कानपुर (ब्यूरो) इससे पहले गेहूं की अब तक की सर्वाधिक कीमत कोरोना काल में थी जब गेहूं 2,425 रुपये प्रति ङ्क्षक्वटल के भाव तक बिका था। हालांकि कारोबारियों का कहना है कि गेहूं की कीमत और बढ़ेगी क्योंकि अब अगले वर्ष ही नई फसल आनी है.रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से जिन देशों में जरूरत थी गेहूं का निर्यात किया गया था। अप्रैल में जब नया गेहूं आया था, उस समय गेहूं का थोक बाजार में भाव 1,950 रुपये से 2,000 रुपये प्रति ङ्क्षक्वटल था।
बिगड़ गया बजट
जब गेहूं निर्यात शुरू हुआ तो इसकी कीमत 2,175 रुपये प्रति ङ्क्षक्वटल तक पहुंच गई। निर्यात नियंत्रित करने संबंधी नियम लागू होते ही गेहूं अगले ही दिन गिरकर 2,025 रुपये ङ्क्षक्वटल हो गया। कुछ दिन कीमत स्थिर रही लेकिन कीमतें फिर बढऩे लगीं और अब गेहूं आज तक की सबसे अधिक कीमत पर है। जिसकी सबसे ज्यादा सीमित आय वाले लोगों पर पड़ रही है। उनके किचन का बजट गड़बड़ा गया है।
गेहूं निर्यात एक नजर में
- 54,000 ङ्क्षक्वटल गेहूं दो रैक में सीपीसी माल गोदाम कोपरगंज से रवाना हुआ।
- 1,10,000 ङ्क्षक्वटल गेहूं पांच कंटेनर रैक में जूही डिपो से रवाना हुआ।
- 1,64,000 ङ्क्षक्वटल गेहूं कानपुर से सात ट्रेन की रैक के जरिए पोर्ट भेजा गया।
- 10 ट्रक औसतन कानपुर से गए, एक ट्रक में 150 से 250 ङ्क्षक्वटल गेहूं आता है।
मार्च में तेज धूप से गेहूं का दाना छोटा हो गया। इसका असर पैदावार पर पड़ा। मई में गेहूं निर्यात रोकने के लिए जो नियम लागू हुए वह अब सही लग रहे हैं। गेहूं में तेजी को देखते हुए निर्यात के फैसले को वापस लेना चाहिए।
- ज्ञानेश मिश्र, प्रदेश अध्यक्ष, उप्र खाद्य पदार्थ उद्योग व्यापार मंडल।
गेहूं की आवक मंडियों में लगातार कम हो रही है। आटा चक्कियों, फ्लोर मिलो को रोज काफी मात्रा में गेहूं चाहिए। निर्यात से गेहूं में कमी हो रही है। त्योहार व सहालग आने पर अभी गेहूं की कीमतें और बढ़ सकती हैं।
- अजय बाजपेई, उपाध्यक्ष, कानपुर गल्ला आढ़तिया संघ।