-यूपी के सबसे पुराने कैंसर इंस्टीट्यूट की बिल्डिंग कंडम हालत में, पड़ चुकी हैं दरारें, रेडियेशन का एक्सपोजर बढ़ने का भी खतरा
-पीडब्ल्यूडी और एचबीटीयू ने भी अपनी जांच रिपोर्ट में बिल्डिंग को बताया है खतरनाक, इसके बाद भी सो रहे हैं जिम्मेदार अफसर
KANPUR: यूपी के सबसे पुराने कैंसर इंस्टीट्यूट के रूप में जाना जाने वाले जेके कैंसर इंस्टीट्यूट में कानपुर सहित आसपास के एक दर्जन से ज्यादा जिलों से पेशेंट इलाज करने आते हैं। यहां हजारों पेशेंट्स का कैंसर ट्रीटमेंट चल रहा है। पेशेंट्स के कैंसर से उबर कर फिर से हेल्दी लाइफ जीने की यह इंस्टीट्यूट बड़ी उम्मीद है। लेकिन, इतने अहम इंस्टीट्यूट की यह बिल्डिंग खुद 'कैंसर' का शिकार हो चुकी है.बाहर से देखने में भले ही यह बिल्डिंग नई लगे, लेकिन वक्त और यहां के रेडियेशन की वजह से बिल्डिंग जर्जर हो चुकी है। बिल्डिंग की हालत को लेकर पीडब्यूडी और एचबीटीयू दोनों अपनी जांच रिपोर्ट में इसे खतरनाक बताते हुए नई बिल्डिंग का सजेशन दे चुके हैं। जर्जर हालत की ही वजह से एक ओटी भी बंद हो गया, लेकिन जिम्मेदार अभी तक नहीं जागे हैं। ऐसे में सवाल है कि क्या किसी हादसे का इंतजार हो रहा है।
रेडिएशन का खतरा
जेके कैंसर इंस्टीटयूट में रेडियोथेरेपी के लिए एक अलग ब्लॉक बना हुआ है.इस ब्लॉक में लीनियर एक्सलरेटर मशीन भी लगी है। वहीं रेडियोथेरेपी के लिए कोबाल्ट मशीन पुरानी ही बिल्डिंग में है। रेडियेशन से बचाव के लिए ये मशीनें जिन कमरों में रखी जाती हैं उनकी दीवारे एक मीटर तक मोटी होती हैं। इसके अलावा रेडिएशन को अब्जार्व करने के लिए भी उपाय किए जाते हैं। लेकिन बिल्डिंग पुरानी और जर्जर होने की वजह से रेडिएशन के एक्सपोज होने का भी खतरा अब बढ़ गया है।
बिल्डिंग गिराने का सजेशन
जेके कैंसर इंस्टीटयूट की मेन बिल्डिंग 50 साल से ज्यादा पुरानी है। इस बिल्डिंग में ही आईसीयू, ओटी समेत रेडियोथेरेपी समेत कई मशीनें लगी है। 2018 में ही एचबीटीयू के सिविल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट की टीम ने एचओडी की अगुवाई में बिल्डिंग की हालत को देखा और अपनी रिपोर्ट दी.बिल्डिंग में कई जगहों पर दरारें आ चुकी हैं। इसके अलावा पीडब्लूडी के एक्सईएन के इंस्पेक्शन में भी बिल्डिंग की उम्र पूरी होने की बात कही गई। साथ ही माना गया कि भूकंप का झटके को यह बिल्डिंग झेल नहीं पाएंगी। अपनी रिपोर्ट में पीडब्लूडी के एक्सईएन ने बिल्डिंग को गिरवा कर नई बिल्डिंग बनाने का भी सुझाव दिया।
सिर्फ सिकाई और कीमोथेरेपी
जेके कैंसर इंस्टीटयूट में 6 बेड का आईसीयू, दो ऑपरेशन थियेटर भी हैं,लेकिन आईसीयू स्टाफ की कमी की वजह से काफी साल पहले बंद हो चुका है। जबकि दो में से एक ऑपरेशन थियेटर बिल्डिंग के जर्जर होने की वजह से बंद करना पड़ा। क्योंकि ओटी की दीवारों में दरारें पड़ चुकी हैं। अस्पताल में अब सिर्फ कैंसर पेशेंट्स की रेडियोथेरेपी व कीमोथेरेपी हाेती है।
नए ब्लॉक का प्रपोजल
जेके कैंसर इंस्टीटयूट के अपग्रेडेशन के लिए टाटामेमोरियल कैंसर हॉस्पिटल आगे आया है। इसके अलावा 9 मंजिला नए ब्लॉक के निर्माण को लेकर भी शासन स्तर से बातचीत चल रही है। हालाकि 18 फरवरी को आए यूपी सरकार के बजट में जेके कैंसर हॉस्पिटल में नए कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट के लिए 18 करोड़ रुपए की व्यवस्था की गई है,लेकिन यह अभी साफ नहीं है कि क्या इससे नए ब्लॉक का निर्माण किया जाएगा।
जेके कैंसर इंस्टीट्यूट एक नजर में-
- 1961 में शुरु हुआ 106 बेड के साथ
- रेडियोथेरेपी, आंको सर्जरी और कीमोथेरेपी की फैसेलिटी
-6 प्राइवेट रूम,6 डे केयर बेड, 6 आईसीयू बेड, 2 ओटी
- 12 हजार कैंसर के नए पेशेंट्स आते हैं हर साल ओपीडी में
- 28 हजार से ज्यादा पुराने पेशेंट्स का ट्रीटमेंट ओपीडी से
- 7 हजार से ज्यादा पेशेंट्स का एडमिशन
- 2.47 करोड़ रुपए मिले पेशेंट्स की दवा और केमिकल के लिए इस नए फाइनेंशियल ईयर के लिए
- 15.7 करोड़ रुपए मिले सैलरी व दूसरे खर्चो के लिए
- 18 करोड़ मिले नए कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट के लिए नए फाइनेंशियल ईयर के लिए
रेडियोथेरेपी के लिए ये मशीनें-
- कोबाल्ट मशीन, लीनियर एक्सीलरेटर, सीटी सिम्युलेटर, हाईडोज रेडियोथेरेपी मशीन
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इन इनवेस्टिगेशन की फैसेलिटी-
एमआरआई, डिजिटल एक्सरे, सीटी स्कैन, ओपीजी जांच, अल्ट्रासाउंड, पैथोलॉजी, आटो एनालाइजर, हेमेटोलॉजी जांचें
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वर्जन-
अस्पताल में रेडियेशन का खतरा नहीं हैं। बिल्डिंग की उम्र जरूर पूरी हो चुकी है। नए ब्लॉक के निर्माण के लिए प्रपोजल शासन के पास है।
- प्रो। एसएन प्रसाद, डायरेक्टर जेके कैंसर इंस्टीटयूट