कानपुर(ब्यूरो)। मौत से खेल रहे साहब, कोई सुनने वाला नहीं है, मेरे भी बच्चे, परिवार हैं। डिपो से रूट पर निकलने के बाद पता नहीं होता कि वापस लौटूंगा या नहीं, यह बाते मंडे को दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के झकरकटी बस अड्डे मेंं कोहरे से पहले बसों के मेंटीनेंस को लेकर किए गए रिएलटी चेक के दौरान हरदोई डिपो के बस ड्राइवर ने बताई। ड्राइवर के मुताबिक बसेंं खस्ताहाल हैं। वाइपर, साइड इंडीकेटर, फॉग लाइट को दूर सीट भी फटी व टूटी है। कई बार डिपो के फोरमैन से शिकायत की लेकिन मेंटीनेंस नहीं हुआ। यह हालत सिर्फ हरदोई डिपो की बस की ही नहीं बल्कि झकरकटी बस अड्डे में खड़ी हर दूसरी बस का था।

अगले पहियों में लगा दिया रबडि़ंग टायर
रियलिटी चेक के दौरान हिडेन कैमरे के सामने कई बसों के ड्राइवर व कंडक्टर से बात की। जिसमें हरदोई डिपो के एक बस ड्राइवर ने बताया कि बस के अगले पहियों में फोरमैन ने नए टायर लगाने की बजाए रबडि़ंग टायर लगा दिया है। जब कि व्हीकल के अगले पहिए सबसे महत्वपूर्ण हैं। रबडि़ंग टायर कब फट जाए इसका कोई भरोसा नहीं होता है। चलती गाड़ी में अगर यह रबडि़ंग टायर फट जाए तो बस को कंट्रोल करना नामुमकिन हैं।

फायर कंट्रोल सिलेंडर दिखावे के लिए
रिएलटी चेक में टीम ने नॉन एसी के साथ एसी जनरथ बसों में इमरजेंसी स्थिति के लिए रखे जाने वाले फायर कंट्रोल सिलेंडर की भी जांच की। जिसमें 90 परसेंट से अधिक बसों में खाली व खराब सिलेंडर रखे हुए थे। एक्सीडेंट व बस में अचानक आग लगने की स्थिति में आग को कंट्रोल करने के लिए बस में निर्धारित उपकरण नहीं थे।

फॉग लाइट तो दूर इंडीकेटर तक टूटेे
कोहरे के दौरान सेफ ड्राइविंग के लिए व्हीकल का सबसे महत्वपूर्ण पार्ट फ्रंट व बैक लाइट, मिरर इंडीकेटर, साइड इंडीकेटर के साथ फॉग लाइट होती है। इस समय रात व भोर में धुंध के साथ कोहरा भी पडऩे लगा है। इसके बावजूद रोडवेज अफसरों ने बसों को कोहरे के लिए तैयार नहीं किया है। बसों में फॉग लाइट तो दूर इंडीकेटर, बैक लाइट व वाइपर नहीं लगा है। यह हाल सिर्फ एक बस का नहीं बल्कि झकरकटी बस अड्डे में खड़ी लगभग 70 परसेंट बसों का था।

एसी बसों के दरवाजे टूटे पड़े
किदवई नगर डिपो की एसी जनरल बसों की हालात जब डीजे आई नेक्स्ट की टीम ने देखे तो आश्चर्यचकित हो गए। बस के ड्राइवर के पास लगा दरवाजे ही उखड़ा पड़ा हुआ था। सीट के पास लगी रहने वाले चार्जिंग प्वाइंट के बोर्ड भी उखड़े पड़े थे। लगेज ड्रॉर के नीचे लगे रहने वाले कई पंखे भी गायब थे। वहां सिर्फ हैंगर लटकता मिला।


कोहरे के दौरान बसों के लिए यह गाइड लाइन
- फॉग लाइट के साथ इंडीकेटर
- बैक लाइट के साथ रेडियम पट्टी
- फ्रंट मिरर में वाइपर
- फायर कंट्रोल सिलेंडर व फस्र्ट एड मेडिकल किट


- 700 से अधिक बसें कानपुर रीजन में
- 1000 से अधिक बसों का डेली संचालन झकरकटी से
- 30 एसी बसों कानपुर रीजन में
- 40 हजार से अधिक पैसेंजर का आवागमन झकरकटी बस अड्डे में
- 70 परसेंट से अधिक बसों का मेंटीनेंस खस्ताहाल में