कानपुर (ब्यूरो)। बांग्लादेश से महिलाओं की तस्करी कर उन्हें दिल्ली पहुंचाकर तरह-तरह के गैरकानूनी काम करवाने वाला पूरा गैंग पुलिस के हाथ लगा है। कल्याणपुर पुलिस ने बिठूर रोड से बांगलादेश के कुमिला फतियाबाद में रहने वाली आखी उर्फ मधू सिंह को गिरफ्तार किया है। मधू वर्तमान में एलडीए कॉलोनी कानपुर रोड लखनऊ में रह रही थी। उसके पास से तीन मोबाइल, एसबीआई का डेबिट कार्ड, चेकबुक, पासबुक और पैन कार्ड बरामद हुआ है। कमिश्नरेट पुलिस, एसटीएफ, एटीएस और दूसरी एजेंसियां आखी से इनवेस्टिगेशन कर रही हैैं। आखी लंबे समय से लखनऊ में रह रही थी, जबकि उसके पास भारत में रहने के लिए वीजा और पासपोर्ट नहीं था।

जेल में नजमा उर्फ पूजा से पूछताछ
ट्यूजडे को कल्याणपुर थाने से दो दिन पहले जेल भेजी गई नाजमा उर्फ पूजा से एटीएस, एसटीएफ और इंटेलीजेंस की टीम के साथ क्राइम ब्रांच ने पांच घंटे पूछताछ की थी। जिसमें पता चला कि आखी भी इन दिनों कानपुर के कल्याणपुर इलाके में है। आखी की गिरफ्तारी के बाद सारी टीमें अब आखी से पूछताछ कर रही हैैं। नाजमा उर्फ पूजा के इनवेस्टिगेशन के दौरान चौंकाने वाली जानकारी मिली है। सूत्रों के मुताबिक कोलकाता के रास्ते पश्चिम बंगाल से युवतियां दिल्ली और दूसरे प्रदेशों के उन बड़े जिलों में भेजी जा रही हैैं, जहां नौकर और नौकरानियां सप्लाई करने वाली एजेंसियां हैैं। ये एजेंसी संचालक इन युवतियों की फेक आईडी बनाकर मेडिकल कराते हैैं और मोटा कमीशन लेकर घरों में इनकी सप्लाई कर रहे हैैं।

कर रही थी अपनी बारी का इंतजार
सूत्रों की माने तो नाजमा उर्फ पूजा को लेने के लिए दिल्ली की रहने वाली ज्योति निषाद आई थी। उसकी आईडी भी दिल्ली में बनकर तैयार हो गई थीं, जिसके बाद उसे भी काम में लगाया जाना था लेकिन पुलिस को उसकी जानकारी पहले ही लग गई और उसे गिरफ्तार कर लिया गया। पूछताछ करने वाली टीम की माने तो दिल्ली में मानव तस्करी को लेकर काफी सख्ती है, इस वजह से कोलकाता से युवतियों को लाकर कानपुर में रखा जाता है। इन्हें घनी बस्तियों में इसलिए रखा जाता है कि ये किसी से घुल मिल न सकें। लोगों को इनकी जानकारी न मिल सके। इनके रखने का बकायदा पैसा लिया जाता है, जिस परिवार में ये रहती हैैं, उस परिवार को पूरी कमाई देती हैैं।

लोकल इंटेलीजेंस पूरी तरह से फेल
कमिश्नरेट में हर थाने की अपनी लोकल इंटेलीजेंस है, लेकिन दूसरे देश के लोग चोरी छिपे आकर कानपुर में कुछ दिनों के लिए अपनी ठिकाना बनाते हैैं, इसकी जानकारी लोकल इंटेलीजेंस को नहीं हो पाई। नाजमा भी तीन महीने से कानपुर में रह रही थी और आखी भी कई साल से अवैध तरीके से कानपुर और लखनऊ के बीच आना जाना करती रहती थी। कुछ और बांगलादेशी महिलाओं के रहने की जानकारी पुलिस को मिली है, जिस पर काम किया जा रहा है। डीसीपी वेस्ट ने बताया कि बांगलादेश की नागरिक होने के बाद आखी का पैन और आधार कैसे बन गया? इसकी जांच की जा रही है।