कानपुर (ब्यूरो)। जेईई और नीट की कोचिंग के और कोचिंग मंडी के नाम से फेमस काकादेव से सभी परिचित हैैं। क्या आप जानते हैैं कि इस स्थान का नाम काकादेव क्यों पड़ा। इसी क्षेत्र के ओम चौराहे से नवीन नगर की ओर अंदर जाने पर काकादेव बाबा के नाम से एक मंदिर है। इस स्थान का नाम उसी मंदिर में विराजमान काकादेव बाबा के नाम से पड़ा है। मंदिर के पुजारी विजय पांडेय ने मंदिर के बाहर बने कुएं से काकादेव बाबा का संबंध बताया है। उन्होंने बताया कि सालों पहले यहां गांव हुआ करता था तब इसी कुएं से दो मूर्तियां निकली, जिसमें एक मूर्ति दोबारा कुएं में चली गई और दूसरी मूर्ति को काकादेव बाबा के नाम से मंदिर में स्थापित किया गया है।
जब मंदिर स्थापित हुआ तब था गांव
बताया जाता है कि जब मंदिर की स्थापना हुई थी तब यहां पर आसपास गांव हुआ करता था। मंदिर की स्थापना के बाद आसपास के लोगों ने यहां पर पूजा अर्चना करना शुरू किया। धीरे धीरे आसपास का इलाका डेवलप हुआ तो काकादेव से नवीन नगर, रानीगंज, गीता नगर और पांडुगर आदि इलाके निकले। आज भी इस मंदिर की अपनी अलग महिमा है। सुबह और शाम को भक्तों का डेरा यहां पर लगता है।
अब ऐसा है इलाका
काकादेव इलाके को इस समय सिटी की कोचिंग मंडी या स्टूडेंट हब के नाम से जाना जाता है। यहां जेईई और नीट की करीब 200 से ज्यादा कोचिंग हैैं। नेशनल या स्टेट लेवल के सभी फेमस कोचिंग संस्थानों के सेंटर यहां पर हैैं। इतना ही नहीं कोचिंग डेवलप होने के साथ साथ यहां पर हास्टल और मेस भी हैैं। जहां पर बाहर से आने वाले स्टूडेंट्स रहते और खाना खाते हैैं। स्टूडेंट्स का हब होने के चलते यहां की गलियों में खाने पीने के आउटलेट, कैफे और स्ट्रीट फूड काउंटर भी हैैं।
इकोनॉमिक ग्रोथ हुई
आसपास के लोगों ने बताया कि इस क्षेत्र का इकोनॉमिक डेवलपमेंट कोचिंग सेंटर डेवलप होने के बाद हुआ है। शुरुआत में कोचिंग संचालकों ने मकान के कुछ हिस्सों को किराए पर लेना शुरु किया बाद में स्टूडेंट्स के बढऩे पर हास्टल और मेस बढ़े, जिससे यहां के वाशिंदों की इकोनॉमिक ग्रोथ हुई है।