कानपुर (ब्यूरो) आज का सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर साइबर क्राइम क्या है? साइबर क्राइम इंटरनेट या डिजिटल माध्यमों की हेल्प से अंजाम दिया जाता है। सामान्य शब्दों में इंटरनेट या किसी नेटवर्क और कंप्यूटर से होने वाले अपराध, साइबर अपराध की श्रेणी में आते है। हम अपने दैनिक जीवन में इंटरनेट का उपयोग रिसर्च, फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन, शिक्षा, नौकरी खोज, ऑनलाइन बुकिंग, व्यवसाय, खरीदारी, ब्लॉगिंग और मनोरंजन जैसी चीजों के लिए अपने लैपटॉप, मोबाइल और टैबलेट के माध्यम से करते हैं। इस इंटरनेट ने कई सुविधाओं के साथ-साथ कई प्रकार के अपराधों को भी बढऩे का मौका दिया है।
इन साइबर क्राइम से मिलेगी मुक्ति
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200 से ज्यादा हथकंडे
साइबर स्पेशंिलस्ट का मानना है कि इन दिनों 200 से ज्यादा तरीके हैैं, जिनका इस्तेमाल कर शातिर ठग कर रहे हैं। ठगी के इन सभी तरीकों से बचने के लिए अलग-अलग उपाय हैैं। वहीं विशेषज्ञों का मानना है कि अगर आप सावधान हैैं। जरा भी सिक्सथ सेंस की स्किल है तो शातिर आपको अपने जाल में नहीं फंसा सकेंगे। किसी भी तरह की साइबर ठगी में यदि आपके खाते से बिना आपकी अनुमति पैसे निकल रहे हैं तो तत्काल 1930 पर कॉल कर दें, क्योंकि इसमें पैसों का ट्रांसफर ठगों द्वारा एक से दो दिन में बैंक में किया जाता है। इसलिए इस नम्बर पर कॉल करते ही उसे तत्काल रोक दिया जाता है और अकाउंट फ्रीज हो जाने पर रुपयों के लौटने की संभावना रहती है।
करोड़ों रुपए दिलाए वापस
साइबर ठगअपनी लुभावनी बातों में फंसा कर सीधे साधे लोगों से रकम ठगते हैैं। ऐसे ही तीन मामलों में साइबर ठगों से क्राइम ब्रांच ने रुपये वापस कराए। पहले मामले में संतोष कुमार दीक्षित को उनके खाते से पार हुई रकम में 36,567 रुपये वापस कराए। दूसरे मामले में रिंकी गुप्ता को उनके खाते से यूपीआई के माध्यम से ट्रांसफर हुए 12,100 रुपए वापस कराए। तीसरे मामले में कल्याणपुर निवासी शिवपाल सिंह को के साथ हुए 10,235 रुपये के फ्रॉड में पूरी रकम वापस कराई। अब तक साइबर सेल पीडि़तों के करोड़ों रुपए वापस करा चुकी है।
साइबर सेल की टीम लगातार काम कर रही है। नए संसाधनों और एक्सपट्र्स आने से साइबर ठगी के मामलों पर रोक लगेगी।
बीपी जोगदण्ड, पुलिस कमिश्नर