कानपुर (ब्यूरो) सोर्सेज की मानें तो बुधवार से इस सरेंडर की रूपरेखा तैयार की जा रही थी। पहले दूसरे प्रदेश में सरेंडर कराने का प्लान था, लेकिन इसके बाद जब सेटिंग और गेटिंग का खेल शुरू हुआ तो इरफान शुक्रवार को अपनी पार्टी के विधायकों और मिलने वालों के साथ पुलिस कमिश्नर ऑफिस पहुंच गए। यहां भी उनको भय था कि कहीं उनके साथ कुछ गलत न हो जाए, इसलिए वे फेसबुक लाइव करते हुए आए। इस सरेंडर में मुख्य भूमिका शहर के धार्मिक गुरुओं, साथी विधायक और कुछ कचहरी के नुमाइंदों की रही। कहा जा रहा है कि अगर विधायक सरेंडर न करते तो शुक्रवार को कुर्की की कार्रवाई पुलिस करने जा रही थी।
तीन टीमें दिन रात लगी थीं
इरफान को सरेंडर के लिए मजबूर करने को उनके परिजनों और मिलने-जुलने वालों पर शिकंजा कस रहा था। पुलिस की तीन टीमें लगातार उसकी तलाश कर रही थीं। नूरी शौकत और उसकी बहन उज्मा सोलंकी को रात पर थाने में रहकर पूछताछ करने की वजह से इरफान टूट गया था। उसने उसी दिन सरेंडर करने का प्लान बना लिया था। उसे डर था कि कहीं परिवार वालों को किसी केस में न फांस दिया जाए, दूसरी सबसे महत्वपूर्ण बात ये थी कि वह अपने परिवार वालों से भी संपर्क नहीं कर पा रहा था। कुर्की की टेंशन भी बढ़ रही थी। डर था कि पिता का बनाया हुआ घर कहीं बुलडोजर का शिकार न हो जाए।
सूत्रधार का सिग्नल मिलते ही
इरफान से जुड़े लोगों की मानें तो फर्जी आधार से यात्रा करने का मामला खुलने और एयरपोर्ट के फुटेज पुलिस को मिलने के बाद इरफान को कभी भी पकड़े जाने का डर था। सूत्रों की मानें तो वह इस पूरे सरेंडर के सूत्रधार को साधने के लिए हैदराबाद भी गया था, जहां सूत्रधार के परिवार वालों से बात की गई और पूरी रूपरेखा तैयार की गई। सरेंडर की सूचना सूत्रधार के अलावा चंद लोगों को थी, लेकिन समय 10:00 बजे निर्धारित किया गया था। बताया जा रहा था कि इरफान बुधवार देर शाम से कानपुर में ही थे और गुपचुप सरेंडर की रणनीति तैयार हो रही थी। शुक्रवार को जैसे ही पुलिस कमिश्नर ऑफिस में बैठे सूत्रधार की ओर से ग्रीन सिग्नल मिला, इरफान न सरेंडर कर दिया।
इस वजह से नहीं बचा था कोई रास्ता
-घरवालों, करीबियों पर कस रहा था कानूनी शिकंजा
-चार मददगारों को पुलिस ने भेज दिया था जेल
-घर की कुर्की की पुलिस ने कर ली थी तैयारी
-पुरानी फाइलें भी तेजी से खुलती जा रही थीं
-गैंगस्टर लगाने की भी आ रही थी खबरें
-इनाम घोषित करने के साथ हिस्ट्रीशीट खुलने का भय
- घर पर पर कहीं बुलडोजर न चल जाए