कानपुर (ब्यूरो)। शासन के आदेश पर सैटरडे को नशे के सौदागरों और भू माफिया पर कानपुर कमिश्नरेट पुलिस ने शिकंजा कसा। पुलिस का सिस्टम लीकेज होने की वजह से कोई माफिया तो पुलिस को हत्थे नहीं चढ़ा, लेकिन किसी के घर से नगदी तो किसी के घर से कंट्री मेड पिस्टल के साथ ही तमंचा और कारतूस बरामद हुए। सूत्रों की माने शहर में जोर शोर से नशे का कारोबार हो रहा है। इसका सबूत आचार संहिता में की गई पुलिस की कार्रवाई है। क्योंकि मार्च में आचार संहिता लागू होने के बाद से अब तक पुलिस ने चेकिंग में 3500 किलोग्राम मादक पदार्थ बरामद किया है। इनमें अवैध शराब, चरस, गांजा, स्मैक और नशीली सिगरेट शामिल है। वहीं, चारों जोनों से तीन महिला सहित 222 तस्कर गिरफ्तार कर जेल भेजे गए हैं। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या कानपुर भी &उड़ता पंजाब&य बन रहा है।
यूपी में चार सेक्टर में नशे का कारोबार
नशे के कारोबारियों ने यूपी को चार सेक्टर में बांट रखा है। पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल से आने वाला मादक पदार्थ लखनऊ में स्टोर करके रखा जाता है। यहां से कानपुर में रखा जाता है फिर इसे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बरेली और बदायूं सप्लाई किया जाता है। कानपुर से कानपुर देहात और बुंदेलखंड तक सप्लाई जाती है। जबकि बरेली और बदायूं से मेरठ और सहारनपुर की ओर माल भेजा जाता है।
आउटर इलाके में गोदाम
कानपुर के आउटर इलाके में नशीले पदार्थों के गोदाम बना रखे हैैं। शहर में नशीले पदार्थों की तस्करी की जिम्मेदारी अनवरगंज के सोनकर बंधु और बच्चा व बउआ लिंडा पर है। सैटरडे को पुलिस ने शास्त्री नगर निवासी सुशील बच्चा और राजकुमार उर्फ बउआ लिंडा के घर भी दबिश दी थी। नशे के कारोबार का इंटरस्टेट गैैंग का संचालन करने वाले सुशील बच्चा के दूसरे ठिकानों पर भी दबिश दी गई लेकिन न तो माल मिला और न ही बच्चा और बउआ।
कोचिंग मंडी में डेली तीन कुंतल गांजे की खपत
मादक पदार्र्थों के तस्करों की माने तो काकादेव, कल्याणपुर, चौबेपुर, बिठूर, रावतपुर व मंधना के इलाके में एक दिन में तीन कुंतल गांजे की खपत होती है। इस इलाके में महिलाएं भी गांजा बेचते हुए आसानी से मिल जाएंगीं। बीते दिनों 9 महिला गैैंगस्टर की फाइलें पुलिस के अभिलेखागार से गुम हो गई थीं। पुलिस रिकॉर्ड की माने तो शहर दो दर्जन से ज्यादा महिला तस्कर पुलिस के रिकॉर्ड में दर्ज हैैं। ग्वालटोली और नवाबगंज में ये महिला तस्कर आसानी से लोगों तक नशा पहुंचाती हैैं।