर्ष बीतने के बाद भी न तो मेडिकल कालेज बन सका और न ही सुपरस्पेशियलिटी हॉस्पिटल। अलबत्ता इस बीच बिल्डिंग बनाने और जेनसेट आदि सामान खरीदने में 367 करोड़ रुपए खर्च कर दिए गए। रख्ररखाव के अभाव में बिल्डिंग खंडहर जैसी नजर आने लगी, दरारें तक नजर आने लगी है। जेनसेट आदि सामान भी पड़ा सड़ रहा है।
पहले 289 करोड़ रु। से मेडिकल कालेज
ईएसआईसी इम्प्लाइज के मुताबिक, पहले पांडु नगर बीमा हॉस्पिटल कैम्पस में मेडिकल कालेज बनाने का डिसीजन हुआ। साल 2006 में मेडिकल कालेज बनाने के नोडल एजेंसी भी फाइनल कर दी। तेजी से काम शुरू हो गया। ब्लाक वाइज बिल्डिंग बनाई जाने लगी। हालांकि मेडिकल कालेज के मुताबिक जमीन का एरिया आदि न होने से अडंग़ा लग गया। जिस पर ईएसआईसी ने डेंटल व नर्सिंग कॉलेज खोलने का डिसीजन लिया। इस बीच प्रोजेक्ट कास्ट बढ़कर 376 करोड़ रुपए पहुंच गई।
रखी गई सुपरस्पेशियलिटी हॉस्पिटल
ईएसआईसी के तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर मेडिकल टीम की रिपोर्ट के बाद में डेंटल व नर्सिंग कालेज की जगह 300 बेड का सुपरस्पेशियलिटी हॉस्पिटल बनाने का फैसला हुआ। वर्ष 2016 में 6 अक्टूबर को तत्कालीन यूनियन लेबर मिनिस्टर बी दत्तात्रेय ने सुपरस्पेशियलिटी हॉस्पिटल की नींव भी रखी। इसके करीब 6 महीने तक तो तेजी से काम चलता रहा। इसके बाद काम स्लो हो गया, फिर नोडल एजेंसी अपना सामान समेटकर गायब हो गई। तब से अब तक आगे कोई काम नहीं हुआ। ये जरूर है कि हॉस्पिटल बनाने का काम पूरा होने से से पहले ही खरीद लिए एसी प्लांट, वेंटीलेटर, बड़े साइज के जेनसेट, ट्रांसफार्मर आदि सामान खुले में पड़ा हुआ। उनमें जंक तक लग चुकी है।
सेंट्रल और स्टेट गवर्नमेंट में फंसा मामला
बीमा हॉस्पिटल के इम्प्लाइज के मुताबिक स्टेट गवर्नमेंट प्रदेश में बीमा हॉस्पिटल्स का संचालन ईएसआईसी के जरिए करती है। इसके लिए फंड सेंट्रल गवर्नमेंट मुहैया कराती है। वर्ष 2021 तत्कालीन केन्द्रीय मंत्री संतोष गंगवार ने यूपी के सीएम को सुपरस्पेशियलिटी हॉस्पिटल संचालित करने के बदले जाजमऊ बीमा हॉस्पिटल की अदला-बदली का प्रपोजल भी दिया था। जीएसवीएम मेडिकल की प्रिंसिपल डा.आरती लाल चंदानी के समय पर तत्कालीन प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा आलोक कुमार ने निरीक्षण कर इसे मेडिकल कालेज में शामिल करने की प्लानिंग की थी। लेकिन अब तक ऐसा नहीं हो सका। कुल मिलाकर सुपरस्पेशियलिटी हॉस्पिटल का मामला सेंट्रल और स्टेट गवर्नमेंट के बीच झूल रहा है। अब तक इसका कोई हल नहीं निकल रहा है। ये जरूर है कि ईएसआईसी बोर्ड व संसद में मामला उठने के बाद हेडक्वार्टर से डीजी सहित अन्य ऑफिसर जांच को आ चुके हैं।