- पुलिस, डॉक्टर्स और जेल प्रशासन के गठजोड़ ने जान

- युवती की शिकायत पर छेड़छाड़ की गंभीर धारा और हत्या की कोशिश में पुलिस ने भेजा था जेल

-गिरफ्तारी से पहले स्थानीय लोगों ने की थी जमकर पिटाई, गंभीर चोटों के बावजूद पुलिस ने नहीं कराया इलाज

- दर्द और चोटों की परवाह किए बिना जेल प्रशासन ने भी किया दाखिल, कुछ देर बाद बिगड़ी तबियत और हो गई मौत

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KANPUR : सचेंडी पुलिस की लापरवाही से रेप के आरोपी की जान चली गई। मामले में पुलिस ने आरोपी पर रिपोर्ट तो दर्ज कर ली थी लेकिन उसे गिरफ्तार नहीं कर पाई। इसी दौरान वह स्थानीय लोगों और पीडि़त के परिजनों के हत्थे चढ़ गया। लोगों ने उसे बुरी तरह पीटा और फिर पुलिस को सौंप दिया। लेकिन, पुलिस ने गंभीर चोटों के बावजूद उसका इलाज नहीं कराया। मेडिकल की रश्म अदायगी कराने के बाद कोर्ट में पेश किया और फिर जेल भेज दिया। देर रात आरोपी की तबीयत बिगड़ी और कुछ ही देर बाद मौत हो गई। अगर पुलिस आरोपी को समय से अरेस्ट कर लेती तो शायद उसकी जान बच जाती।

ये हुइर् थी वारदात

सचेंडी में फ्राइडे शाम गांव निवासी युवती ने 35 साल के सुबोध बाजपेई पर रेप कर हत्या के प्रयास का मामला दर्ज कराया था। पुलिस ने उसी शाम सुबोध के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली थी लेकिन गिरफ्तार नहीं कर पाई थी। सैटरडे सुबह युवती के परिजनों और स्थानीय लोगों ने सुबोध को गांव के पास से पकड़ लिया। उसे बुरी तरह पीटने के बाद थाने लेकर पहुंचे। पुलिस ने कल्याणपुर सीएचसी में सुबोध का मेडिकल कराने के बाद कोर्ट में पेश किया। इसके बाद चौबेपुर स्थित अस्थाई जेल में दाखिल कर दिया। रात में उसकी तबीयत बिगड़ी और मौत हो गई।

मेडिकल रिपोटर् पर सवाल

एसपी ग्रामीण बृजेश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि मेडिकल रिपोर्ट सामान्य है। किसी तरह की बाहरी या अंदरूनी चोट का जिक्र नहीं है। इस वजह से पुलिस ने उसको सीधे कोर्ट में पेश कर जेल भेजा। सवाल है कि आखिर जब उसको इतनी गंभीर चोटें थी तो मेडिकल करने वाले डॉक्टरों ने क्या जांचें की। मेडिकल रिपोर्ट पर सवाल खड़े हो रहे हैं। मेडिकल करने वाले डॉक्टर भी इसके घेरे में हैं।

'बेवजह फंसाया, मार भी डाला'

सुबोध की मौत से उसके परिजन परेशान हैं। पिता रमेश ने बताया कि सुबोध ने पास गांव के एक लड़के को युवती के साथ देखा था। उसने शोर मचा दिया था। जिसके बाद वो लड़का तो भाग गया था लेकिन युवती ने आरोप सुबोध पर लगा दिया। रमेश ने आरोप लगाया कि सुबोध को जानबूझकर फंसाया गया और बाद में मार दिया गया।

आरोपी की मौत के मामले में एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर धाराएं लगाई जाएंगी। पता किया जा रहा है कि किसने-किसने उसको पीटा था? सभी पर कार्रवाई होगी।

- डॉ। प्रीतिंदर सिंह, डीआईजी/एसएसपी कानपुर

पुलिस, डॉक्टर और जेल प्रशासन का गठजोड़

सुबोध की मौत के पीछे पुलिस, डॉक्टर और जेल प्रशासन तीनों की लापरवाही सामने आई है। पुलिस ने जहां गंभीर चोटों के बावजूद जेल भेज दिया तो वहीं मेडिकल करने वाले डॉक्टर्स ने आरोपी की हालत देखकर उसे भर्ती करने की सलाह नहीं दी। जेल प्रशासन ने भी सुबोध की हालत की परवाह किए बिना मेडिकल रिपोर्ट देखी और जेल में दाखिल कर दिया। पहले भी इस तरह की लापरवाही के कई मामले समाने आ चुके हैं।

लापरवाही की वजह से देर से हो पाया पोस्टमार्टम

इस सनसनीखेज वारदात के बाद पुलिस की बौखलाहट सामने दिखाई दी। पंचनामा भरने के दौरान सब इंस्पेक्टर ने सुबोध के शरीर की एक जाहिरा चोट को दोबारा लिख दी। पोस्टमार्टम के दौरान जब डॉक्टर ने एक ही चोट दोबारा देखी तो पंचनामे के कागज वापस कर दिए। दोबारा पंचनामा भरा गया और उसके बाद पोस्टमार्टम शुरू किया गया।

पीटने वालों की लिस्ट पुलिस को सौंपी

सुबोध के परिजनों ने उसे पीटने वालों के नाम अभिषेक, सौरभ, शैलेंद्र, सचिन, मुश्किल, अंकेश पाल और इन्द्रपाल बताए हैं।

स्थानीय लोगों की पिटाई के बाद पुलिस ने सुबोध का मेडिकल कराया और उसके बाद कोर्ट में पेश कर दिया गया। जहां से उसे अस्थाई जेल भेज दिया गया था। जबकि पुलिसकर्मियों को उसे अस्पताल में भर्ती कराना चाहिए था।

आरके जायसवाल, जेल अधीक्षक

सुबोध के परिवार वाले मांग रहे खाकी से जवाब

- आरोपी तक थाना पुलिस क्यों नहीं पहुंच सकी, जबकि स्थानीय लोगों ने उसे पकड़ लिया

- मारपीट करने वालों के खिलाफ थानों में कार्रवाई क्यों नहीं की गई?

- चोटों के बावजूद पुलिस ने सुबोध को अस्पताल में भर्ती क्यों नहीं कराया?

- अस्पताल में मेडिकल के दौरान सुबोध के शरीर की चोटें क्या डॉक्टरों को नहीं दिखीं?

- अगर नहीं दिखीं तो क्यों? और दिखीं तो उसे भर्ती क्यों नहीं किया गया?

- क्या सरकारी अस्पतालों में मेडिकल के नाम पर फर्जीवाड़ा किया जा रहा है