इस क़दम के बाद ईरान वित्तीय तौर पर और अलग-थलग पड़ जाएगा क्योंकि अब आधिकारिक बैंकिंग व्यवस्था के ज़रिए मुद्रा का देश में आना और देश से बाहर जाना लगभग नामुमकिन हो जाएगा।
इससे ईरानी तेल उद्योग को तो झटका लगेगा ही साथ ही विदेशों में रह रहे ईरानियों को घर धन भेजने में भी मुश्किलें उठानी पड़ेंगी। ईरान के परमाणु कार्यक्रम को देखते हुए यूरोपीय संघ ने ईरान पर प्रतिबंध लगा रखा है और ये क़दम उसी के बाद उठाया जा रहा है।
अमरीका और उसके सहयोगी देशों का ईरान पर परमाणु हथियार विकसित करने का आरोप है, हालाँकि ईरान इससे इनकार करता रहा है। प्रतिबंध मामलों के विशेषज्ञ मेहरदाद एमादी कहते हैं, "स्विफ्ट की सुविधाएँ नहीं होना किसी व्यवसायी के पास यात्रा के दस्तावेज़ नहीं होने जैसा है."
लगभग हर वित्तीय लेने-देन बेल्जियम स्थित स्विफ़्ट के माध्यम से होता है। स्विफ़्ट या सोसाइटी फ़ॉर वर्ल्डवाइड इंटरबैंक फ़ाइनेंशियल टेलीकम्युनिकेशन यानी दुनिया भर में बैंकों के बीच आदान-प्रदान पर नज़र रखने वाली व्यवस्था।
बढ़ी ईरान की मुश्किलें
स्विफ्ट शनिवार को ग्रीनिच मान समय के मुताबिक़ चार बजे शाम से ईरानी बैंकों को अलग कर रहा है। इससे पहले ही ये भी ख़बर आई थी कि पास के संयुक्त अरब अमीरात में एक जगह की मुद्रा दूसरे जगह की मुद्रा में बदलने वाल 'एक्सचेंज' अब ईरानी रियाल लेना बंद कर चुके हैं। इससे भी ईरानी व्यापारिक क्षमता पर असर होगा।
ईरान काफ़ी हद तक अपने तेल उद्योग पर आश्रित रहता है। चीन और भारत कह चुके हैं कि वे फिर भी ईरान से तेल लेंगे मगर अब ईरान को क़ीमत अदायगी का तरीक़ा सोना रह जाएगा।
एक ईरानी व्यापारी ने कहा कि स्विफ़्ट के इस फ़ैसले के बाद ईरान से व्यापार करना लगभग नामुमकिन हो जाएगा। दुबई स्थित ईरानी बिज़नेस काउंसिल के मुर्तज़ा मासूमज़ादेह ने रॉयटर्स समाचार एजेंसी को बताया, "अगर ईरान दुनिया भर के बैंकों के साथ आदान-प्रदान नहीं कर सकता तो उसके कई व्यापारिक और बैंकिंग के रिश्ते समाप्त ही हो जाएँगे."
उधर स्विफ़्ट के मुख्य कार्यकारी लाज़ारो कैंपोस ने कहा, "बैंकों को अलग करने का फ़ैसला असाधारण और अभूतपूर्व है। ये ईरान के विरुद्ध वित्तीय प्रतिबंध और मज़बूत करने के अंतरराष्ट्रीय क़दम का नतीजा है."
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