कानपुर (ब्यूरो)। किसी भी मामले की सबूतों के आधार पर निष्पक्ष जांच हो और आरोपियों को सजा मिले, इसके लिए शासन से लेकर सीनियर पुलिस ऑफिसर्स की ओर से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए एसीपी और डीसीपी स्तर के अधिकार खुद थाने में जाकर शिकायतें सुन रहे हैं। लेकिन, थाना-चौकी स्तर पर पुलिस का रवैया न सुधरने पर पीडि़त 42-45 डिग्री टेम्प्रेचर में भी कभी थाने, कभी एसीपी तो कभी डीसीपी ऑफिस चक्कर लगा रहे हैैं। क्योंकि करीब 90 मामलों में जांच कर रहे आईओ(दारोगा) अपने डिपार्टमेंट के साथियों(पूर्व आईओ) से याराना निभा रहे हैं। कार्रवाई से बचाने के लिए महीनों से जांच दबाए बैठै हैं। क्योंकि गलत रिपोर्ट लगाई तो खुद फसेंगे, सही रिपोर्ट लगाई तो साथी पर गाज गिरना तय है।
लग चुकी है चार्जशीट या एफआर
जमीनी विवाद, ठगी, घर दुकान में घुसकर मारपीट, पति-पत्नी का विवाद, लेन देन के मामले। कोर्ट के आदेश से दर्ज हुए कई केस समेत दो दर्जन से ज्यादा इस तरह के मामले सामने आए हैैं। इन मामलों में पहले विवेचनाधिकारी(आईओ) जांच कर चार्जशीट या फाइनल रिपोर्ट फाइल कर चुके हैैं। इसके बाद पीडि़त पक्ष ने कोर्ट में रिक्वेस्ट कर इविडेंस को शामिल करने का निवेदन किया था। कोर्ट के स्पष्ट आदेश हैं कि नए विवेचनाधिकारी इविडेंस को शामिल कर अपनी जांच रिपोर्ट निर्धारित समय पर भेजें। लेकिन, 11 महीनों से इस तरह की 90 से ज्यादा जांचों को विवेचनाधिकारी केवल इसलिए दबाकर बैठे हैैं कि अगर पुरानी रिपोर्ट के अगेंस्ट रिपोर्ट लगा दी तो पुुराने विवेचनाधिकारी को दंड दे दिया जाएगा।
18 पुलिसकर्मियों पर गाज गिरनी तय
कई आईओ जांच रिपोर्ट दबाकर साथियों को बचाने में जुटे हैं लेकिन लूटपाट, धोखाधड़ी, खनन माफियाओं से साठगांठ, पुलिस की गोपनीयता भंग करने समेत अन्य मामलों में फंसे 18 पुलिसकर्मियों पर गाज गिरना तय है। इनके खिलाफ करीब दो साल से चल रही विभागीय जांच पूरी हो गई है और सभी पर लगे आरोप सही पाए गए हैं। जांच अधिकारियों ने अपनी-अपनी रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को भेज दी है। साथ ही सभी पुलिसकर्मियों को चार्जशीट देकर जवाब के लिए अंतिम मौका दिया गया है। इसके बाद सजा तय की जाएगी। माना जा रहा कि चार दरोगा समेत पांच पुलिसकर्मियों को बर्खास्त किया जा सकता है।
इन लोगों पर लगे हैैं संगीन आरोप
एक इंस्पेक्टर, सात दरोगा, नौ कांस्टेबल व एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी पर संगीन आरोप लगे थे। दो साल पहले तत्कालीन पुलिस कमिश्नर बीपी जोगदंड के निर्देश पर एडिशनल डीसीपी से लेकर एसीपी तक को जांच सौंपी गई थी। अधिकतर अधिकारियों ने अब अपनी जांच रिपोर्ट सौंप दी है। वहीं कुछ मामलों में जिरह और आरोप पत्र दाखिल कर दिए गए हैं। अब सीनियर ऑफिसर्स ने पुलिसकर्मियों को बचाव के लिए अंतिम मौका देते हुए चार्जशीट भेजकर जवाब मांगा है।
खनन माफिया को बचाने का खेल
खनन की शिकायत पर 18 अगस्त 2021 को भूतत्व एवं खनिकर्म निदेशालय लखनऊ के निर्देश पर जिला खनन अधिकारी केबी सिंह कानपुर-सागर हाईवे पर टीम के साथ जांच पर गए थे। एक कार लगातार उनका पीछा कर रही थी। पता चला कि कार सवार खनन विभाग की टीम की लोकेशन हमीरपुर, कानपुर और लखनऊ तक के ट्रक चालकों और ट्रांसपोर्टर्स को दे रहे थे। टीम ने जब इनको पकड़ा तो इनके पास से बरामद मोबाइल फोन में ट्रांसपोर्टर्स और ड्राइवर्स के नंबर मिले थे। जांच में जुटे आईओ दरोगा सूर्यदेव चौधरी और तत्कालीन एसओ रावेंद्र मिश्रा ने माफिया को बचाने के लिए विवेचना में खेल करने के साथ ही मालखाना से मोबाइल गायब कर दिया था। इन दोनों की बर्खास्तगी तय मानी जा रही है।
चेकिंग के नाम पर दरोगा ने की लूटपाट
दरोगा भुवनेश्वरी को 2023 में चेकिंग के नाम पर जालौन निवासी उपेंद्र सिंह जादौन समेत अन्य से मारपीट कर सोने की चेन, अंगूठी, 20 हजार रुपये व मोबाइल लूटने के आरोप में जेल भेजा गया था। उनके खिलाफ पनकी थाने में लूट, रंगदारी मांंगने समेत अन्य धाराओं में रिपोर्ट दर्ज हुई थी। पुलिस ने उसके खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट भी दाखिल कर दी है। ऐसे ही सचेंडी थाने मेें तैनात दरोगा यतीश कुमार और डीसीपी पश्चिम की स्वॉट टीम में तैनात हेड कांस्टेबल अब्दुल राफे ने दरोगा रोहित सिंह के साथ मिलकर कानपुर देहात के सिकंदरा निवासी हार्डवेयर कारोबारी सत्यम शर्मा से 5.30 लाख रुपये लूट लिए थे। रोहित को 26 फरवरी 2023 को बर्खास्त किया जा चुका है। बाकी दोनों को भी बर्खांस्त किया जा सकता है।
शिकायत के बाद भी कार्रवाई नहीं
साल 2023 में शिकायत के बाद भी कार्रवाई न करने पर काकादेव थाने में तैनात तत्कालीन इंस्पेक्टर विनय शर्मा विभागीय जांच में दोषी पाए गए हैं। आरोप था कि जानलेवा हमले और धमकी के मामले में उन्होंने मेडिकल रिपोर्ट को दरकिनार करते हुए मामले में कार्रवाई करने के बजाए एनसीआर दर्ज की थी। इसके अलावा उनके खिलाफ गांजा तस्कर से साठगांठ, उच्चाधिकारियों के आदेश की अवहेलना, कर्मचारियों से अभद्रता का भी आरोप लगा था। ये एसीपी अनवरगंज इंद्रप्रकाश सिंह की जांच में दोषी पाए गए हैं।
ये पुलिसकर्मी भी पाए गए दोषी
दरोगा पंकज कुमार मिश्रा, सौरभ सिंह, तेजवीर सिंह, हेड कांस्टेबल रवि कुमार, राकेश कुमार, कांस्टेबल विपिन कुमार, पवन कुमार, रिक्रूट अनुज यादव, चालक भजन लाल, राकेश कुमार शामिल हैं।