- बिकरू पुलिस हत्याकांड की जांच के लिए गठित न्यायिक आयोग ने बिकरू गांव पहुंच आरोपियों के परिजनों से की बात
-जिस-जिस जगह पर हुए आरोपियों के एनकाउंटर वहां भी किया निरीक्षण, घटना के दौरान तैनात अधिकारियों के लिए बयान
KANPUR: चौबेपुर के बिकरू गांव में 2 जुलाई की रात को हुए पुलिस हत्याकांड की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित न्यायिक जांच आयोग फ्राईडे को कानपुर पहुंचा। सर्किट हाउस में अधिकारियों के साथ मीटिंग के बाद जांच आयोग सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस बीएस चौहान की अगुवाई में बिकरू गांव गया। इसके बाद जिन जगहों पर पुलिस ने आरोपियों के एनकाउंटर किए थे उनका भी मुआयना किया। इस दौरान एनकाउंटर में शामिल रहे पुलिस और एसटीएफ के अफसरों व सिपाहियों से भी आयोग ने लंबी पूछताछ की। आयोग की ओर से पूछे गए कुछ सवालों के जवाब एसटीएफ की टीम नहीं दे सकी।
कैसे किया एनकाउंटर
फ्राईडे सुबह न्यायिक आयोग कानपुर आया। सर्किट हाउस में आयोजित मीटिंग में आईजी रेंज मोहित अग्रवाल, डीआईजी डॉ.प्रीतिंदर सिंह, एसपी ग्रामीण बृजेश श्रीवास्तव और तत्कालीन एसएसपी दिनेश कुमार पी भी मौजूद रहे। जांच आयोग ने एनकाउंटर वाली जगहों पर जाने का कार्यक्रम बताया जिसके बाद घटना के बाद से जैसे जैसे जिसका एनकाउंटर हुआ, उस हिसाब से पुलिस न्यायिक आयोग को उन घटनास्थलों पर लेकर गई। बिकरू के पास कांशीराम निवादा गांव जहां प्रेम प्रकाश पांडेय और अतुल दुबे का एनकाउंटर हुआ था। वहां पर न्यायिक आयोग ने पुलिस अधिकारियों से पूछा कि आरोपियों को कैसे घेरा। ऑपरेशन में कितनी टीमें थी।
किसने बताया, आरोपी यहां छिपे
इस पर आईजी रेंज मोहित अग्रवाल ने जानकारी दी। जोकि खुद उस ऑपरेशन में शामिल थे। आईजी ने बताया कि आरोपियों को घेरने के लिए चार टीमें लगाई थी। इस पर आयोग ने दोबारा पूछा कि आपको कैसे सूचना मिली कि दोनों आरोपी यहां छिपे हैं। जिस पर बताया गया कि पुलिस को कुछ संदिग्ध नंबर मिले थे जिन्हें सर्विलांस पर लगाया गया था। थोड़ी सूचना उन नंबरों से मिली। इसके अलावा मुखबिरों ने उनकी लोकेशन कंफर्म की। तत्कालीन एसएसपी दिनेश कुमार पी ने बताया कि कैसे बदमाशों ने पुलिस पर फायर किया। और कैसे पुलिस ने किन किन लोकेशन से जवाबी फायि1रंग की।
गाड़ी से प्रभात कैसे भागा
आईआईटी में लंच करने के बाद न्यायिक आयोग पनकी में न्यू ट्रांसपोर्ट नगर के पास पहुंचा जहां आरोपी प्रभात मिश्रा का एनकाउंटर हुआ था। वहां पर प्रभात का एनकाउंटर करने वाली टीम पहले से मौजूद थी। आयोग ने पूछा कि अगर गाड़ी पंचर हुई थी तो प्रभात कैसे भागा। इस पर जानकारी दी गई कि उसे बीच में बैठाया गया था। गाड़ी पंचर होने पर पुलिस कर्मी नीचे टायर देखने के लिए उतरे इसी बीच प्रभात ने पास में बैठे पुलिस कर्मी की पिस्टल छीन कर उसे धक्का देकर भागने का प्रयास किया। वह सड़क पार कर कच्चे रास्ते की तरफ भागा। आयोग ने पूछा कि इसमें कितने सिपाही घायल हुए। जिस पर बताया गया कि दो सिपाही घायल हुए थे।
गाड़ी कैसे टकरा गई?
न्यायिक जांच आयोग दोपहर 3 बजे के करीब सचेंडी में हाईवे के पास उस जगह पर पहुंचा जहां मुख्य आरोपी विकास दुबे का एनकाउंटर हुआ था। आयोग के मेंबर्स ने उस जगह को देखा जहां गाड़ी पलटी थी। इस दौरान एसटीएफ की टीम से पूछा गया कि बारिश हो रही थी हाईवे चौड़ा है। तीन गाडि़यां एक साथ ओवरटेक कर सकती हैं। ऐसे में गाड़ी किनारे कैसे आकर डिवाइडर से टकरा गई। इस पर आयोग को जवाब मिला कि बारिश की वजह से सही से दिखाई नहीं दिया जिस वजह से गाड़ी किनारे आकर डिवाइडर से टकरा कर पलट गई।
सबसे पहले बाहर कौन निकला?
इसके बाद आयोग ने पूछा कि गाड़ी से सबसे पहले कौन निकला। और एनकाउंटर कैसे हुआ। इस दौरान आयोग ने एनकाउंटर का सीन रिक्रिएट करने कर समझा कि आखिर कैसे घटना हुर्ह। जिस दरोगा से पिस्टल छीनी गई थी। उससे जांच आयोग ने पूछा कि पिस्टल में कितनी गोलियां थीं। जवाब मिला 10 गोली। एनकाउंटर के बाद कितनी गोलियां मिली। जबाव मिला सिर्फ एक। इसके बाद जांच आयोग वहीं से लखनऊ के लिए रवाना हो गया।