- क्रोम डिस्पोजल के नाम पर फैक्ट्री चलाई लेकिन जमीन में डंप करते चले गए, सभी फैक्ट्री 2005 में हो चुकी हैं बंद
- 280 करोड़ का जुर्माना लगने के बाद अंडर ग्राउंड हुए फैक्ट्री मालिक, इनमें एक पूर्व सांसद की फैक्ट्री भी शामिल
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KANPUR : टेनरियों से निकलने वाले क्रोम को डिस्पोज करने के नाम पर फैक्ट्री चलाई, लेकिन एक ग्राम भी क्रोम को डिस्पोज नहीं किया। सालों पुराना काला सच एनजीटी की जांच में पकड़ गया। ट्रिब्यूनल ने दोषी मानते हुए 6 फैक्ट्रियों पर 280 करोड़ का जुर्माना लगाया। रनियां के खानचंद्रपुर की 1 टेक्सटाइल व 5 केमिकल फैक्ट्रियों पर ये जुर्माना लगा है। इन फैक्ट्रियों ने खूब प्रॉफिट बनाया और क्रोम को यहीं डंप कर चले गए। इससे जमीन के साथ ही ग्राउंड वाटर भी बुरी तरह पॉल्यूट हुआ। एनजीटी में कंप्लेन के बाद मॉनिटरिंग कमेटी ने इसकी जांच कर कारर्1वाई की।
इन फैक्ट्रियों पर जुर्माना
खानचंद्रपुर में कीर्तिमान शाह की अमिलिया टेक्सटाइल, दिलीप अवस्थी की चांदनी केमिकल्स व सेरूलीन केमिकल्स, केसी अग्रवाल की हिल्जर केमिकल्स, केके जैन की रुक्मणी केमिकल्स और पूर्व सांसद अनिल शुक्ला वारसी की वारिश केमिकल्स फैक्ट्री शामिल हैं। लोगों की सेहत का ख्याल छोड़कर इन फैक्ट्रियों ने क्रोम का डिस्पोजल नहीं किया।
नहीं हटाया क्रोमियम
ईयर 2005 में गवर्नमेंट ने यहां इन फैक्ट्रियों को बंद करा दिया था। सरकार के फैसले के बाद किसी भी फैक्ट्री ओनर ने डंप साइट से क्रोमियम नहीं हटाया। इसका खामियाजा आज लोगों को भुगतना पड़ रहा है। यूपी पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के अधिकारियों ने इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की। इन उद्यमियों को एक माह में जुर्माना राशि जमा कराने का आदेश एनजीटी से मिला है।
ग्लू भट्ठी रोकने को टीम
इस बात को जिले के अधिकारी भी मानने लगे हैं कि चोरी छिपे टेनरियां चल रही हैं। डीएम विजय विश्वास पंत ने जाजमऊ में चल रहीं ग्लू भट्ठियों को बंद कराने के लिए टीम गठित की है। बता दें कि ग्लू भट्ठियों में वेस्ट लेदर को जलाकर डिस्पोज किया जाता है। एसीएम-2 अमित राठौर, नगर निगम, यूपीपीसीबी और पुलिस को टीम में शामिल किया गया है। 3 दिन में डीएम ने रिपोर्ट मांगी है।