वो समय ब्रिटेन के लिए किसी भी रूप में मुश्किल नहीं था। लेकिन कुछ ही सालों में ब्रिटेन ने कई उतार-चढ़ाव देखे – एक बड़ा चरमपंथी हमला, वैश्विक आर्थिक मंदी का बुरा असर, बढ़ती बेरोज़गारी वगैरह वगैरह।
अब ब्रिटेन में हालत ये है कि ये देश चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था के ओहदे से आठवें स्थान पर पहुंच गया है और आर्थिक विकास दर में चीन, भारत, रूस और ब्राज़ील जैसे देश ब्रिटेन से आगे निकल गए हैं।
लंदन की ऑक्सफर्ड स्ट्रीट में कई दुकानों ने वक्त से पहले ही सेल लगा ली है, इस उम्मीद में कि लोग अपनी जेबें ढीली करें। लेकिन फिर भी लोगों की भीड़ यहां दिखाई नहीं दे रही।
ब्रितानी प्रधानमंत्री डेविड कैमरन का कहना है कि खेलों से 20 अरब डॉलर का फायदा होगा। लेकिन वर्तमान हालात में क्या वाकई ओलंपिक खेल लंदन के लिए एक सुनहरा मौका साबित होगा?
नुकसान
यूरोपीय टूर ऑपरेटर असोसिएशन के टॉम जेन्किन्स का कहना है कि उनके बहुत से सैलानी ग्राहक दरअसल ओलंपिक मेज़बान देशों से दूर भागते हैं।
उन्होंने कहा, “ओलंपिक खेल आम सैलानियों को आकर्षित करने के बजाय उन्हें दूर भगाने का काम करते हैं। और खेलों के समापन के कम से कम दो साल बाद तक सैलानी उन देशों का रुख नहीं करते। सिडनी और एथेंस में क्या हुआ, ये तो सभी जानते हैं.”
सिर्फ पर्यटन क्षेत्र ही नहीं है जो खराब बिज़नेस का दावा कर रहा है। टैक्सी ड्राइवरों का कहना है कि ओलंपिक आयोजन का उनकी आमदनी पर प्रतिकूल असर पड़ा है। उनका कहना है कि कई सड़कों को बंद कर दिया है जिसकी वजह से लोग टैक्सियों का इस्तेमाल कम कर रहे हैं।
एक कैब ड्राइवर का कहना है, “कोई व्यवस्था नहीं की गई है। हमें ये भी नहीं बताया गया कि कौन-कौन सी सड़कें बंद रहेंगीं और हम कहां गाड़ियों को पार्क कर सकते हैं या नहीं कर सकते हैं। खेलों का आयोजन ईस्ट एंड में किया गया है जबकि सभी पर्यटकों को वैस्ट एंड के होटलों में ठहराया गया है। ऐसा क्यों किया गया आखिर?”
उम्मीद
इनकी बातें सुन कर स्थिति थोड़ी नकारात्मक दिखाई पड़ती है, लेकिन ओलंपिक पार्क के आस-पास रहने वाले लोगों के लिए ज़रूर पैसा बनाने के मौके बढ़े होंगें। लेकिन स्ट्रैटफर्ड में रहने वाले रिचर्ड वेलिंग्स से बात करने के बाद ऐसा नहीं लगता।
उनका कहना है, “मैं खेलों को लेकर बिलकुल खुश नहीं हूं। ये एक भयावह अनुभव है। स्थानीय लोग इससे पैदा होने वाली धूल-मिट्टी और बाकी रुकावटों से परेशान हैं। मुझे नहीं लगता कि ओलंपिक पार्क के आस-पास की दुकानों को भी कोई फायदा हो रहा है। खेलों से जो पैसा आएगा भी, वो इतना नहीं होगा जो हमें मंदी से बाहर निकाल पाए.”
ओलंपिक का आयोजन ब्रिटेन के लिए कितना फायदेमंद साबित होगा, इस पर आर्थिक विश्लेषकों और व्यापारियों का मत अलग-अलग है। लेकिन अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के मार्किटिंग अध्यक्ष माइकल पेन को विश्वास है कि ओलंपिक ब्रिटेन के लिए वरदान साबित होंगें।
उनका कहना है, “मुझे लगता है कि प्रधानमंत्री कैमरन का 20 अरब डॉलर के फायदे का अनुमान सही है। और इन खेलों का सकारात्मक असर केवल आने वाले महीनों में ही नहीं, बल्कि आने वाले दस सालों में भी देखने को मिलेगा.”
माइकल पेन के दावे में कितना दम है, ये तो आने वाला वक्त ही बता पाएगा। लेकिन ये नहीं भूला जा सकता कि एथेंस ओलंपिक खेलों के बाद ग्रीस के बुरे हालात के ज़ख्म अब भी ताज़ा हैं।
International News inextlive from World News Desk