-शुक्रवार सीएमएम कोर्ट में हुई सुनवाई में फिर से पेश हुए रेनू के पुराने वकील, अर्जी वापस ली
- पीयूष-मनीषा सहित बाकी हत्यारोपियों ने ली राहत की सांस, रेने के फैसले से सभी हैरत में
-चर्चाओं को बाजार गर्म, किसी ने कहा रसूखदार हत्यारोपियों का दबाव तो किसी ने बताया पैसे का खेल
कानपुर:शहर के हाईप्रोफाइल और खौफनाक ज्योति हत्याकांड में शुक्रवार को कोर्ट में सुनवाई पर हत्यारोपी समेत कानपुराइट्स की नजर थीं। वारदात में शामिल साथी के सरकारी गवाह बनने की संभावना से बाकी हत्यारोपी घबरा रहे थे तो दूसरी ओर सभी सच्चाई जानने के लिए उसको सरकारी गवाह बनते देखना चाहते थे। लेकिन हत्यारोपी रेनू के अचानक यू-टर्न लने से सभी हैरत में पड़ गए। साथ ही उसने अपना वकील भी बदल दिया। उसने अपने पुराने वकील पर ही फिर से भरोसा जताया है। रेनू के सरकारी गवाह बनने से इंकार करने पर हर तरफ चर्चाओं का बाजार गर्म है कि आखिर कोर्ट में सरकारी गवाह बनने की अर्जी लगाने के बाद वह क्यों मुकर गया। कहीं ये रसूखदार आरोपियों के दबाव का नतीजा तो नहीं। क्योंकि रेनू के सरकारी गवाह बनने से सबसे ज्यादा मुश्किलें पीयूष, मनीषा और बाकी आरोपियों को ही होने वाली थी।
फैसले पर थीं सभी की निगाहें
ज्योति हत्याकांड में शुक्रवार को हत्यारोपी पीयूष, उसकी माशूका मनीषा समेत अन्य आरोपियों को सीएमएम कोर्ट में पेश किया, तो वहां पर पहले से आरोपियों के परिजन और वकील मौजूद थे। सभी की निगाह हत्यारोपी रेनू पर थी। पुलिस के मुताबिक, रेनू ने ही ज्योति को चाकू से गोदकर कत्ल किया था। उसने पिछली तारीख में एडवोकेट संजीव तिवारी और रत्नेश को बदलकर एडवोकेट फैसल को पैरवी के लिए नियुक्त कर लिया था। एडवोकेट फैसल ने कोर्ट में धारा 306 के तहत अर्जी दाखिल कर हत्यारोपी रेनू को सरकारी गवाह (वादा माफी गवाह) बनने की अपील की थी। शुक्रवार को उसी अर्जी पर एडवोकेट फैसल ने बहस की और फिर कोर्ट के बाहर चले गए। तभी एडवोकेट संजीव तिवारी और रत्नेश मिश्रा ने कोर्ट में पेश होकर दावा किया कि वे ही हत्यारोपी रेनू के वकील हैं। जिसे सुनकर सभी हैरत में पड़ गए। कोर्ट ने वकीलों के दावे को तसदीक करने के लिए हत्यारोपी रेनू से पूछा, तो उसने हामी भर दी।
पिता ने कान में कुछ कहा और रेनू किया इंकार
सीएमएम कोर्ट में ज्योति हत्याकांड की बहस को सुनने के लिए आरोपियों के परिजन, वकील, समेत अन्य लोगों का जमावड़ा लगा था। सभी हत्यारोपी रेनू की सरकारी गवाह बनने की अर्जी पर बहस और निर्णय को सुनना चाहते थे। वहां पर हत्यारोपी रेनू के पिता भी मौजूद थे। उन्होंने रेनू से मुलाकात कर कान में कुछ कहा और फिर वहां से चले गए। जिसके बाद एडवोकेट संजीव और रत्नेश मिश्रा ने उससे बात की। जिसके बाद हत्यारोपी रेनू से सरकारी गवाह बनने से इन्कार कर दिया। जिसे सुनते सभी हैरत में पड़ गए। एडवोकेट रत्नेश मिश्रा ने कोर्ट से कहा कि उनके मुवक्किल यानि रेनू ने न तो सरकारी गवाह बनने की अर्जी दी है और न ही उसने वकील बदला है। जब वो निर्दोष है, तो वो सरकारी गवाह कैसे बन सकता है। कोर्ट ने सच्चाई जानने के लिए रेनू से पूछा, तो उसने गवाह बनने से इन्कार कर दिया। जिसे सुनने के बाद कोर्ट ने धारा 306 की अर्जी को खारिज कर दिया।
स्वेच्छा, दबाव या फिर कुछ और।
हत्यारोपी रेनू के सरकारी गवाह बनने से इन्कार करने का अभी रीजन पता नहीं चला है, लेकिन लोग कयास लगाने लगे हैं। कुछ लोग इसके पीछे रुपए का खेल बता रहे हैं, तो कुछ इसे बचाव पक्ष की चाल कह रहे हैं। वहीं, हत्यारोपी के वकीलों ने कुछ भी कहने से मना कर दिया। कुछ का कहना है कि रेनू ने पिता के कहने पर गवाह बनने से इन्कार किया, क्योंकि कोर्ट में जाते समय रेनू के पिता ने उसके कान में कुछ कहा था। जिसके बाद उसने गवाही से मना कर दिया था। फिलहाल कुछ भी हो, रेनू के यू-टर्न लेने का सीधा फायदा हत्यारोपी पीयूष, उसकी माशूका मनीषा समेत अन्य आरोपियों को मिलेगा।
फिर साथ-साथ आ गए सारे आरोपी।
इस हत्याकांड की पिछली तारीख में हत्यारोपी रेनू अन्य आरोपियों से अलग था। भले ही उसके और हत्यारोपी सोनू के हाथ में एक ही रस्सी बंधी थी, लेकिन वे एक-दूसरे से बात नहीं कर रहे थे। उसके सरकारी गवाह बनने की अर्जी देते हुए अन्य आरोपियों ने उससे बात करना बन्द कर दिया था। यहीं नजारा शुक्रवार को उसकी पेशी पर था, लेकिन उसके सरकारी गवाह बनने से इन्कार करते ही सब बदल गया। सारे आरोपी उससे पहले की तरह बात करने लगे।
.तो बचना था मुश्किल
सीनियर एडवोकेट्स के मुताबिक ज्योति हत्याकांड का केस परिस्थिति जन्य साक्ष्य पर टिका है। इसमें पुलिस ने मोबाइल कॉल रिकार्ड और लोकेशन के आधार पर कड़ी से कड़ी जोड़ी है। ऐसे में अगर इसमें हत्यारोपी रेनू सरकारी गवाह बन जाता तो निश्चित ही अन्य आरोपियों की मुसीबत बढ़ जाती। अब उसने सरकारी गवाह बनने से इन्कार कर अन्य आरोपियों की मुसीबत को टाल दिया।