कानपुर (ब्यूरो)। आरटीई(राइट टू एजूकेशन) के अंतर्गत प्राइवेट स्कूलों में प्री प्राइमरी और फस्र्ट क्लास में एडमिशन के लिए चयनित बच्चों को चार महीने बाद भी एडमिशन नहीं मिल पाया है। प्राइवेट स्कूल में बच्चे को पढ़ाने की चाह लिए आर्थिक रूप से कमजोर पैरेंट्स आवंटित स्कूलों के चक्कर लगाकर थक चुके हैं। निराश होकर 1865 पेरेंट्स ने अब बच्चों का इन स्कूलों में एडमिशन कराने से ही इन्कार कर दिया है।

बीएसए का क्या है दावा

आरटीआई के तहत 9289 बच्चे प्राइवेट स्कूलों में एडमिशन के लिए सेलेक्ट किए गए थे। इन्हें इनके क्षेत्र के स्कूलों की लिस्ट एडमिशन के लिए जारी की गई थी। अब तक में 3615 बच्चों को ही प्राइवेट स्कूलों में एडमिशन मिला है। जबकि 5674 बच्चे अभी इंतजार कर रहे हंै। खंड शिक्षा अधिकारियों से मिली रिपोर्ट के आधार पर बीएसए का दावा है कि पेरेंट्स ने ने मनचाहा स्कूल न मिलने पर बच्चों का प्रवेश कराने से इन्कार कर दिया है। शेष बच्चों को एडमिशन के लिए स्कूलों को नोटिस भेजा गया है। ट्यूजडे तक हर हाल में एडमिशन हो जाएंगे।

चार चरणों में लॉटरी
26 फरवरी से लेकर अब तक चार चरणों में लाटरी निकालकर स्कूल आवंटन किए गए। पहले चरण में 5164, दूसरे में 3251, तीसरे में 739 और चौथे चरण में 135 बच्चों को आरटीई की लॉटरी प्रक्रिया में शामिल किया गया। छोटे स्कूलों ने तो बच्चों को एडमिशन दे दिया लेकिन अभी भी शहर के 14 बड़े स्कूल ऐसे हैं जो बच्चों को आरटीई के तहत उनका हक नहीं दे रहे हैं।

इन स्कूलों को डीएम, एडीएम, बीएसए तक चेतावनी दे चुके हैं लेकिन इसके बाद भी कोई खास असर नहीं पड़ा है। एमएलसी अरुण पाठक ने भी बीएसए को पेरेंट्स की शिकायतों से अगवत कराया था।